Rabi Ul Awwal Ki Fazilat | रबी उल अव्वल की फजीलत

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो रबीउल अव्वल ( Rabi Ul Awwal ) का  महीना बडी बर्कत और फ़जीलत चाला है ! इस मुबारक , महीने में दोनों दुनिया के सरदार हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दुनिया में तशीफ लाये ! इस वजह से यह बडी फ़जीलत और बर्कत का महीना है !

नफ़्ली नमाज़  : इस महीने ( Rabi Ul Awwal ) की पहली तारीख को इशा की नमाज़ के बाद 16 रकअत नमाज़ 8 सलाम से पढे ! हर रकअत मे सूर: फातिहा के बाद सूर: इख्लास तीन-तीन मर्तबा पढे ! फिर सलाम के बाद एक हजार मर्तबा नीचे के दुरूद शरीफ़ को पढे !

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माहे रबीउल अव्वल में पढ़ने वाली दरूद शरीफ़

अल्लाहूम्म सल्लि अला मु-हम्मदीनिन्नबिय्यिल्-उम्मि व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू

इस नमाज़ की बडी फ़जीलत है ! और इन्शा-अल्लाह तआला इस नमाज़ और दुरूद के पढने वाले को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जियारत नसीब होगी ! लेकिन बावुजू सोना ज़रूरी है !

12 रबीउल अव्वल को पढ़ने वाली नफ़्ली नमाज़

इस माह की 12 तारीख को जुहर की नमाज़ के बाद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रूह को सवाब पहुँचाने की निय्यत से 20  रकअत नमाज 10 सलाम से पढे !

हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 21x 21 मर्तबा पढे ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ के पढने वाले को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत नसीब होंगी ! यह नमाज़ पढने चाला तौहीद पर क़ाइम रहेगा ! और शिर्क से दूर रहेगा ! लेकिन बा वुजू सोना जरूरी है ।

वज़ीफ़ा

इस माह की 12वीं, 13वी और 14वीं रात को इशा कीं नमाज़ के बाद नीचे की दुआ को सात हजार सात सौ इक्तालीस (7741) मर्तबा पढे। दुआ यह है :

12 रबी उल अव्वल को करने वाली दुआ

या बदी-अल् अजाइबि बिल् खैरि या बदीऊ

यह दुआ रोजी में ज्यादती के तिये बहुत अफज़ल है। मगर यह ध्यान रहे कि 12वी  तारीख सोमवार, या जुमेंरात या जुमा की हो !

इस माह में और दूसरे महीनों से ज्यादा दुरूद शरीफ़ पढने की बडी फ़जीलत है !ज्यादा से ज़यादा इस महीने में दुरूद शरीफ़ पढना चाहिये !

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पहली तारीख से 12वीं तारीख तक रोज़ाना इशा की नमाज़ के बाद एक हजार मर्तबा यह नीचे का दुरूद पढना बहुत अफज़ल है !

12 रबी उल अव्वल को पढ़ने वाली दरूद शरीफ़

अल्लाहूम्म सल्लि अला मु-हम्मदीनिन्नबिय्यिल्-उम्मि व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू

इस दुरूद शरीफ़ को पढकर बा वुजु सो जाये तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलेहि वसल्लम की जियारत हासिल होगी ! इन्शा-अल्लाह तआला

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