Namaz Ke Makroohat Kya Hai | नमाज़ के मकरूहत क्या है

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज आपको नमाज़ के मकरूहत के बारे में सिखने को मिलने वाला है जिसको नमाज़ पढ़ते वक़्त करना मना किया है.

नमाज़ के मकरूह को जानना बेहद जरुरी है क्युकी मकरूह चीजों को नमाज़ के दरमियान करने पर वह नमाज़ कबूल नहीं होती है बल्कि मकरूह हो जाती है.

आज कल के लोगो को मालूम नहीं है या जान कर अनजान बनते है क्युकी ये बहुत छोटी छोटी चीज़े होती है जिसको हम ये समझ कर छोड़ देते है ये छोटा अमल इसको करने से कोई फायदा नहीं है.

namaz-ke-makroohat

लेकिन आज जो मै बताने जा रहा हूँ जिसको सीखकर और समझकर जानबूझ कर नमाज़ के दरमियान कभी गलती नहीं क्युकी इससे नमाज़ कबूल नहीं होती है.

इन्शाल्लाह अगर आप इस पोस्ट को पढेंगे तो नमाज़ के अंदर जो अनजाने में गलती करते है उस गलती से बच सकते है उसके लिए सबसे पहले मकरूह क्या है इसको समझना जरुरी है.

मकरूह क्या होता है

इस्लाम के हर अमल में फ़र्ज़, सुन्नत, वाजिब और मकरूह के साथ और भी चीज़े होते है जिसका अलग अलग मतलब होता है वैसे आपने Namaz ke Faraiz और Namaz ke Wajibat सीख चुके है इसी लिए आज मकरूह के बारे में बताने लगे है.

मकरूह उस अमल को कहते है जिसको शरियत ने पसंद नहीं किया या उस अमल को करना मना किया गया जिसको करना गुनाह भी हो सकता है.

हर चीज़ में अलग अलग मकरूह इ तन्जिही होते है जैसे वजू में और गुसल में मकरूह होते है उसी तरह नमाज़ के मकरूह होते है.

नमाज़ के मकरूह क्या है

वह काम जो शरियत ने नमाज़ के दौरान करने से मना किया है जिसको जानबूझ करने से करने वाले की नमाज़ में कमी हो सकती है.

लेकिन अफ़सोस की बात ये है की हमारे बहुत मुस्लमान को मकरूह का मतलब मालूम नहीं है तो वह मकरूह अमल को कैसे पहचान सकते है.

इसी लिए आज Namaz ke Makrooh जितने भी होते है जिसको शरियत ने मना किया है वह आज सिखने वाले हो तो चलिए जानते है.

नमाज के मकरूहत कितनी है

नमाज़ के अन्दर Namaz ke Makroohat 22 है जिसको नमाज़ के अन्दर नहीं करना चाहिए आइए इसको विस्तार से सीखे.

लापरवाही से नंगे सर नमाज़ पढ़ना:- नमाज़ के अन्दर टोपी लगाना बेहतर और मुस्तहब है इसी तरह कोई सख्स टोपी लगा सकता है लेकिन फिर भी जानबूझ कर टोपी ना लगाना ये मकरूह है.

अमामे के पेच पर नमाज़ पढ़ना:- यानि कोई सख्स सर के आगे माथे पर अमामे या मोटा पगरी बांध कर नामज़ अदा करे तो ये मकरूह है.

सलाम का जवाब देना:- कोई इन्सान नमाज़ पढ़ रहा है और कोई सख्स उससे सलाम करता है तो वह सख्स नमाज़ के दौरान हाथ या पैर के सहारे सलाम का जवाब देना ये मकरूह है.

आंख बंद करके नमाज़ अदा करना:- कोई सख्स नमाज़ के दौरान इस वजह से आंख बंद करे की उसको नमाज़ में दिल लगे तो ये जायज़ है लेकिन कोई इन्सान मुसलसल सभी रकातो में आंख बंद करके ही पढ़े जा रहा है तो ये गलत है.

चेहरा या निगाह फेरते हुए इधर उधर देखना:- यानि कोई बंदा नमाज़ के दौरान घड़ी पर देखना या ऊपर दीवारे को देखना या बाये दाये देखना ये सब मकरूह है.

मुंह के अन्दर कुछ चीज़े रखना:- मुंह के अन्दर कोई भी चीज़ रख कर नमाज़ को अदा करना ये मकरूह है जैसे खाने की चीज़, मिठाई या चिंगम आदि.

जमाई लेना:- बिना उजर नमाज़ के दौरान जमाई लेना लेकिन इसका ये हरगिज़ मतलब नहीं है की जमाई लेना ही मकरूह है नहीं पहले जमाई को रोके न रोके तो मुंह पर हाथ रख ले तो ये जायज़ है.

कोख या कमर पर हाथ रखना:– जो अमल नमाज़ के दौरान किया जाता है उसके अलावा एक्स्ट्रा करना मकरूह है जैसे बिना मतलब कोख या कमर पर हाथ रखना.

