अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो हम आप लोगो के लिए लेकर आए हैं सफ़रुल मु ज़फ्फर – माहे सफर में की जाने वाली इबादत जो आपका काम आएगा |
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फ़रमाते हैँ ! सफ़र का महीना बडी सख्ती का महीना है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस माह के शुरू होने पर रन्जीदा और ख़त्म होने पर ख़ुश होते थे !
आप ने फ़रमाया ! सफ़र के महीने में एक लाख़ बीस हजार बलायें आसमान से नाजिल होती हैँ ! लेकिन जो लोग इस माह में अपना समय अल्लाह की ईबादत में बितायेंगे ! उन पर बलाओँ का कुछ भी असर न पडेगा ! और अल्लाह पाक उन के गुनाहों क्रो माफ़ फरमा देगा !
नफ़्ली नमाज़े
इस महीने ( Mahe Safar ) का चाँद देखकर मग़रिब और इशा की नमाजों के दर्मियान चार रक्अत नफ़्ली नमाज़ दो सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख्लास ग्यारह-ग्यारह मर्तबा पढे ! फिर सलाम फेरने के बाद एक हजार मर्तबा इस दुरुद को पढे
माहे सफ़र में पढ़ी जाने वाली दरूद शरीफ़
अल्लाहुम्म सल्लि अला मु-हम्मदि निन्नबिय्यिल उम्मी व-रहू-मतुल्लाहि व-ब-रकातुहू
अगर इस तरह नमाज़ पढी तो अल्लाह तआला उस बन्दे के तमाम गुनाहों को माफ़ कर देगा ! और उसकी मग़फ़िरत फ़रमायेगा !
नफ़्ली नमाज़े
माहे सफर ( Mahe Safar ) की पहली रात इशा की नमाज़ के बाद चार रक्अत नफ़्ली नमाज़ पढे। पहली रक्अत में सूर: फातिडा के बाद सूर: काफिरून 15 मर्तबा पडें !
दूसरी में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख्लास 15 मर्तबा, तीसरी में सूर: फ़-लक 15 मर्तबा, चौथी में सूर: नास 15 मर्तबा पढे ! यह नफ़्ली नमाज़, इशा की नमाज़ के बाद पढी जायेगी ! फिर सलाम फेरने के बाद
100 मर्तबा – इय्याक नअबुदु वइय्याक नस्त-ईनुपढे । फिर 70 मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढे । इशा के वित्र इस नफ़्ली नमाज के बाद पढे ! इस प्रकार नमाज़ पढने से अल्लाह पाक तमाम बलाओं और मुसीबतों से महफ़ूज़ (सुरक्षित) ररवेगा ! इन्शाअल्लाह !
माहे सफ़र में करने वाले अमल
माहे सफर ( Mahe Safar ) में अल्लाह तबारक़ व तआला का बहुत ही प्यारा नाम या सलामु का विर्द जितना हो सके उतना करे !
अल्लाह अज़्ज़वजल सभी की जान माल इज्जत आबरू की हिफाज़त अता फरमाये ! आमीन ! या रब्बुल आलमीन !