Tauba Ki Dua in Hindi | तौबा की दुआ हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो आज जाने की हम सब की ज़िंदगी में जाने या अंजाने में जो गुनाह होते हैं उन गुनाहों से तौबा कैसे करें, अल्लाह से अपनी गुनाहोकी मगफिरत कैसे करें, लेनकिन सब से पहले ये जानना बहुत ही जरूरी है कि तौबा क्या है, किस तरह हम अपने गुनाहों से तौबा अपने अल्लाह से कर सके।

अल्लाह के अहम के खिलाफ किए हुए काम पर इंसान शर्मिंदा हो जैसा अल्लाह के रसूल ने देखा ने फरमाया

“अपने गुनाह पर शर्मिंदा होना ही तौबा है इस की निशानी ये है कि आदमी का दिल नरम पड़ जाता है और आंखों से आंसू निकल आते हैं।”

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आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम  ने फरमाया देखा

“तौबा करने वालों की सोहबत इख्तियार करो यानी उनके पास उठो बैठो क्योंकि उनके दिल नरम होते हैं।”

तौबा की 3  शर्त  है

(1) अपने गुनाहों पर शर्मिन्दा होना

(2) हर हाल में गुनाह को छोड़ देना

(3) दोबारा गुनाह न करने का इरादा करना

बंदा अपने गुनाहों की वजह से रिज्क से महरूम कर दिया जाता है”

“जीना से मोहताजी और फकीरीआती है”

कुछ लोगों का कहना है कि जब तुम अपनी जिंदगी में कुछ अलग महसूस करो या तुम्हारे रिज्क में तंगी या करोबार में दिक्कत, परेशानी आए तो ये समझ लेना चाहिए कि हम ने अल्लाह के किसी हुक्म की नफरमानी की है। और अपने नफ्स की बात को मन है

और देखो जब लोग तुम पर ज़बान दर्जी करे या दस्त दर्जी करे या कोई तुम पर हाथ उठाये या तुम्हारे जान और माल, या बच्चन पर मुसिबतें आ रही है तो जान लो कि तुम ने अल्लाह के मन हुए काम को किया वो सारे काम किया है जिस से अल्लाह के हुक्म की नफरमानी होती है उस वक्त अपने आप को अल्लाह के आगे रो रो कर अपने गुनाहों की माफी मांगे।

जब जिंदगी में ऐसे हाल महसूस हो तो समझ लेना चाहिए की

हमने अल्लाह पर यकीन नहीं किया, उसकी रजा पर रज़ी नहीं हुआ, बंदे और अल्लाह के मखलूक के बीच में इंसाफ नहीं किया, अल्लाह के वादे के खिलाफ काम किया इनी वजह से अल्लाह ने हम पर ये परशानी देकर गुनाहों की माफी का मौका दिया जब आदमी गुनाह करता रहता है तो उसका दिल पूरा काला हो जाता है उसके बाद उसके दिल पर दीन की कोई बात असर नहीं करती वो गुनाहों में डूबा चला जाता है। लेकिन जो बंदा अपना गुनाह पर शर्मिंदा होता है, और दुबारा गुनाह ना करने का इरादा करता है तो अल्लाह हमको आदमी से बहुत खुश होता है और हमें के गुनाहों को माफ फरमा देता है।

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गुनाह से तौबा करने की दुआ

अस्तगफिरुल्लाह अल-लजी ला इलाहा इल्ला हुवा अल-हय्युल कय्यूम व अतुबु इलैह”

(मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगता हूं जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसकी तरफ तौबा करता हूं)

गुनाहों से तौबा करने के लिए नमाज पढ कर अल्लाह के सामने दुआ करें

तौबा अस्तगफार पढ़े

अपने गुनाहों का कफ़र अदा करे

अल्लाह ने अपने बंदों को माफ़ी का विकल्प दिया हुआ है अकसर लोग गुनाह को छोटा समझ कर गुनाह करते हैं और उसी में मुबिला हो जाते हैं लेकिन दोस्तो हमें किसी भी गुनाह को छोटा नहीं समझना चाहिए। अगर गुनाह हो भी गया है तो फौरन 2 रकात नमाज पढ कर अल्लाह के सामने अपने गुनाहों पर शर्मिंदगी का एहसास दिला कर माफी तालाब करे।

गुनाहों का बोझ इंसान को हमेशा परेशान करता है

फ्री की टेंशन हमें प्रति सवार होती है

डिप्रेशन में चला जाता है

कोई भी चीज में मन नहीं लगता ये सिर्फ या सिर्फ गुनाहों की वजह से होता है। लेकिन गुनाह है तो उसकी माफी है, अल्लाह के सामने खुलूस दिल के साथ तौबा करने से अल्लाह तमाम गुनाहों को माफ फरमा देते हैं।

अल्लाह हम सब को तमम् गुनाहों से महफूज फरमाये अमीन

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