Namaz ki Sunnat in Hindi | नमाज की सुन्नत हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो नमाज़ की सुन्नत जिसका करना जरुरी है और करने वाला अजरो सवाब पाएगा और सुन्नत किये बगैर नमाज़ दुरुस्त नहीं होगी और सवाब कम हो जाएगा.

जिस तरह से नमाज़ के फ़राइज़ और नमाज़ के वाजिबत जानना जरुरी है उसी तरह से सभी को नमाज़ की सुन्नत भी जानना जरुरी हो जाता है.

फ़र्ज़ व वाजिब के साथ सुन्नत भी सही तरीका से किया जाए तो नमाज़ में कई गुन्ना ज्यादा सवाब बढ़ जाएगा और दुरुस्त भी होगा.

नमाज़ पढ़ने से पहले नमाज़ की फ़रायज़, सुन्नत, वाजिबात और मकरूह के बारे में जानकारी लेना चाहिए जिससे आपकी नमाज़ कुरान व हदीस की बताए हुए तरीके पर मुकम्मल हो जाए.

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5 वक़्त की नमाज़ में फ़र्ज़ और वाजिब के अलावा कुछ ऐसी भी नमाजे है जो हमारे नबी (सल्लाहु अलैहे वसल्लम) पढ़ते थे उनको सुन्नत कहते है. सुन्नत दो तरह की होती है पहला सुन्नत ए मोकादा और दूसरा सुन्नत गैर मोकिदा.

नमाज की सुन्नत कितनी होती है

नमाज़ में कुल 51 सुन्नत है जो सुन्नत मोकादा और सुन्नत गैर मोकिदा होता है जिसमे आसानी से समझने के लिए इसे 5 हिस्से में तकसीम (Divide) कर दिया गया है.

  1. कयाम की सुन्नत
  2. किरअत की सुन्नते
  3. रुकू की सुन्नते
  4. सजदे की सुन्नते
  5. कदह की सुन्नते

कयाम की सुन्नत

कियाम में कुल 11 सुन्नते है कियाम का मतलब जब हम नमाज़ के दौरान खड़ा रहते है उसी को कियाम कहते है.

तकबीर तहरिमा के वक़्त सीधा खड़ा होना ना सर झुका हो और ना सर ज्यादा पीछे की ओर झुका हो

दोनों पैरो के दरमियान चार ऊँगली का फासला रखना चाहिए और दोनों पैरो की उंगलियों को क़िबला की तरफ रखना चाहिए.

मुक्तदी का तकबीर तहरिमा इमाम के तकबीर तहरिमा के साथ होना चाहिए यही जब इमाम अल्लाहु अकबर कहे तो उसी के साथ मुक्तदी भी अल्लाहु अकबर कहे.

तकबीर तहरिमा के वक़्त दोनों हाथो को कानो तक उठाना

दोनों हथेलियों को क़िबला की तरफ होना

उंगलियों को अपनी हालत में रखना चाहिए ना ज्यादा खुला और ना ज्यादा बंद रखना

दाहिने हाथ को बाए हाथ के पुस्त पर रखना

उंगुलिया और अगुठे से हल्का बना कर गत्ते को पकड़ना

दरमियान तिन उंगुलियो को ऊपर की तरफ रखे

दोनों हाथो को नाफ के निचे बांधना और औरतों को दोनों हाथ सीने पर बगैर हल्का बनाए इस तरह रखना कि दाहिना हाथ बाएं हाथ के ऊपर हो

हाथ बाँधने के बाद सना पढ़ना

किरअत की सुन्नते

नमाज़ की किरआत में 7 सुन्नते है जो कुछ इस तरह है:

ताऊज पढ़ना यानि आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ना

हर रकात के शुरू में बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम पढ़ना

सुरह फातिहा ख़त्म होने के बाद आमीन कहना

फज़र और जोहर में तिलावते मुफ़स्सल यानि सुरह हुजुरात से बुरुज तक और असर व ईशा में औसाते मुफ़स्सल यानि सुरह बुरुज से सुरह लम यकून तक और मगरिब में किसारे मुफ़स्सल यानि सुरह इजा जुलजिलतिल से सुरह नास तक सूरते पढ़ना.

