Hadees Sharif | हमारे प्यारे नबी के 10 वसीयतें हिंदी में

Hadees Sharif  हमारे प्यारे नबी के 10 वसीयतें हिंदी में Pyare Nabi ki Baatein, Hadees sharif, अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु, दोस्तों एक बार फिर से खैरो मखदम है आपका हमारे Duanamaz.com वेबसाइट पर आज हम अपने प्यारे नबी के 10 वसीयतों के बारे में जानेगे और इन्शाह अल्लाह हम अपने प्यारे नबी के इन वसीयतों पर अमल भी करेंगे तो चलिए जानते है | Click This Website Sarkarijobseva.com there all PDF, Current Affairs, Study Materials, etc, Available hare

Hadees Sharif | हमारे प्यारे नबी के 10 वसीयतें हिंदी में

बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम

वसीयत का सही मतलब :वसीयत का सही मतलब ये हैं कि किसी को अच्छी बातें  अच्छी सलाह सलाह, नसीहत करना और अच्छी बात बताना

लेकिन जब वसीयत की बात होती है तो हमारे ज़हन में बस एक ही बात आता है कि किसी के बाप दादा ने मरते वक़्त उसको इतने property की या फिर इस बात की वसीयत की है, लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की या समझने की कोशिश की है कि हमारे प्यारे नबी S.A.W ने हम सब के लिए और तमाम उम्मत के लिए क्या वसीयत की है, तो चलिए जानते है उन 10 वसीयतों के बारे में

हज़रत मआज़ रजिo अल्लाहो तआला अन्हा फरमाते हैं कि मुझे हुज़ूर S.A.W ने 10 बातों की वसिय्यत फ़रमाई

1. अल्लाह के साथ किसी को भी शरीक न करना चाहे फिर क्यों न तुम्हारा क़त्ल कर दिया जाये या फिर तुम्हे आग के सोलों में जला दिया जाये

1. इसका मतलब ये की ये सर झुके गा तो बस सिर्फ अल्लाह के सजदों के लिए झुकेगा मौत, रिज्क, परिशानी, ये सब अल्लाह देता है और इसमें किसी का कोई दखल अंदाज़ी नहीं है |

2. अपने माँ बाप की ना फ़रमानी कभी मत करना चाहे फिर क्यों वो तुम घर से बे दखल कर दें

इमाम ग़ज़ाली रजिo ने फ़रमाया है कि एक खता ऐसा भी है कि जिस की सज़ा आख़िरत में तो मिलेगी ही और दुनिया में भी मिलती है और वो वालिद वालिदैन की नाफरमानी है और एक नेकी ऐसी भी है जिसकी जज़ा आख़िरत में तो है ही उसका सिला दुनिया में भी मिलता है |

3. नमाजे फ़र्ज़ जान भूझकर न छोड़ना फ़र्ज़ नमाज़ को जो इन्शान जान भूझकर छोड़ देता है अल्लाह ताला उससे बरी हो जाता है

अल्लाह तआला अपना ज़िम्मा जब इंसानो से उठा लेता है तो ज़ाहिर है कि रुसवाई उसका किस्मत बन जायगा , अल्लाह की रहमतों और उसकी ज़िम्मेदारी में रहना बहुत ही बड़ी नेअमत है |

4. शराब न पीना क्यों की ये हर गुनाह और मुसीबत की जड़ है |

5. कभी अल्लाह की नाफरमानी न करना इससे अल्लाह का आजाब और कहर नाजिल हो ता है |

जब कोई काम या चीज़ आपके सामने करने या देखने या सुनने जैसी आए तो तो पहले हमें ये देखना और सोचना चाहिए कि इस को करने में क्या अल्लाह की फरमा बरदारी है या नाफ़रमानी है, अगर इस काम को करने से अल्लाह खुश न हों तो कम से कम नाराज़ भी न हो |

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6. जंग या लड़ाई में कभी न भागना चाहे क्यू न फिर आपके सभी साथी मारे जाएँ

इसका मतलब ये की अपने अल्लाह से बीमारी लड़ाई, आज़माइश, बीमारी, मुश्किल न मांगो बल्कि आफ़ियत व खैरियत मांगो लेकिन अगर आप पर ये सब पड़ जाए इनसे पुरे हिम्मत और बहादुरी से मुकाबला करें न की पिच दिखा कर भाग जाये यही एक सच्चे मुसलमान की शान और पहचान है |

7. अगर किसी तरह की कोई हैजा या फिर खतरनाक बिमारी फ़ैल जाए तो वहां से न भागना
8. अपने साथियों फैमली पर खर्च करना

जितनी आपकी हैसियत और इनकम हो उसी के मुताबिक अपने घर वालों  और साथियों पर खर्च करो कंजूसी और बुख्ल से काम न लो और फुजूल के खर्चे भी करो |

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9. अदब सिखाने के लिए उन पर छड़ी या हाँथ न उठाना

इसका मतलब ये है की औलाद को पता होना चाहिए की अगर हमने कोई अपने वालिद वालेदैन की ना फ़रमानी की है तो हो सकता है वो हम पर छड़ी या हाँथ उठायें न की अपने बच्चो टार्चर करने के लिए |

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10. अपने अल्लाह से उनको हमेशा डराते रहना

अपने अहलो अयाल से अपने दिलों में अल्लाह का खौफ़ पैदा करते रहो क्यूंकि यही एक जरिया या कुंजी है जो हर गुनाहों से निकाल कर नेकी के रास्ते पर आपको ले जाएगा |

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