Iman Ke 6 Arkan | ईमान के 6 अरकान

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो हर एक मुसलमान को ईमान के 6 स्तंभ के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए अगर किसी भी इंसान को ईमान के 6 अरकान पर यक़ीन नहीं होगा तो वह मुसलमान नहीं कहलाया जा सकता।

इसलिए आज मैं आपको ईमान के 6 अरकान कौन-कौन से हैं? उसके बारे में बताऊंगा, आप इन इस्लाम के जानकारी को ज़रूर और मुसलमानो तक पहुंचाए।

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ईमान क्या है?

ईमान का मतलब यक़ीन होता है, अगर आप मुस्लमान हैं तो आप को अल्लाह पाक के द्वारा दिए गए हुकुम को मन्ना पड़ेगा इसी चीज़ को हम ईमान कहते हैं।

इस्लाम में ईमान के कितने अरकान हैं?

इस्लाम में ईमान के 6 अरकान हैं

  1. अल्लाह पर ईमान लाना
  2. फरिश्तों पर ईमान लाना
  3. आसमानी किताबो पर ईमान लाना
  4. नबियों पर ईमान लाना
  5. आख़िरत पर ईमान लाना
  6. अच्छी बुरी तक़दीर पर ईमान
  7. अल्लाह पर ईमान लाना

ईमान का पहला मूल स्तंभ हैं अल्लाह पर ईमान लाना, मतलब हर मुसलमान को यह यक़ीन होना चाहिए की अल्लाह पाक ने ही इस दुनिया को बनाया हैं और इस दुनिया का बादशाह हैं।

अल्लाह पाक क़ुरान पाक की सूरतो में इसका ज़िकर कुछ इस तरह करते हैं,

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ ۚ هَلْ مِنْ خَـٰلِقٍ غَيْرُ ٱللَّهِ يَرْزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ

तर्ज़ुमा: ऐ इंसानो! अल्लाह की तुमपर जो फज़ल उ करम (दया) है, उसे याद करो। क्या अल्लाह पाक के सिवा कोई और पैदा करनेवाला है, जो तुम्हें आस्मां और ज़मीन से रोज़ी देता हो? उसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं। तो तुम क्यू अल्लाह से दूर होते जा रहे हो?

फरिश्तों पर ईमान लाना

दूसरा ईमान हैं फ़रिश्तो पर यक़ीन करना। हर इस्लाम पर यक़ीन रखने वाले को यह विश्वाश होना चाहिए की अल्लाह पाक ने ही फ़रिश्तो को बनाया हैं उन फ़रिश्तो को कुछ न कुछ काम दिया गया हैं और वह सिर्फ अल्लाह के हुकुम को मानते हैं जिसमे से कुछ फ़रिश्तो के नाम हैं जिब्रील अ, स और इस्राफील अ, स आदि।

आसमानी किताबो पर ईमान लाना

ईमान का तीसरा स्तम्भ हैं अल्लाह पाक ने जितनी भी किताबे दुनिया में भी उनपर यक़ीन करना। जैसे तौरात मूसा अ. स. पर और क़ुरान शरीफ मोहम्मद स. अ. पर।

इसका ज़िक्र सूरह अल इमरान में कुछ इस तरह हैं,

نَزَّلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ بِٱلْحَقِّ مُصَدِّقًۭا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَأَنزَلَ ٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ

तर्ज़ुमा: उसने तुमपर हक़ के साथ किताब उतारी जो पहले की (किताबों की) पुष्टि करती है, और उसने तौरात और इंजील उतारी।

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नबियों पर ईमान लाना

हर मुस्लमान को यह यक़ीन होना चाहिए जितने भी नबी अल्लाह पाक ने दुनिया में भेजे चाहे उसका नाम क़ुरान शरीफ में हो न हो उन नबियो पर यक़ीन रखना। क़ुरान शरीफ में 25 नबियो का ज़िक्र किया गया हैं जिसमे कुछ नबी के नाम हैं – इल्यास, अल-यासा, यूनुस, ज़करिआ, यहया, ईसा और मोहम्मद स. ल. है।

आख़िरत पर ईमान लाना

पांचवा इस्लाम का अरकान हैं आख़िरत पर यक़ीन करना की मरने के बाद फिर ज़िंदा होना हैं और हमने जो अच्छे और बुरे आमाल किए हैं उसका हश्र के मैदान में हिसाब देना देना हैं।

अच्छी बुरी तक़दीर पर ईमान

छठवाँ अरकान यह हैं की जो भी कुछ भी अच्छा या बुरा हमारी ज़िन्दगी में होता हैं सब अल्लाह की मर्ज़ी से होता है

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