Zam Zam Pani Peene Ki Dua | ज़म ज़म पानी पीने की दुआ

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, हम सभी मुसलमानों को हज करने बहुत ख्वाहिश होती है और वहां का आबे जम जम का पानी भी पीने की बहुत तरप होती है। लेकिन आप में से बहुत कम लोग ऐसे भी होंगे जिनको मालूम होगा की ज़म ज़म पानी पीने की दुआ भी होती है।

हाँ बिलकुल ज़म ज़म पानी पीने की दुआ भी होता है। और यही दुआ को सीखने लिए भी आप लोग यहाँ पर आए है।

मै वादा करता हूँ की बहुत ही कम समय में आपको जम जम पानी पीने के बाद की दुआ को सीखा दूंगा। जिससे आपको एक्स्ट्रा फायदा होगा। पहला जम जम पानी पीने का फायदा और दूसरा दुआ पढ़ने का।

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जम जम का पानी क्या है?

ज़म ज़म का पानी अल्लाह सुबान व ता’अला का करिश्मा है जो हजरत इस्माइल अलैहे सलाम के एड़ियों के निचे से निकला है। और इस पानी का बहुत फायदे है जो आज वैगानिक ने भी साबित किया है।

जमीन पर सबसे अच्छा पानी ज़मज़म है, यह पोषण और इलाज का काम करता है।

ज़मज़म खाने वाले के लिए खाना है और यह बीमारियों की दवा है|

ज़मज़म पानी के बारे में कुरान क्या कहता है?

कुरान शरीफ में ज़मज़म पानी के बारे में कुछ भी लिखा नहीं गया है। लेकिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बहुत सारी मौके पर चमत्कारी कुएं से पानी के महत्व पर प्रकाश डाला है।

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है की “इस जमीन पर सबसे बेहतर पानी ज़मज़म का पानी है। इसमें पोषण के लिए भोजन और बीमारी के लिए चंगाई है।

ज़म ज़म पानी पीने की दुआ

दोस्तों अब आप सभी को मालूम चल गया होगा की ज़मज़म पानी क्या है? और इसके बारे में कुरान का क्या राय है। अब चलिए जानते है की इस पानी को पीने का तरीका और दुआ क्या है? जानते है।

जब ज़मज़म का पानी पीने लगे तो सबसे पहले बिस्मिलाहिर रहमानिर रहीम जरुर पढ़े।

अब खड़े होकर पानी पीना शुरू करे और पिने के बाद यह दुआ पढ़े।

ज़म ज़म पीने की दुआ अरबी में

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ عِلْمَاً نَافِعَاًً وَرِزْقَاً وَاسِعَاًَ وَشِفَاءً مِنْ كُلِّ دَاءٍ

ज़म ज़म का पानी पीने की दुआ हिंदी में

अल्लाहुम-म इन्नी अस अलु-क इल्मन नाफि अंव व रिज्कवं वासिअंव व शिफ़ाअम मिन कुल्लि दाइन

ज़म ज़म पानी पीने की दुआ अंग्रेजी में

Allaahumma inni as’aluka `ilman naifi`aaa, wa rizqaw wasi`aaa, wa shifa’am min kulli da’i

ज़मज़म पानी पीने की दुआ का तर्जुमा

तर्जुमा:- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे नफ़ा देने वाले इल्म और फैली रोजी का सवाल करता हूं और हर रोग से सेहत पाने का सवाल करता हूं।

जब भी यह पानी पिए तो क़िबला रुख हो जाए और कम से कम तिन घूंट में पिए फिर आखिर में अल्हम्दुलिल्लाह जरुर कहे।

ज़मज़म पानी का इतिहास

आबे ज़मज़म जो मक्का शरीफ़ में एक कुएं से निकलता है आपको मालूम होगा कि जब हज़रत इस्माईल अलैहे सलाम माँ की गोद में थे।

उस वक़्त हज़रत इब्राहीम अलैहे सलाम ने अल्लाह के हुक्म से दोनों माँ और बेटे को छोड़ कर चले गए थे, फिर जब तमाम पानी ख़त्म हो गया और हज़रत इस्माईल अ.स. को प्यास लगी और प्यास के मारे वो अपनी एड़ियां ज़मीन में रगड़ रहे थे।

तो अल्लाह तआला ने उनकी एड़ियों के नीचे से एक चश्मा जारी किया जो कि आगे चल कर एक कुएं की शक्ल इख्तियार कर गया।

आज मक्का शरीफ़ जाने वाले तमाम लोग़ ख़ास कर हज करने वाले वापसी में अपने साथ ज़मज़म का पानी ज़रूर लाते हैं, पानी तो वैसे ही अल्लाह की बड़ी नेअमत है लेकिन इस पानी की भी एक अलग शान है।

ज़मज़म का पानी खड़े होकर क्यों पीना चाहिए?

