Surah Al Baqarah Ayyat Ki Fazilat | सूरह अल बक़रा की आयत की फ़ज़ीलत

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपको सूरह अल बकरा की आखिरी दो आयत हिंदी में, अरबी में, इंग्लिश में के बारे में बताएंगे, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको सूरह अल बकरा की फ़ज़ीलत का भी अंदाज़ा लग जायेगा। अगर आपको नहीं मालूम तो मैं बताते चलु की सूरह अल बकरा की आखिरी आयत पढ़ने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है।

अगर आप बकरा की आखिरी 2 आयत को कसरत से पढ़ते रहेंगे तो अल्लाह पाक की रहमत से आपकी सारी मुसीबत दूर हो जाएगी और आपके अंदर से बुराईया धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगी। सूरह अल बकरा की आखिरी दो आयात तरजुमे के साथ इमेज भी उम्प्लॉयड किया है आप अपनी आसानी के लिए डाउनलोड करके ज़रूरत पड़ने पर अपढ़ सकते हैं।

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सूरह बकरा की आखिरी दो आयत इन हिंदी

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम। आमनर-रसूलू बिमा उनज़िला इलैहि मीर-रब्बिही वालमुमिनूना कुल्लू आमना बिल्लाहि वमलयिकतीही वा कुतुभीही व रसुलीही ला नुफ़र्रिक बैना अहदीम-मीर-रुसुलिह वा कालू समीना वा अत’ना घुफ़रानाका रब्बाना वा इलैकल-मासीर 286।

ला युकल्लीफुल-लाहु नफ्सन इल्ला वुशाहा लहा माँ कसबत वा ‘आलैहा मक तसाबत रब्बना ला तुवा खिजना इंनसीना अख्ताना रब्बाना ला तूआख़िज़ना रब्बाना वा ला तहमिल- अलैना इसरन कमा हमलतहू’ अल-लज़ीना मिन क़बलिना रब्बना वला तहमिल अलैना माला ता कता लना बिह वहफू ‘अन्ना वघफिर लना वरहमना अंता मौलाना फंसुर्ना ‘अलल कव्मिल कफ़ीरीन (40)

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत का तर्ज़ुमा हिंदी में

ए अल्लाह के नाम पर जो सबसे करीम, सबसे रहीम है । रसूल उस पर ईमान रखता है जो उस पर उसके रब की ओर से उतारा गया है, जैसा ईमानवाले करते हैं।

उनमें से हर एक अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान रखता है। “हम उसके दूतों में से एक और दूसरे के बीच कोई भेद नहीं करते (वे कहते हैं)। और वे कहते हैं: “हम सुनते हैं, और हम मानते हैं: (हम चाहते हैं) तेरा क्षमा, हमारे भगवान, और तेरे लिए सभी यात्राओं का अंत है।” 286। किसी भी आत्मा पर अल्लाह इतना बोझ नहीं रखता जितना वह सहन कर सकता है।

वह जो कुछ भी कमाता है वह उसे मिलता है, और वह हर उस बीमारी को भुगतता है जो वह कमाता है। (प्रार्थना करें:) ए अल्लाह! अगर हम भूल जाते हैं या गलती में पड़ जाते हैं तो हमारी निंदा न करें; ए अल्लाह! जैसा तू ने हम से पहिले उन पर डाला, वैसा बोझ हम पर न डाल; ए अल्लाह! हम पर जितना भार उठाने की शक्ति है, उससे बड़ा बोझ हम पर न डालें। हमारे पापों को मिटा दो, और हमें क्षमा प्रदान करो। हम पर दया करो। तू हमारा रक्षक है; विश्वास के विरुद्ध खड़े होने वालों के विरुद्ध हमारी सहायता करो।