फजर की पहली रकात को दूसरी रकात के मुकाबले लम्बी करना

ना ज्यादा जल्दी पढ़ना ना ज्यादा ठहरकर बल्कि दरमियानी रफ़्तार से पढ़ना

फ़र्ज़ की तीसरी और चौथी रकात में सिर्फ सुरह फातिहा पढ़ना यानि सूरत मिलाना नहीं है

रुकू की सुन्नते

नमाज़ की सुन्नत में रुकू की 8 सुन्नत होती है जो कुछ यु है:

रुकू की तकबीर कहना यानि रुकू में जाते वक़्त अल्लाहु अकबर कहे

रुकू में दोनों हाथो से दोनों घुटनों को पकड़ना

घुटने को पकड़ते वक्त मर्द को हाथ की उंगलियां को कुशादा रखना औरतो को उंगलियां मिलाकर रखना।

रुकू के वक़्त अपनी पीठ को बिछा कर रखना

पिंडलियों को सीधा खड़ा रखना

सर और शिरीन को बराबर में रखना

रुकू में कम से कम तिन मर्तबा सुबहाना रब्बियल अज़ीम पढ़ना

रुकू से उठते वक़्त इमाम को समिल्लाहु लिमन हमीदा और मुक्तदी को रब्बना लकल हम्द पढ़ना अगर अकेले पढ़ रहे हो तो दोनों मुक्तदी को कहना होगा

सजदे की सुन्नते

सजदे की कुल 12 सुन्नते होती है

सजदे में जाते वक़्त तकबीर कहना यानि अल्लाहु अकबर कहना

सजदे में जाते वक़्त पहले दोनों घुटनों को रखना

घुटनों को रखने के बाद दोनों हाथो को रखना चाहिए

हाथो को रखने के बाद नाक को रखना

नाक रखने के बाद पेशानी को रखना

सजदे में दोनों हाथो को सर के दरमियान रखना चाहिए

सजदे में पेट को रानो से अलग रखना और पहली को बाजू से अलग रखना चाहिए

कुहनियो को जमीन से अलग रखना और औरतों का अपने पेट को रानों से केहुनियों को पहलू से मिला कर रखना और पांव को जमीन पर बिछा हुआ रखना।

सजदे में कम से कम तिन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ना

सजदे से उठते समय तकबीर कहना

सजदे से उठते वक्त पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ और फिर घुटनों को उठाना।

दोनों सजदे के दरमियान इत्मिनान के साथ बैठना चाहिए

कदह की सुन्नते

नमाज़ की सुन्नत में कायदे (Attahiyat पढ़ने के वक़्त) की कुल 13 सुन्नत होती जो कुछ यु है:

दाये पैर को खड़ा रखना और बाए पैर को बिछा कर उसपर बैठना

दोनों हाथो को रानो के ऊपर रखना

तशाहुद में यानि अत्ताहियत पढ़ते वक़्त जब Ashhadu an la ilaha पहुंचे तो शहादत की उंगलिया उठाना और illallah के बाद ऊँगली निचे गिरा देना

नमाज़ के आखिरी रकात में अत्ताहियत के बाद दरुदे इब्राहीम को पढ़ना

दरुदे इब्राहीम पढ़ने के बाद दुआ ए मशुरा पढ़ना

जब नमाज़ मुकम्मल हो जाए तो दोनों तरफ सलाम फेरना

दाहिने तरफ से सलाम फेरना ये सुन्नत है

सलाम फेरते वक़्त इमाम को मुकत्दी, फ़रिश्ता और नेक जिन्नात का नियत करेगा

मुकत्तादी को सलाम फेरते वक़्त इमाम, फ़रिश्ता और नेक जिन्नात की और दाये तरफ जो मुकतादी है उसका नियत करना फिर बाए तरफ की मुकत्दी की नियत करना

अकेला नमाज़ पढ़ने वाला सिर्फ फ़रिश्ता की नियत करे

मुकतादी को इमाम के साथ साथ सलाम फेरना

दुसरे सलाम की आवाज़ को पहले सलाम की आवाज़ से पस्त यानि धीमी रखे

मस्बूक को इमाम के फारिग होने का इंतजार करना यानि जिसका एक या दो रकात छूती हो तो दूसरी सलाम के बाद खड़ा होना चाहिए

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नमाज़ में सुन्नत अमल छुट जाने से नमाज़ हो जाएगी?

दोस्तों आप सभी को मालूम होता है की कोई भी नमाज़ में करने वाली अमल फ़र्ज़ और वाजिब के अलावा सुन्नत होता है जिसमे फ़र्ज़ अमल छुट जाने से नमाज़ नहीं होगी उसी तरह वाजिब छुट जाने से सजदा साहव वाजिब हो जाता है लेकिन सुन्नत छुट जाने से नमाज़ हो जाएगी मगर सवाब कम हो जाएगा.

मुझे उम्मीद है की नमाज़ की सुन्नत के बारे में अब आपको बहुत जानकारी हो गयी अब जब नमाज़ पढेंगे तो ये सुन्नत को साथ साथ फॉलो करेंगे.

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