पेशाब या पैखाना का तकाजा होते हुए नमाज़ पढ़ना:- अगर किसी सख्स को पेशाब या पैखाना लगा है फिर भी वह सख्स नियत करके नमाज़ पढ़ने लगे जिसकी वजह से उसका सारा धयान नमाज़ से हट जाये तो ये मकरूह है.

उंगुलिया चटकाना:- नमाज़ के दौरान उंगुलिया चटकाना या उंगुलियो में उंगुलियो डालना ये सब मकरूह तन्जिही है.

आयते तस्बीहात उंगुलिया पर सुमार करना:- अगर आप नमाज़ पढ़ रहे है लेकिन इसी के दौरान आयत या सूरत को उंगुलियो पर सुमार यानि गिनना तो ये मकरूह है.

नमाज़ के दरमियान अंगड़ाई लेना:- यानि नमाज़ पढ़ रहे है और उसी के साथ अंगड़ाई ले रहे तो ऐसा नहीं करना चाहिए मैंने तो कभी करते हुए नहीं देखा लेकिन ये नहीं करना चाहिए.

आलती पालथी मारकर बैठना:- मर्द और औरत के लिए जिस तरह से नमाज़ के अन्दर बैठने का हुक्म दिया गया है उसी तरह बैठे न की आलती या पालथी में बैठना ये सब मकरूह है.

किसी की चेहरे की तरह रुख करके नमाज़ अदा करना:- कोई बंदा हमारे सामने बैठा हुआ था फिर हम उसके सामने नमाज़ पढ़ने के लिए खड़ा हो गया तो हमारी नमाज़ हो जाएगी लेकिन इस तरह से पढ़ना मकरूह है.

आगे सफ में जगह होने के बावाजुद पीछे पढना:- फ़र्ज़ नमाज़ यानि इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहे है लेकिन अगले सफ में जगह है और AC या कूलर की वजह से पिछली सफ में पढ़ना ये मकरूह है.

मर्दों कोहनियों को बिछा कर सजदा करना:- औरत को कोहनियों को निचे बिछा कर पढ़ने का हुक्म है लेकिन मर्द को कोहनियों को उठा कर पढ़ने का हुक्म हुआ न की कुत्ते की तरह निचे बिछा कर ये मकरूह है.

सर या कंधे पर मौजुद कपड़े की दोनों सिरों को लटके हुए छोड़ देना:- यानि कोई सख्स ऐसा कपड़ा पहना है जिसका आस्तीन कन्धा या सर से बहार लटक रहा है तो ये मकरूह है.

बदन या कपड़ो के खेलना:– कोई शख्स है जो नमाज़ के दौरान अपने कपड़े से खेलना लगता है या बदन के किसी अंग से खेलने लगता है जैसे नाख़ून दंत से काटने लगता है या दाढ़ी में खुजलाने लगते है ये मकरूह है.

गंदे कपड़े पहन कर नमाज़ पढना:- यानि कंपनी में काम करने वाले कपड़े या वर्जिस का कपड़ा पहन कर नमाज़ अदा करना मतलब ऐसा कपड़ा पहना जो अपने दोस्तों या मोहल्ले के सामने नहीं जा सकते है वैसे कपड़े पहन कर नमाज़ अदा करना मकरूह है.

जानदार की तस्वीर वाली जगह पर नमाज़ अदा करना:- यानि ऐसी जगह नमाज़ पढ़ना जहाँ पर कोई जानवर या इन्सान को फोटो लगा हुआ है तो ये गलत है.

तस्वीर वाला कपड़ा पहन कर नमाज़ पढ़ना:- बहुत भाई ऐसे जो तस्वीर वाला कपड़ा पहन कर नमाज़ पढ़ता है तो नमाज़ हो जाएगी लेकिन ये मकरूह है.

कपड़े समेटना:- यानि नमाज़ के हालत में कपड़े को समेटना क्युकी आज कल के नौजवान फैशन की वजह से छोटे या बहुत ज्यादा बड़े कपड़े पहनते है जिसको वजह से नमाज़ की हालत में जब रुकू या सजदा करते है तो कपड़ा को समेटने लगते है तो इस तरह का काम मकरूह है.

दोस्तों आज आपने Namaz ke Makroohat के बारे में सिखा की नमाज़ के दौरान 22 ऐसी चीज़े है जिसको करना शरियत ने मना किया है और जिसको करने पर सवाब में कमी हो जाती है.

लेकिन यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है की जितने में Namaz ke Makroohat के बारे में बताया है उनको करने पर भी नमाज़ हो जाती है.

दोस्तों मुझे उम्मीद है आप सभी ये Namaz ke Makroohat वाली पोस्ट अच्छा लगा है अगर मुझसे लिखने में कही भी किसी किस्म का गलती हो गया है तो निचे कमेंट में जरुर बताये और अपने दोस्तों के साथ ये जानकारी जरुर पहुंचाए ताकि ये गलतिया नमाज़ के हालत में करना बंद कर दे.

Leave a Comment