Muharram Ke Mahine Ki Ibaddat | मुहर्रम के महीने की इबादत

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम आप लोगो को मुहर्रम की इबादत के बारे में बताएंगे हमें उम्मीद है आपके काम आएंगे अगर आप मुहर्रम के महीने में करने वाली इबादत गूगल पर सर्च कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये हैं |

मुहर्रम के महीने में करने वाली इबादत

सारे जहान के सरदार सल्लल्लाहु अलैहि व सलल्‍लम फरमाते हैं ! कि यह महीना बहुत ही बर्कतों वाला महीना है ! इस माह में आशुरा के दिन और आशूरा की रात की अिबादत की बड़ी फजीलतें हैं !

muharram

नबी करीम सल्लल्लाहु अलेहि व सल्लम ने फरमाया : मुहर्रम का चाँद देखकर चार मर्तबा सूर: इख़्लास पढ़कर अपने ऊपर दम करना बहुत अफ़्ज़ल है !

नफ़ल नमाज़ : पहली रात को इशा की नमाज़ के बाद आठ रकआत नमाज़ चार सलाम से पढ़े ! और हर रकआत में सूर: फातिहा के . बाद सूर: इख़्लास ग्यारह-ग्यारह मर्तबा पढ़े !

अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ की बर्कत से इस नमाज़ के पढने वाले और इस के घर वालों  की वह शफाअत फरमायेगा।

मुहर्रम के महीने में करने वाली इबादत

मुहर्रम (muharram) के महीने में बाद नमाज़ इशा पहली रात चार रक्अत नमाज़ दो सलाम से पढ़े ! ओर सूर: फातिहा के बाद हर रकअत में सूरः इख़्लास ग्यारह – ग्यारह मर्तबा पढ़नी चाहिये ! फिर सलाम फेरने के बाद यह दुआ ग्यारह मर्तबा पढ़ें !

सुब्बूहुन क़ुद्दू सुन्‌ रब्बुना व -रब्बुल मलाइ-कति वर्रूहि

इस नमाज़ के पढ़ने से अल्लाह तआला बेशुमार सवाब अता करेगा !

नफ़ल नमाज़ : पहली तारीख मुहर्रमुलहराम : – muharram ke mahine mein karne wali ibadat

मुहर्रम (muharram) की पहली तारीख को ज़ुहर की नमाज़ के बाद दो रकअत पढ़े ! पहली रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तेरह बार और दूसरी रकअत में सर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास बारह मर्तबा पढ़े ! फिर सलाम फेरने के बाद यह मुबारक दुआ एक बार पढ़े :

अल्लाहुम्म अन्‌-तल्लाहुल्‌ अ-बदुल्‌ क़दीमु हाज़िही स-नतुन्‌ जदी-दतुन्‌ असअलु-क फ़ी-हल्‌ अिस्‌-म-त मि-नश्शैतानिर्रजीमि, वल्‌ अमानि मि-नस्सुलतानिल्‌ जाबिरि वमिन्‌ शर्रि कुल्लि ज़ी शरिन्‌ वमि-नल्‌ बलाइ वल्‌ आफ़ति, वअस्‌अलुकल्‌ औ-न वल्‌अद्‌-ल अला हाजिहिन्नफ्सिल्‌ अम्मा-रति बिस्सूइ वल्‌ इशतिगालि बिमा यु-क़र्रि बुनी इले-क या बर्रु, या रऊफु, या रहीमु, या ज़ल्‌-जलालि वल्‌ इक्रामि

तर्जुमा- ऐ अल्लाह ! तू ऐसा है जिसका न आरंभ है ! और न अन्त ! यह नया वर्ष है ! तुझ से पनाह माँगता हूँ ! इस साल में धुतकारे गये शेतान से ओर अमान ज़ालिम बादशाह से, हर बुरे की बुराई से ओर इन्साफ माँगता हूँ !

आफतों से। और तुझ से पनाहँ माँगता हूँ ! और मदद और इन्साफ माँगता हूँ ! नफ़्स पर जो बुराई सिखाता है ! और में उस चीज़ से लगा रहना चाहता हूँ ! जो मुझ को तुझ से करीब कर दे ! ऐ नेको कार ऐ मेहरबान, ऐ रहम करने वाले और बुजुर्गी और इनाम वाले !

अल्लाह तआला इस नमाज़ ओर इस दुआ के पढ़ने वाले के तमाम गुनाह माफ कर देगा ! ओर उसने चाहा तो वह दुनिया से ईमान के साथ उठेगा !

नफ्ल नमाज़ आशूरा की रात :

आशूरा की रात को इशा की नमाज़ के बाद चार रक्आत नफ़्ल दो सलाम से पढ़े ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद आयतल्‌ कुर्सी तीन-तीन मर्तबा, सूर: इख़्लास दस-दस मर्तबा पढ़े ! फिर सलाम फेरने के बाद सर: इख़्लास को एक सो मर्तबा पढ़कर अपने गुनहों से तौबा करे ! और अल्लाह पाक से माफी माँगे ! इन्-शाअल्लाह ! अल्लाह पाक अपनी रहमत से इस नमाज के पढ़ने वालों के तमाम गुनाह माफ कर देगा !

