Muharram Ki 9 Tarikh Karbala Ka Waqia | मुहर्रम की 9 तारीख़ कर्बला का वाकिया

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन मुहर्रम की 9 वीं तारीख ( 9 Muharram Ko ) लशकर में से हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने एक रफीक हज़रत बरीर हमदानी हज़रत इमाम से इजाजत लेकर इब्ने सअद के पास गये ! और उसके पास जाकर बैठ गये!

इब्ने सअद ने कहा कि हमदानी क्या तुम मुझे मुसलमान नहीं समझते ! जो मुझे सलाम नहीं किया ! हमदानी बोले कि लानत है ~ तेरे ऐसे मुसलमान होने पर कि दावा तो इस्लाम का करता है ! और अहले बैते रसूल को दरिया से पानी नहीं लेने देता !

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नहरे फुरात से जानवर भी पानी पी रहे हैं ! मगर साकी-ए-कौसर के लख्ते जिगर प्यास से तड़पते रहें ! इस पर सअद ने कहा कि सच है ! लेकिन मैं क्‍या करूं मुझसे मुल्क रय की हुकूमत नहीं छूटती ! ( तनकीहुश-शहादतैन सफा 58 )

सबक : दुनिया परस्त अपनी आक़बत से अंधा होता है !

9 Muharram – हिकायत- मजलूम सय्यद –

मुहर्रम की 9 वीं तारीख ( 9 Muharram Ko ) सुबह से दोपहर तक इब्ने सअद से गुफ्तगू में गुज़री ! बाद नमाज़ जुहर हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु खेमे से बाहर बैठे हुए ! कलामुल्लाह की तिलावत फ़रमा रहे थे ! और आंखों से आंसू बहते जाते थे !

इस दश्त हौलनाक में उस वक्‍त किसी मुसाफिर खुदा परस्त का गुजर हुआ ! हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु को इस आलम में देखकर उसने आपका हाल पूछा तो आपने फरमाया :

मुसाफिर सय्यदे आवारा वतन हूं

ग़रिक़े कुलजमे रंज़ व मिहन हूं

सितम मुझ पे किया इन शक़ियों ने…

नबी की आल हूं तिश्ना दहन हूं

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कूफियों ने बड़ी-बड़ी ख़ुशामंदों से ख़त और कासिद भेज बुलाया ! और अब मेरे साथ बेवफाई और दगा कर रहे हैं ! और मेरे ख़ून के प्यासे हो गये हैं ! (तनकीहुश-शहादतैन सफा 58

सबक : हज़रत इमाम आली मकाम रजियल्लाहु तआला अन्हु का यह वाक़िया क़्यामत तक यही पुकारता रहेगा ! कि क़ूफियों ने झूठी मुज़ाहिरा करके हज़रत इमाम आली मकाम रजियल्लाहु तआला अन्हु पर इंतिहाई जुल्म व सितम किया ! इस किस्म के झूठे दावा करने वालो से परहेज ही लाज़िम है !

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