नाज़रीन कुछ लोगो का यह भी सवाल होता है की पानी बैठकर पीना नबी (ﷺ) की सुन्नत है तो फिर ज़मज़म का पानी खड़े हो कर क्यों पीते है।

तो इसका भी सीधा जवाब है की ज़मज़म का पानी भी खड़े हो कर पीना नबी (ﷺ) की सुन्नत से साबित है। जो हदीस कुछ इस तरह है की इब्न अब्बास रजी अल्लाहु अंहो बताया “मैंने जब अल्लाह के नबी (ﷺ) को ज़मज़म का पानी दिया तो आपने खड़े होकर पिया”।

ज़मज़म का पानी खड़े होकर पीना, बैठ कर पीने से कहीं बेहतर माना जाता है। इस विषय पर बहस इतनी तीव्र है कि कुछ इस्लामी विद्वानों ने मुसलमानों को बैठकर ज़मज़म का पानी पीने से भी मना किया है।

जमजम का पानी पीने से क्या होता है?

यह पानी पिने से बहुत सारी जिस्मानी और रूहानी बीमारियाँ दूर हो जाती है। और यह पानी जिस मकसद के लिए पिया जाता है अगर वह मकसद नेक होता है तो जरुर पूरा होता है।

आबे जमजम का पानी कैसे पीना चाहिए?

ज़मज़म का पानी पीने का तरीका यह है की पहले बिस्मिल्लाह पढ़ कर खड़े खड़े तिन घूंट पी जाए और पेट भर पिए इसके बाद ऊपर बताये हुए दुआ पढ़े और आखिर में अल्हम्दुलिल्लाह कहे।

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ज़मज़म पीते समय क्या करना चाहिए?

ज़मज़म का पानी पीते समय इसका दुआ पढ़ना चाहिए और एहतराम करना चाहिए जो ऊपर बता दिया गया है।

क्या हम ज़म ज़म के साथ सामान्य पानी मिला सकते हैं?

हाँ बिलकुल, जमजम के साथ सामान्य पानी मिला देने से ज़मज़म पानी का बरकत में कमी नहीं होती है। इसीलिए जब कोई शख्स हज करने के बाद जब ज़मज़म का पानी लेकर आता है तो उसमे सामान्य पानी मिला कर पुरे गाँव में तस्लीम करता है।

ज़मज़म का पानी पीते समय क़िबले की तरफ मुँह क्यों करना चाहिए?

इब्ने अब्बास रजी अल्लाहु अंहो ने फ़रमाया कि एक शख्स को क़िबला की तरफ मुंह करके ज़मज़म का पानी पीना चाहिए।

क्या ज़मज़म का तिन घूंट में पीना चाहिए?

हाँ बिलकुल, ज़म ज़म का पानी कम से कम तिन घूंट में पीना चाहिए। हजरत इब्ने अब्बास रजी अल्लाहु अंहो ने फ़रमाया है की मुसलमानों को ज़मज़म का पानी तीन घूंट में पीने की सलाह दी क्योंकि यह पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की सुन्नत है।

क्या रोज़ा के दौरान ज़मज़म का पानी पी सकते हैं?

बिलकुल नहीं, रोज़ा का मतलब ही होता है की सुबह सादिक से लेकर सूरज ढलने तक नहीं पानी पीना है और नहीं कुछ खाना है।

क्या पीरियड के दौरान ज़मज़म का पानी पी सकते हैं?

हां, पीरीयद के दौरान महिलाओं के लिए ज़मज़म का पानी पीना जायज़ है। इतना ही नहीं बल्कि औरतें इससे अपना चेहरा भी धो सकती हैं।

अगर इसी तरह का इस्लामिक दुआ और जानकारी सीखना चाहते है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर करे। खुदा हाफिज!!

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