आशूरा की रात : इस रात में इशा की नमाज़ के बाद आठ रकअत नफ्ल चार सलाम से पढ़े ! हर रक्अत में सूरः फातिहा के बाद सूर: इख्लास 25-25 मर्तबा पढ़नी हे ! फिर सलाम फेरने के बाद दुरूद शरीफ 70 मर्तबा, इस्तिग़फार 70 मर्तबा पढ़कर माफी की दुआ माँगे ! अल्लाह पाक इस नमाज़ पढ़ने वालों की कब्रों को रोशन कर के क़ब्र के अज़ाब से सुरक्षित रखेगा ! ओर कियामत के दिन उसकी मग्फिरत फरमायेगा ! इनशाअल्लाहु तआला !

आशूरा की रात :

इस रात में इशा की नमाज़ के बाद चार. रकअत नफ़्ल की नमाज़ दो सलाम से पढ़े ! ओर हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख्लास पाँच-पाँच मर्तबा पढ़े !

यह नमाज़ गुनाहों के माफ करवाने के लिये अफ्जल हे ! अल्लाह पाक इस नमाज़ के पढ़ने वाले के तमाम गुनाह माफ कर देगा ! और उस की मग्फिरत फमायेगा ! इन्‌-शाअल्लाह !

आशूरा की रात :

इस रात में इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ़्ल दो सलाम से फेरे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद आयतल कुर्सी तीन-तीन मर्तबा, सूर: इख्लास तीन-तीन मर्तबा पढे ! सलाम फेरने के बाद सुर: इख्लास एक सो मर्तबा पढ़े !अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ के पढ़ने वाले को जन्नत में हर तरह की नेमतेंअता की जायेंगी !

आशूरा का दिन : आशूरा के दिन फ़ज़्र की नमाज़ के बाद जब सूरज निकल आये तो दो रक्‌अत नमाज पढ़े ! हर रकअत में सूरः फातिहा के बाद जो भी सूरत याद हो पढ़ ले ! फिर सलाम फेरने के बाद एक मर्तबा नीचे की दुआ को पढ़े ! दुआ यह है :

अल्लाह पाक इस नमाज को पढ़ने वाले ! और दुआ के पढने वाले को बेशुमार अिबादत के सवाब अता फरमायेगा !

आशूरा का दिन :

इस दिन ज़ुहर की नमाज़ से पहले चार रकअत नफ़्लपढ़े ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: जिलज़ाल एक बार, सुर्‌: क़ाफिरून एक बार, सूर: इख़्लास एक बार पढ़े ! सलाम फेरने के बाद सत्तर मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़कर अपने गुनाहों से तोबा करे !

इन्‌ शाअल्लाह तआला इस नमाज़ के पढ़ने वाले के और इस दुआ के पढ़ने वाले के तमाम गुनाहों को माफ फरमा देगा!

आशूरा का दिन : इस दिन ज़ुह्र की नमाज़ से पहले छः रक्‍अत नमाज़ तीन सलाम से इस तर्कीब से पढ़े कि हर रकअत में सूरः फातिहा के पढ़ने के बाद पहली रकअत में सूर: शम्स एक बार, दूसरी में सूरः क़द्र एक बार, तीसरी में सूर: जिलजाल एक बार, चौथी में सूरः इख़्लास एक बार, पाँचवी में सूर: फ-लक्‌ एक बार और छठी रकअत में सुर: नास एक मर्तबा पढ़े ! और फिर सलाम फेरने के बाद सज्दा में सर को रखकर सूर: काफिरून एक बार पढ़कर जिस मुराद के लिये भी दुआ करेगा ! तो अल्लाह पाक क़ुबूल फ़मायेगा

आशूरा का दिन :

ज़ुहर की नमाज़ से पहले आशूरा के दिन चार रकअत  दो सलाम से इस तरह पढ़े कि हर रक्अत में सुर: फातिहा के बाद 15 बार सूरः: इख्लास हर चार रकअतों में पढ़े ! और यह नमाज़ हजरत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसेन अलै0 को बख़्श दे !

नफ्ली रोज़े : मुहर्रम (muharram) में रोज़ा रखने की बड़ी फजीलत है ! पहली तारीख से दस तारीख तक रोजा रखे ! या पहली तारीख को ओर नवी-दसवीं को रोज़ा रखना जरुरी है !

वज़ीफे : मुहर्रम (muharram) की पहली रात से दसवीं की रात तक रोजाना इशा की नमाज़ के बाद एक मर्तबा कलिम-ए-तोहीद का पढ़ना गुनाहों की माफी के लिये बहुत अफ़्ज़ल हे !

मुहर्रम  की पहली रात से दसवीं रात तक इशा की नमाज़ के बाद नीचे की दुआयें 100 मर्तबा पढ़े ! अव्वल और आखिर में दरूद शरीफ भी पढ़ें ! दुआ यह है

muharram-1

बिसमिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम्‌

अल्लाहम्म ला मानि-अ लिमा आतै-त वाला मुअति-य लिमा म-नअ्‌-त वला रादद लिमा क़जै-त वला यन्‌ फ़अु  ज़ल्‌जद्दि मिन्‌ कल्‌ जद्दू

आशूरा के दिन किसी भी समय वुजू करके सत्तर मर्तबा पढ़ें ! दुआ यह है

हसूबि यल्लाहु व निअ-मल्‌ वकीलु

गुनाह की माफ़ी के लिये यह वज़ीफा पढ़ना भी बहुत अफ़्ज़ल है

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