Eid Milaad Manana Sunnat Hai | ईद मिलाद मनाना सुन्नत है

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो ईदे मीलाद मनाना सुन्नते नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम है | आज हम आप लोगो को इस लेख के बारे में बताएंगे |

हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने खुद सहाबए किराम रजियल्लाहू अन्हुम को ! अपने यौमे मीलाद पर अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा करने की तलक़ीन फ़रमाईं और तरगीब दी !

आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हर पीर को रोजा रखा करतें थे ! जब हज़रत क़तादा रजियल्लाहु अन्हु ने आप सल्लल्लाहो अलेंहे वसल्लम से इस रोजा के बारे मेँ सवाल किया ! तो आप सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया इसी रोज़ मेरी विलादत हूई ! और इसी दिन मुझ पर कलामे इलाही नाजिल हूआ !

miladulnabi

अल्लाह रब्बुल इज्जत ने नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम् की विलादत और इस नेमते उज़्मा के हुसूल पर न सिर्फ हमें जश्न मनाने का हुक्म दिया है ! बल्कि अपने अमल और सुन्नतें मुबारका से जश्न मनाकर दिखाया भी है ! तमाम कुतुबे फ़ज़ाइल व सियर में हमें इस किस्म की रिवायात अक्सर मिलती हैं !

जिनमे हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की  विलादत्त के तफ़्सीली हालात के साथ इस चीज़ को भी वोज़ह तौर पर  बयान किया गया है ! कि अल्लाह तआला ने अपने महबूब स्रल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की विलादत पर खुशी मनाई

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की आमद पर अल्लाह तआला की कूदरते कामिला ने सारी ज़मीन को सर सब्ज़ कर दिया ! और रूए ज़मीन के खुश्क और गले सडे दरख्तों को भी फलों फूलों से लाद दिया

ईदे मीलाद मनाना सुन्नते नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम है

हर सिम्त रहमतो’ और बरकतो  की भरमार कर दी ! और कहत ज़दह इलाकों में रिज़्क़ की इतनी कुशादगी फरमा दी ! कि वह साल खुशी और फरहत वाला साल कहलाया !

रिवायत के अल्फाज का तर्जुमा यह है ! जिस साल नूरे मुहम्मदी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हज़रत आमना को वदीअत हुआ वह फतहो उसरत, तरो ताज़गी’और खुशहाली का साल कहलाया !

अहले कुरैश इस से कब्ल मआशी बदहाली और कहत साली में मुब्तला थे ! विलादत की बरकत से उस साल अल्लाह तआला ने बे आबो गियाह ज़मीन को शादाबी और हरियाली अता फ़रमाइ ! और (सूखे)  दरख्तो की पजमुर्दा शाखों को हरा भरा करके उन्हें  फलाे से लाद दिया ! अहले कूरैश इस तरह हर तरफ से खैरे कसीर आने से खुशहाल हो गए  !

हल्बी सीरते हलबिया 1 -481

नबहानी, अनवारे मुहम्मदिया 20

( नबहानी ने इस रिवायत में लफ्ज़ अर्रफद नक़्ल  किया है )

कस्तलानी, मवाहिबे लदुन्निया 1-119,

ज़ुर्कानी,शरह ज़ुर्कानी अलल मवाहिब 1-197,

दहलाना सीरते नबविया 1-45

जुहूरे कुदसी के वक़्त अल्लाह ने जश्न मनाया

विलादते मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का पूरा साल अल्लाह तआला की खुसूसी रहमतो का नुज़ूल रहा ! जब जुहूरे कूदसी की वह सईद साअतें जिनका अनगिनत सदियों से इंतिजार था ! गर्दिशे माहो सालकी करवटें लेते लेते इस लम्हए मुंतजिर मे सिमट आईं जिसमें खालिके काएनातके बेहतरीन शाहकार को मुनस्सए आलम पर अपनी ज़िया पाशियों से जल्वागर होना था !

तो मशातए फितरत ने ऐसी ऐसी आराइशों और ज़ेबाइशों का एहतिमाम किया! जिसकी नजीर अजल से अबद तक न कभी थी ! और न कभी हीतए ख़्याल  में आ सकती है!

