Darood-e-mahi in hindi दरूद-ए-माहि हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज मै आप सभी के लिए दरूद-ए-माहि और दरूद-ए-माहि की फ़ज़ीलत लेकर आये है जिससे आपको इसमें ये जान्ने के लिए मिलेगा की दरूद-ए-माहि पढ़ने का कितना बड़ा सवाब मिलता है और सुनने का भी इसलिए ये Darood-e-mahi or Darood-e-mahi ki fazilat आगे लोगो तक जरूर पहुचाये ताकि उनको भी ये इस्लामिक जानकारी मिले

Darood-e-mahi

Darood-e-mahi पढ़ने के लिए सबसे पहले बिस्मिल्लाह पढ़ना जरूरी है किसी भी काम को करने से पहले बिस्मिल्लाह जरूर करले इससे आपकी नेक काम जो भी करेंगे इंशाल्लाह बहुत अच्छे से पूरा होगा

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बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम्

अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिव्वं अला आलि मुहम्मिदन् खैरल ख़लाइकि वअफजलिल बशरि वशफीअिल उममि यो मल हशरि वन्नशरि व सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदिव्वं अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन् बिअ ददि कुंल्लि मालूमिल्लक  सल्लि अला मुहम्मदिव्वं अला आलि मुहम्मिदव्वं बारिक व सल्लि

अला जमीअिल अम्बियाइ वल  मुरसलीन  व सल्लि अला कुल्लिल मलाइकतिल मुक़र्रबीन व अला अिबादिल्लाहिस्सालिही न व सल्लिम् तसली म न् कसी रन् कसीराबिरहमति क वबि फज़लि क वबि कऱमि क या अक र मल अक रमी न बि रहमतिक या अऱहमर्राहिमीन या क़दीमु या हय्यु, या क़य्यूमु, या वित्रू, या अहदु, या समदु, या मल्लम् यलिद व लम् यू लद व लम् यकुल्लहू कूफु वन् अ हद बि रह मति क या अरहमर्राहिमी न

fazilat

एक दिन नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मदीना मुनव्वरा की मस्जिद में बैठे हुए थे उसी वक़्त एक गांव का एक देहाती आदमी आया उसके हाथ में एक बर्तन था जो बंद ढक्कन का था उसने सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सामने उस बर्तन को लाकर रख दिया ये बर्तन देख केरसल्लाहो आलिहि वसल्लम ने पूछा इस बंद ढक्कन के बर्तन में क्या है ? उस देहाती आदमी ने जवाब दिया ए अल्लाह के रसूल तीन दिन हो चूका है इस मछली को पकाते हुए पैर ये पाक ही नहीं रहा है इसपर कोई आग पानी का असर नहीं हो रहा है इसलिए मै ये बंद ढक्कन के बर्तन में मछली लेकर लाया हु आपके पास आप ही इसके बारे में सही सुझाव बता सकते हैं

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सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उस मछली से पूछा तो वह मछली अल्लाह के हुक्म से बोलने लगी और उस मछली ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल एक दिन मै पानी में खड़ी थी मैंने देखा कि एक आदमी इस दुरूद-ए-माहि को पढ़ रहा था और उस आदमी की आवाज़ मेरे कानों में पहुँच गयी इसके अलावा मैंने ओर कुछ नहीं किया
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसे हुक्म दिया कि दुरूद सुनायो तो उसने दरूद-ए-माहि सुना दिया उसके बाद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ अली इस दुरूद-ए-माहि को लिख लो ओर लोगों को सिखा दो एक इसे पहुचादो जो इस दुरूद-ए-माहि को पढेगा उस पर अल्लाह ने चाहा तो आग हराम हो जायेगी इंशाल्लाह

उम्मीद है आपको ये जानकारी बहुत अच्छी लगी होंगी अगर आपके के मन में कोई शिकायत या सुझाव है तो कमेंट जरूर करे 

ALLAH HAFIZ

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