Shaadi Me Fuzool Kharch | ब्याह शादी के फ़ालतू खर्चे

अस्सलामु अलैकुम प्यारे प्यारे इस्लामिक भाइयों मेरी नज़र में आज के समाज की सबसे बड़ी खराबी और सबसे खतरनाक बीमारी ब्याह शादी के मौका पर दोनों तरफ से किये जाने वाले फालतू खर्चे हैं अगर उन पर कंट्रोल न किया गया तो आने वाली दुनिया निहायत गन्दी होगी माहौल बड़ा भयानक होगा।

अल्लाह के लिये करने वाले किसी बात की परवाह नही करते

आखिर जवान लड़के और लड़कियां कब तक सब्र करेंगे घर वाले तो बगैर ठाट बाट शान व शौकत के शादी करने को अपनी तौहीन समझ रहे हैं खुद माँ बाप खूब मौज मस्ती कर रहे हैं और बच्चों के निकाह न करके उन्हे बदकारी करने और कराने पर मजबूर किया जा रहा है।

एक तरफ कम उम्र बच्चे और बच्चियों को गन्दे गाने सुनाकर गन्दी और नंगी फ़िल्मे दिखाकर उनके जज़्बात भड़काये जा रहे हैं दूसरी तरफ पढ़ाई नौकरी या शादी के इखराजात की वजह से उन्हे बे शादी शुदा रहने के लिये मजबूर किया जा रहा है घर गिरहस्ती रहन सहन और बाल बच्चों के खर्चे इतने बढ़ गये हैं कि जब तक नौकरी न मिल जाये या खूब अच्छा कारोबार न हो जाये लोग शादी करते हुए डर रहे हैं।

अफ़सोस कि आज की दुनिया इखराजात कम करने और सादा ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये अमादा नही बेईमान हरामकार और रिशवत खोर और बे शादी शुदा रहने के लियें तैयार हैं अफ़सोस कि आज की दुनिया इश्क (लव और प्यार) ना जायज़ ताल्लुकात ज़िनाकारी बदकारी करने और कराने के लिये साज़गर है।

लेकिन सुन्नत के मुताबिक सादा निकाह उन्हे पसन्द नही आ रहा है अफ़सोस कि देखते ही देखते दस बीस सालों में ब्याह शादियां कहां से कहां पहुंच गईं कितने ही लोग बच्चियों की शादी के नाम पर भीक मांगने निकल पड़े और कितने लड़के और लड़कियां बे निकाह रहने की वजह से गलत राहों पर चल पड़े मगर कोई रस्म व रिवाज छोड़ने को तैयार नहीं समझाने वालों की कोई मानने वाला नहीं अब देखिये आगे क्या होता है।

आला हज़रत फरमाते हैं शादी की रस्मों के लिये सवाल करना हराम है क्योंकि निकाह शरअ में ईजाबो कबूल का नाम है जिसके लिये एक पैसे की भी ज़रूरत नही (फ़तावा रज़विया जिल्द 30 सफ़हा 619 मतबुआ पोरबन्दर)

यानि निकाह में कोई खर्चा ऐसा वाजिब नही जिसके लिये भीक मांगी जाये या चन्दा किया जाये और जिसके लिये भीक मांगना हराम है उसको देना भी हराम है क्योंकि यह हराम काम पर मदद करना है।

वैसे लोगों को कुछ समझ आयी है अगरचे अमल पूरे तौर पर नही कर पा रहे हैं अभी कई जगह ऐसे वाक्यात सुने कि शादी में दोनों तरफ से मालदार होकर भी बहुत कम खर्चा किया गया तो अवाम ने उसे अच्छा समझा और तारीफ की गई

और सबने कहा कि अच्छा किया और बहुत ज़्यादा लेन देन करने वालों के अगरचे सामने लोग कुछ नही कह रहे हैं लेकिन दिल से बुरा जान रहे हैं पीछे बुराई हो रही है क्योंकि इस बात को सब जानते हैं और समझते हैं कि ब्याह शादी में ज़्यादा लेन देन का रिवाज माहौल को आग लगाना है।

और दुनिया को बर्बाद करना तो मैंने महसूस किया कि नामवरी के लिये बहुत ज़्यादा खर्चा करने वालों को लोग अब अच्छा नही समझ रहे हैं और नामवरी बदनामी बन रही है दुनिया की ना क़दरी खुदाये तआला दुनिया ही में करा देता है। (आओ दीन पर चलें)

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