Arfa Ka Roza Or Nifl Namaz Ka Tarika | अरफ़ा का रोज़ा या नफ़िल नमाज़ का तरीका

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन अरफा का दिन, जो इस्लामी हिजरी कैलेंडर के 9वें ज़िल्हज्ज माह में आता है, मुसलमानों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिसे अरफा का रोज़ा कहा जाता है, और इसे मान्यता है अगले व पिछले 1 साल के गुनाहों का कफ्फारा है इस लेख में, हम अरफा के रोज़ा के गुणों और अभ्यासों की महत्ता को विचार करेंगे और अरफा की रात्रि पर किये जाने वाले प्रार्थनाओं और दुआओं की सिफारिश करेंगे।

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अरफा यानि 9 ज़िल्हज्ज का रोज़ा यानी अरफ़ा का रोज़ा ( Arfa Ka Roza) अगले व पिछले 1 साल के गुनाहों का कफ्फारा है

बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफह 137

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अरफ़े का रोज़ा ( Arfa Ka Roza ) नफ्ल रोज़ा है ! तो अगर किसी का कभी का कोई भी रोज़ा रमज़ान का बाकी हो ! तो बजाये नफ्ल नियत करने के वो रमज़ान के क़ज़ा रोज़े की नियत करले तो

इंशाअल्लाह उसका एक रोज़ा अदा भी हो जायेगा और अरफे की भी फज़ीलत पायेगा*

अरफ़े की रात नमाज़ का तरीका

अरफ़े की शब् 2  रकअत नफ़्ल अदा करना चाहिए ! इसकी बहुत ही बड़ी फ़ज़ीलत है !

अरफे की रात, 2 रकात नमाज़ नफ्ल की नियत

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नियत की मेने 2  रकअत नमाज़ नफ़्ल की , वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा या रुख मेरा काबे शरीफ की तरफ अल्लाह-हुकबर

पहली में सूरह फातिहा के बाद 100 बार आयतल कुर्सी और

दूसरी में 100 बार सूरह इखलास पढ़े

फिर अल्लाह तआला से रो-रोकर अपने बुजुर्गो की मग़फ़िरत के लिए दुआ मांगे ! इंशा अल्लाह हर मोमिन मोमिनट की दुआ कुबूल हो ! आमीन या रब्बुल आलमीन

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