अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आप लोगो के लिए बकरा ईद लेकर आये हैं – ज़िल हज के10 दिनों की फ़ज़ीलत के बारे में जिसका जान कर आप लोगो को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा अशरए जिलहिज्जा ( Ashra Zilhajj ) Bakra Eid Ke 10 Dino की हदीसे पाक में बड़ी फ़जीलत आईं है ! हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ! कि कोई दिन अशरए जिलहिज्जा ( Ashra Zilhajj ) के अलावा ऐसा नहीं हैँ ! जिनमें इबादत करना अल्लाह पाक को ज्यादा पसंद हो ! इस अशरे में एक दिन का रोज़ा एक साल के रोज़े के बराबर है और इसकी हर रात में जागना शबे कद्र में जागने के बराबर है । ( तिर्मिंजी )
दुर्रे मंसूर की एक रिवायत में है कि आप सल्लल्लाहो अलैहै वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि अल्लाह के नज़दीक कोई दिन अशरए जिलहिज्जा से अफजल नहीं है ! और न किसी दिन मेँ अमल करना इसमें अमल करने से अफजल नहीं है ! पस खुसूसियत से इन दिनों में लाइलाह इल्लल्लाहो और अल्लाहो अक़बरक्री कसरत रखो ! क्योंकि तकबीरो तहलील और ज़िक़रूल्लाह के यह दिन है ।
एक रिवायत में आया है कि आँ हज़रत सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि कोई नेक अमल किसी दिन में अल्लाह पाक को इतना मेहबूब नहीं है जितना कि अशरए जिलहिज्जा में ! [Bakra Eid Ke 10 Dino Mein ]
हज़रते सहाब-ए-किराम ने अर्ज किया जिहादे फी सबीलिल्लाह भी नहीं ! आपने इरशाद फ़रमाया हाँ जिहादे फी सबीलिल्लाह भी नहीं ! अलबत्ता ये कि कोई भी अपनी जानो माल लेकर अल्लाह के रास्ते में चला जाए और फिर वापस न हो । (मिरकात शरीफ़)
जिलहिज्जा की नवीं तारीख़ का रोजा रखने क्री बडी फजीलत है ! हज़रत नबीये अकरम सल्लल्लाहो अलेहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि मै अल्लाह पाक से उम्मीद करता हूं कि अरफ़ा का रोज़ा एक साले गुज़श्ता और एक साले आइन्दा के गुनाहों का कफ़्फ़ारा हो जाएगा । ( मुस्लिम शरीफ)
आप सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जिसने अरफा का रोज़ा रखा ! उसके पै दर पै दो साल के गुनाह बख़्श दिये जाते हैं ! एक रिवायत में है कि अरफा का रोजा हजार रोजों के बराबर है । (तर्गीब)
ईद की रात भी बडी बा बरकत और पुर अनवार होती है ! इस रात का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा इबादत और जिक्रे इलाही में गुजारना चाहिये ! इस रात का एक-एक लम्हा काबिले क्रद्र और बड़ा कीमती है ।
हजरत नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहै वसल्लम का इरशादे पाक है ! कि जो शख्स ईद और बक़र ईद की रातों में तलबे सवाब के लिए बेदार रहा हो ! उसका दिल उस दिन न मरेगा ! जिस दिन सब दिल मरेंगे !
जो शख्स वुस्सअत के बाबजूद कुरबानी न करे ऐसे शख्स के लिए हदीसे पाक में बडी सख्त वईद आईं है ! जिसे पढकर या सुनकर एक मुसलमान का दिल लरज़ जाता है ! चुनांचे आँ हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का पाक इरशाद है कि जिसने वुसअत रखते हुए कुरबानी नहीं की पस वह हमारे पास न आए दूर ही रहे ।
दरसे कुरबानी ईंदे कुरबां न सिर्फ मुसलमानों बल्कि अकबामे आलम क्रो ईसार, कुरबानी और हक़ क्री राह में खुशी-खुशी मिट जाने का सबक़ देती है ! दुनिया में कोई कौम या कोई फ़र्द उस वक्त तक सर बुलंद नहीं हो सकता जब तक कि उसके अंदर दूसरों के लिए कुरबानी देने और सच्चाई के लिए मर मिटने का जज़बा न हो ।
आज़ के मुसलमानों को भी हज़रत खलीलुल्लाह की कुरबानी से सबक लेना चाहिये ! ओर इस मौके पर माजी के वाक़िआत की याद ताजा करके सच्ची लगन के साथ अपने अन्दर ताअत, जब्त, ईसार, खुलूस, वहदत, खिदमत का जज़्बा पैदा करना चाहिये !
अगर हमने अपने अस्लाफ़ की कुरबानियों, उनके किरदार और उनकी अजमत को न भुलाया तो अपनी मंजिल तक पहुंचने में ज़रूर कामयाब होंगे ! इंशा अल्लाह ! और एक बार फिर उरूज हमारे क़दमों को चूम लेगा !
आज भी हो जो इब्राहिम सा ईमाँ पैदा ! आग कर सकती है अंदाजे गुलिस्ताँ पैदा !!
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