Sajda Tilawat Ki Dua | सजदा तिलावत दुआ

अस्सलामु अलैकुम मेरे भाइयों और बहनों आज हम इस पोस्ट में सजदा तिलावत के बारे में इंशा अल्लाह पूरा जानेंगे।

सजदा तिलावत किसे कहते हैं?

कुरान की तिलावत करते यानी पढ़ते वक्त अगर कहीं सजदा लिखा हुआ आ जाता है तब सजदा तिलावत किया जाता है।

सजदा तिलावत कुरान की किन-किन सूरत में है?

कुरान की तिलावत के वक्त जिन जिन सूरतों की आयतों पर सजदा तिलावत किया जाता है, अक्सर उलेमाओं का एतमाद(विश्वास) है कि 15 ऐसी आयते हैं जिन पर रसूलअल्लाह(सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम) ने  अल्लाह को सजदा किया है और वह इस तस्वीर में मौजूद है

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सजदा तिलावत की दुआ

आइशा(उम्मुल मोमिनीन) ने बयान किया

रसूलल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने रात में कुरान पढ़ते वक्त सजदा किया और वह सजदे में बार-बार दोहरा रहे थे

‏ سَجَدَ وَجْهِي لِلَّذِي خَلَقَهُ وَشَقَّ سَمْعَهُ وَبَصَرَهُ بِحَوْلِهِ وَقُوَّتِهِ

सजदा वजहिया लिल्लजी खलकहु, व शक्का समअहु व बसरहु, बि हौलिही व कुव्वतिही।

मेरा चेहरा उसे सजदा करता है जिसने उसे अपनी ताकत और कुव्वत से बनाया और उसे सुनवाई(कान) और बिनाई(आँखे) दी।

इब्न अब्बास(रजियल्लाहु अन्हु) ने बयान किया

“मैं रसूलअल्लाह(सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम) के साथ था और एक आदमी उनके पास आया और कहा कल रात जब मैं सो रहा था मैंने देखा कि मैं एक पेड़ के नीचे नमाज पढ़ रहा हूँ और मैंने एक सजदे की आयत पढ़ी और सजदा किया और जब मैंने ऐसा किया तो पेड़ ने भी सजदा किया और मैंने उस पेड़ को कहते हुए सुना

‏ اللّٰهُمَّ اكْتُبْ لِيْ بِهَا عِنْدَكَ أَجْراً، وَضَعْ عَنِّيْ بِهَا وِزْراً، وَاجْعَلْهَا لِيْ عِنْدَكَ ذُخْراً، وَتَقَبَّلْهَا مِنِّيْ كَمَا تَقَبَّلْتَهَا مِنْ عَبْدِكَ دَاوُدَ

अल्लाहुम-मकतुब ली बिहा इन्दका अजरन, वदआ अन्नी बिहा विज़रन, वज-अलहा ली इन्दका जुखरन, व तकब्बलहा मिन्नी कमा तकब्बलहा मिन-इन्दिका दावूद।

ऐ अल्लाह, इसे मेरे लिए एक इनाम के रूप में लिख लो, और मुझे इसके लिए एक बोझ से मुक्त कर दो, और इसे मेरे लिए जन्नत में खजाना बना दो।  इसे मुझसे वैसे ही स्वीकार(कबूल) कर लो जैसे तुमने इसे अपने दास(बंदे) दाऊद से स्वीकार किया था।

इब्न अब्बास कहते हैं मैंने देखा कि रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सजदे की आयत पढ़ी और सजदा किया और मैंने उन्हें कुछ वैसा ही कहते हुए सुना जो आदमी बता रहा था कि पेड़ ने यह कहा।

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सजदा तिलावत का तरीका

तहज्जुद या तरावीह या कोई नफिल नमाज पढ़ते वक्त अगर कुरान की तिलावत में कहीं सजदा लिखा आ जाता है तब तकबीर(अल्लाहु अकबर) कहकर सजदा तिलावत किया जाता है।

अगर आप नमाज की हालत में नहीं है और वैसे ही कुरान पढ़ रहे हैं और कहीं कुरान में सजदा लिखा आ जाए तब भी आप तकबीर या बिना तकबीर के सजदा तिलावत कर सकते हैं।

सजदा तिलावत करना सुन्नत है वाजिब नहीं, यानी कि कुरान की तिलावत के वक्त अगर कहीं सजदा आ जाए और आपने सजदा नहीं किया तो कोई गुनाह नहीं लेकिन करना बेहतर है क्योंकि यह नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की सुन्नत है।

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