अगर यह कहा जाए तो कोई मुबालग़ा न होगा कि अल्लाह तआला ने अपने महबूब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की दुनिया मे आमद के मौका पर काएनाते पस्त व बाला में इतना चिरागा किया ! कि शर्कता ग़र्ब हर चीज़ बुकअए नूर बन गई।

हज़रत आमना जिनकी आगोशे मुबारक को इस नूरे पाक की पहली जल्वागाह बनना था ! उन्हें नबी आखिरुरुज़्ज़मा शहंशाह दो जहा हजरत मुहम्मद मुस्तफा स्रल्लल्लाहने अलैहे  वसल्लम की वालिदह माजिदह होने का अदीमुन्नज़ीर शर्फ हासिल हूआ !

वह अपने इस अजीमुश्शान लख्ते जिगर के वाक़ेआते विलादत बयान करते हुए फरमाती हैँ ! जब सरकारे दो आलम हुजूर सल्लल्लाहो अलैहै वसल्लम का जुहूर हूआ ! तो साथ ही ऐसा नूर निकला कि जिस से  शर्क़ ता ग़र्ब सब आफाक रौशन हो गए !

(इब्ने  सअद, तबक़ाते कुबरा 1-102 इब्ने असाकिर, तारीखे

दमिश्क़ अलकबीर 3-79 , इब्वे जौज़ी सफ़वतुस्सफ़वह 1-5 इब्ने कसीर, अलबिदाया वन्निहाया 2 -264 हल्बी, सीरते हलबिया 1-91 इब्ने हबीब, अलमुक़्तफा मिन सीरतिल मुस्तफा 1-31 स्युती, ख़साइसे कुबरा 1-97)

आप ही से एक और रिवायत यूं मरवी है: – ” बेशक मुझसे ऐसा नूर निकला जिसकी जिया पाशियों से सरज़मीने शाम से बसरा के मल्लाह मेरी नज़रों के सामने रौशन और वाज़ेह हो गए !

ईदे मीलाद मनाना सुन्नते नबवी सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम है

इमाम जलालुद्दीन स्यूती रहमतुल्लाह अलैह ने इस पर तफ़्सील से रौशनी डाली हैं कि हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने खुद भी अपना मीलाद मनाया ! इस लिहाज़ से यह सुन्नते रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम भी है ! इमाम स्यूती रहमतुल्लाह अलैह एक रिवायत के हवाले से फ़रमाते है कि मदनी दौर में हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने बकरे ज़िबह करके फ़ुक़रा व मसाकीन को खिलाए !

इस हवाले से बाज़ लोग यह एतिराज़ वारिद करते हैं ! कि क्या हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने अकीका किया था ! इसका जबाब देते हुए इमाम स्यूती रहमतुल्लाह अलैह यह तसरीह फ़रमाते हैं !

कि हुजूर करीम सल्लल्लाह अलैह का अकीका तो उनके दादा अब्दुल मुतल्लिब कर चुके थे ! शरीअत का हुक्म . भी यही है अकीका दूसरी मर्तबह नहीं होता ! अकीका जिन्दगी में दोबारा नहीं किया जाता !

इसलिए इस ( सदके ) को हक़ीक़त पर महमूल किया जाएगा कि नबी ए  अकरम हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने यह इज़हार तशक्कुर के लिए किया !

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इस बात पर कि अल्लाह तआला ने आपको रहमतुल लिलआलमीन बनाया और अपनी उम्मत के लिए इसे मशरूअ बनाने के लिए जिस तरह कि नबी पाक हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम अपनी जात पर खुद भी दुरूद पढा करते थे!

इस  हक़ीक़त के पेश नज़र हमारे लिए मुस्तहब है ! कि हम भी आप हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम के मीलाद पर इज़हारे मुसर्रत करें।

(स्यूती, अलहावी लिलफ़तावा 1-196 स्यूती,  हुस्नुल  मकसद फी अमलिल  मौलिद 65 , नबहरनी, हुज्जतुल्लाहि अलल आलमीन 237 ) .

सहाबए किराम को ईदे मीलाद की तरगीब

हुजूर नबी करीम हुजूर सल्लल्लाहो अलैहै वसल्लम ने खुद सहाबए किराम को अपने यौमे मीलाद पर अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा करने की तलकीन फ़रमाई ! और तरगीब दी ! आप पीर को रोजा रखा करते  थे ! जब हज़रत क़तादा रजियल्लाहु अन्हु ने आपसे  इस रोजा के बारे में सवाल किया तो आप हुजूर सल्लल्लाहो अलैहै वसल्लम ने फ़रमाया इसी रोज़ मैरी विलादत हुईं ! और’ इसी दिन मुझ पर कलामे इलाही नाजिल हुआ !

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