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत अरबी में

بسم اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ $$ آمَنَ الرَّسُولُ بِمَا أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِ وَالْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ آمَنَ بِاللَّهِ وَمَلَائِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّن رُّسُلِهِ ۚ وَقَالُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ (۲۸۵) لَا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَا إِن نَّسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِ ۖ وَاعْفُ عَنَّا وقفہ وَاغْفِرْ لَنَا وقفہ وَارْحَمْنَا وقفہ ۚ أَنتَ مَوْلَانَا فَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ(۲

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत इंग्लिश में

Bismillaahir Rahmaanir Raheem. Aamanar-Rasoolu bimaaa unzila ilaihi mir-Rabbihee walmu’minoon; kullun aamana billaahi wa Malaaa’ikathihee wa Kutubhihee wa Rusulihee laa nufarriqu baina ahadim-mir-Rusulih wa qaaloo sami’naa wa ata’naa ghufraanaka Rabbanaa wa ilaikal-maseer286. Laa yukalliful-laahu nafsan illaa wus’ahaa; lahaa maa kasabat wa ‘alaihaa maktasabat;

Rabbanaa laa tu’aakhiznaaa in naseenaaa aw akhtaanaa; Rabbanaa wa laa tahmil-‘alainaaa isran kamaa hamaltahoo ‘alal-lazeena min qablinaa; Rabbanaa wa laa tuhammilnaa maa laa taaqata lanaa bih; wa’fu ‘annaa waghfir lanaa warhamnaa; Anta mawlaanaa fansurnaa ‘alal qawmil kaafireen (section 40)

सूरह बकरा की आखिरी दो आयत का तर्ज़ुमा इंग्लिश में

In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful. The Messenger believeth in what hath been revealed to him from his Lord, as do the men of faith. Each one (of them) believeth in Allah, His angels, His books, and His messengers.We make no distinction (they say) between one and another of His messengers.” And they say: “We hear, and we obey: (We seek) Thy forgiveness, our Lord, and to Thee is the end of all journeys.”286. On no soul doth Allah Place a burden greater than it can bear. It gets every good that it earns, and it suffers every ill that it earns. (Pray:) “Our Lord! Condemn us not if we forget or fall into error; our Lord! Lay not on us a burden Like that which Thou didst lay on those before us; Our Lord! Lay not on us a burden greater than we have the strength to bear. Blot out our sins, and grant us forgiveness. Have mercy on us. Thou art our Protector; Help us against those who stand against faith.

सूरह अल बकरा की फ़ज़ीलत (फायदे)

हम आपको सूरह अल बकरा के पढ़ने के 3 फायदे के बारे में बताएंगे जिसे पढ़कर आपको यक़ीन को हो जायेगा की क़ुरान शरीफ की इन दो आयत में अल्लाह पाक की तरफ से कितनी बड़ी फ़ज़ीलत है।

जिस शख्श ने सूरह बक़रह की आखिरी दो आयत को रात में पढ़ कर सोयेगा तो ये उसके लिए काफी हो जाएगी। यहाँ पर काफी का मतलब है की अगर वो आज दुनिया से चले जाये तो उनकी निजात हो जाएगी। इंसान जब सोता है तो उसे दुनिया की खबर नहीं होती है अगर वो उसी हालात में इंतेक़ाल कर जाये तो उसकी निजात हो जाएगी।

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एक और हदीस में है की लास्ट दो आयत बक़रह की पढ़ने से ये हर सर और हर बुराई से दूर रखने के लिए काफी है। अगर आप सूरतुल बक़रह की आखिरी दो आयत को पढ़ेंगे तो आप हर बुरी आदत और बड़ी परेशानी से दूर रहेंगे।

जब आप सलल्लाहुअलैहिवसल्लम को अल्लाह पाक ने जब उन्हें मेराज़ में बुलाया और उन्हें नमाज़ का तोहफा दिया तो अल्लाह तआला ने इनके साथ और भी तीन चीज़े दी।

  1. पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ना
  2. सूरह बक़रह की आखिरी दो आयत भी नमाज़ के साथ दी।
  3. तीसरा ये एलान किया की जो भी उम्मत में से शिर्क नहीं करेगा उसे मैं माफ़ करदूंगा।

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