Namaz Ke Wajibat | नमाज़ के वाजिबात

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों आज Namaz ke Wajibat सिखने वाले हो जिनको भूल कर छुट जाने पर सजदा साहू वाजिब हो जाता है लेकिन जानबूझ कर छोड़ने पर नमाज़ को दोहराना पड़ेगा.

Wajibat e Namaz की जानकारी सभी मुस्लिम को होना चाहिए क्युकी इसके बिना आपकी नमाज़ दुरुस्त नहीं मानी जाएगी लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है की बहुत से ऐसे भी मुस्लमान है की जिनको ना Namaz ke Faraiz मालूम है ना ही नमाज़ के वाजिब चीज़े मालूम है.

अगर कोई सख्स 5 से 10 समय लेके इस पोस्ट को पढ़ेगा तो उसको कभी भी नमाज़ वाजिबात के मुताल्लिक किसी भी तरह का शिकायत नहीं रहेगा.

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नमाज के वाजिबात क्या है

नमाज़ के अन्दर कुछ फ़र्ज़ होते है तो कुछ वाजिबात होते है यानि कहने का मतलब है की फ़र्ज़ छुट जाने पर नमाज़ नहीं होगी दुबारा पढ़ना होगा लेकिन नमाज़ में वाजिबात को भूल कर छुट जाने से नमाज़ दोहराना नहीं होगा मगर सजदा साहव करना जरुरी हो जाता है.

सजदा सहव करने का तरीका बिलकुल आसान होता है यानि सलाम फेरने के बाद 2 सजदा करना होता है.

नमाज के वाजिबात कितने हैं

दोस्तों वाजिब की अहमियत और मसाइल समझने के बाद अब जानते है Namaz ke Wajibat 14 होते है जिनको करना जरुरी है लेकिन फ़र्ज़ नहीं है.

सुरह फातिहा के साथ कोई सुरह पढना

फ़र्ज़ की पहली दो रकअतों में और दूसरी नमाज़ों (यानि सुन्नत, वित्र, नफ़्ल) की हर रकअत में सूरह फ़ातिहा के साथ दूसरी सूरह मिलाना।

सुरह मिलाने से पहले सुरह फातिहा पढना।

रुकु करके सीधा खड़ा होना जिसे “क़ौमा” कहते है।

दोनों सजदों के दरमियान बैठना जिसको ‘जलसा” कहते है।

पहला काअ़दह करना।

क़ादा-ए-ऊला (दूसरी रकअत के बाद बैठ कर अत्तहीय्यात पढ़ना) चाहे नफ़्ल नमाज़ हो।

सलाम के साथ नमाज़ खत्म करना।

जोहर और असर की नमाज़ में किरअत धीरे धीरे करना।

वित्र की नमााज़ मेंं दुआएं कुनूत का पढ़ना।

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ईद और बकरीद की नमाज़ में छः जाइद तकबीर कहना।

हर जहरी (यानि फ़ज्र, मग़रिब और इशा की) नमाज़ में इमाम को ऊँची आवाज़ से क़िरात करना।

सूरह फ़ातिहा व दूसरी सूरह के दरमियान “आमीन” कहने और “बिस्मिल्लाह हिर्रहमाँ निर्रहीम” पढ़ने के अलावा कुछ और न पढ़ना।

इमाम जब क़िरात करे ऊँची आवाज़ से हो या आहिस्ता उस वक़्त मुक़तदी का चुप रहना।

दोस्तों आज आप सभी ने सीखा की Namaz ke Wajibat 14 होती है जिनको सीखना और समझना बेहद जरुरी है क्युकी इसके बिना नमाज़ गलत हो जाता है.

उम्मीद करता हूँ की ये हमारी कोशिश आप सभी को अच्छा लगा होगा इसी तरह से इस्लामिक तौर तरीके की जानकारी के बारे सीखना चाहते है तो इस वेबसाइट को अपने सोशल मीडिया चैनल पर शेयर जरुर करे.

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