Aakhri Budh Ki Namaz Or Dua | आखिरी बुध की नमाज़ और दुआ

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो महीने के आखरी बुध के दिन की नफ़्ल नमाज़ सफ़र माह के आखरी (अन्तिम) में बुध के दिन ( आखरी बुध के दिन) ( Aakhri Budh ) चाश्त के समय  ग़ुस्ल  स्नान   करके  दो रकअत नमाज़ पढे ! हर रकअत में सूर: फ़ातिहा के बाद ग्यारह-ग्यारह मर्तबा सूर: इख्लास पढे ! ओर फिर सलाम फेरकर नीचे की दरूद  को 70 (सत्तर) बार पढे !

अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदि निन्नबिय्यिल उम्मी व-अला आलिही व-अस्हाबिही व बारिक़ व-सल्लिम्

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फिर एक मर्तबा इस दुआ को पढे :

आखरी बुध के दिन की दुआ

अल्लाहुम्मा सर्रिफ़ अन्नी सू-अ हा-ज़ल यौमि वआ-सम्नी मिन् सूइही व-नज्जिनी अम्मा असा-ब फीहि मिन् बहूरि साआतिही वकुरुबातिही बिफ़ज़्लि-क या दाफि-अशरूरि या मालि- कन्नुशूरि या अऱ-ह-मर्राहिमीन वसल्लल्लाहु अला मुहम्मदिव्व आलिहिल अम्जादि व बारिक़ व-सल्लिम्

इस नमाज़ और दुआ की बर्कत से अल्लाह पाक उसे तमाम बलाओं और कठिनाइयों से महफ़ूज़ (सुरक्षित) रखेगा ।

आखरी बुध के दिन की नफ़्ल नमाज़

आखरी बुध को जुहर की नमाज़ के बाद दो रकअत नमाज़ पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तीन-तीन मर्तबा पढे !

सलाम फेरने के बाद सूर: इन्शिराह 80 मर्तबा, सूर: तीन 80 मर्तबा; सूर: नस्र 80  मर्तबा ओर सूर: इख्लास 80 मर्तबा पढे । यह नमाज़ रोजी में ज्यादती के लिये बहुत मुफीद और अफ़जल है !

आखरी बुध के दिन की नफ़्ल नमाज़

बुध को अस्र की नमाज़ से पहले चार रकअत नमाज़ दो सलाम से पढे ! और हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: कौसर 70 मर्तबा, सूर: इख्लास 5-5 मर्तबा पढे ! सलाम फेरने के बाद नीचे की दुआ को एक मर्तबा पढे !

आखरी बुध के दिन की दुआ

बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम्

या शदी-दल् क़विय्यि, या शदी-दल् महालि , या मफ-जलु, या मु-कर्रमु लाइला-ह इल्ला  अन्त- बिरह- मति क या अऱ-हमर्राहिमीन

इस नमाज़ और इस दुआ के पढने वाले को उस दिन की तमाम आफ़तों और मुसीबतों से अल्लाह तआला महफूज़ (सुरक्षित) रखेगा

आखरी बुध के दिन की दुआ

आखरी बुध ( Aakhri Budh ) को फ़ज़्र की नमाज़ के बाद से इशा तक की नमाज़ में हर नमाज़ के बाद नीचे की कुरआनी _ दुआ को एक मर्तबा पढकर पानी पर दम करके खुद (स्वयं ) भी पिये और सब को पिलायें !

सलामुन् कौ -लम्मिर्रब्बिर्रहीमि  सलामुन् अ ला नूहिन  फिल आ-लमी-न+सलामुन् अला इब्राही-म सलामुन् अला मूसा वहारू-न + सलामुन् अला इल्यासी-न + सलामुन् अलैकूम् तिब तु म् फ़दखुलूहा खालिदी न + सलामुन् हि-य हत्ता म तलईल फ़जरि+

यह सात कुरआनी आयतें उम्र में ज्यादती, जान-माल की हिफाज़त (सुरक्षा) मेँ बहुत ही फायदेमंद (लाभदायक) हैँ !

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