Surah Muzammil In Hindi | सूरह मुज़म्मिल हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी के लिए एक बहुत खुबसूरत कुरान की 73वी सुरह यानि सूरह मुज़म्मिल लेकर आया हूँ।

जो कुरान शरीफ की 29 पारा में है जिसमे 20 आयत, 200 शब्द और 854 हर्फ़ मौजूद है. जिसको सीखने के लिए आप सभी इस पोस्ट पर आए है।

इस पोस्ट में सुरह मुज़म्मिल को तिन भाषा में सीखने के लिए लिखा गया है जिसमे सबसे पहले अरबिक टेक्स्ट जो कुरान की मुल भाषा है और इसी भाषा में पढ़ना सबसे बेहतर होता है।

लेकिन कुछ लोगो को अरबिक नहीं आता है तो उनके लिए हिंदी और इंग्लिश दोनों भी अच्छी तरह से लिखा गया है और इसके साथ साथ इसका तर्जुमा भी दिया गया है।

surah-muzamil

जिससे यह मालूम होता है की यह सुरह के पीछे क्या मतलब छुपा हुआ है और अल्लाह ता’अला कुरान की माध्यम से क्या सिखाना चाहता है।

सूरा मुज़म्मिल हिंदी अर्थ उसके कपड़े में लपेटा हुआ या कपड़ों में लपेटा हुआ

सूरा मुज़म्मिल

अब चले अल मुज़म्मिल सुरह को सीखने लेकिन इससे पहले आप सभी हज़रात से गुजारिश है की इस पोस्ट को शुरू से आखिर तक जरुर पढ़े।

सूरा मुज़म्मिल अरबी में

بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يَٰٓأَيُّهَا ٱلْمُزَّمِّلُ

قُمِ ٱلَّيۡلَ إِلَّا قَلِيلٗا

نِّصۡفَهُۥٓ أَوِ ٱنقُصۡ مِنۡهُ قَلِيلًا

أَوۡ زِدۡ عَلَيۡهِ وَرَتِّلِ ٱلۡقُرۡءَانَ تَرۡتِيلًا

إِنَّا سَنُلۡقِي عَلَيۡكَ قَوۡلٗا ثَقِيلًا

إِنَّ نَاشِئَةَ ٱلَّيۡلِ هِيَ أَشَدُّ وَطۡـٔٗا وَأَقۡوَمُ قِيلًا

إِنَّ لَكَ فِي ٱلنَّهَارِ سَبۡحٗا طَوِيلٗا

وَٱذۡكُرِ ٱسۡمَ رَبِّكَ وَتَبَتَّلۡ إِلَيۡهِ تَبۡتِيلٗا

رَّبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَٱتَّخِذۡهُ وَكِيلٗا

وَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَٱهۡجُرۡهُمۡ هَجۡرٗا جَمِيلٗا

وَذَرۡنِي وَٱلۡمُكَذِّبِينَ أُوْلِي ٱلنَّعۡمَةِ وَمَهِّلۡهُمۡ قَلِيلًا

إِنَّ لَدَيۡنَآ أَنكَالٗا وَجَحِيمٗا

وَطَعَامٗا ذَا غُصَّةٖ وَعَذَابًا أَلِيمٗا

يَوۡمَ تَرۡجُفُ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ وَكَانَتِ ٱلۡجِبَالُ كَثِيبٗا مَّهِيلًا

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَآ إِلَيۡكُمۡ رَسُولٗا شَٰهِدًا عَلَيۡكُمۡ كَمَآ أَرۡسَلۡنَآ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ رَسُولٗا

فَعَصَىٰ فِرۡعَوۡنُ ٱلرَّسُولَ فَأَخَذۡنَٰهُ أَخۡذٗا وَبِيلٗا

فَكَيۡفَ تَتَّقُونَ إِن كَفَرۡتُمۡ يَوۡمٗا يَجۡعَلُ ٱلۡوِلۡدَٰنَ شِيبًا

ٱلسَّمَآءُ مُنفَطِرُۢ بِهِۦۚ كَانَ وَعۡدُهُۥ مَفۡعُولًا

إِنَّ هَٰذِهِۦ تَذۡكِرَةٞۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ سَبِيلًا

۞إِنَّ رَبَّكَ يَعۡلَمُ أَنَّكَ تَقُومُ أَدۡنَىٰ مِن ثُلُثَيِ ٱلَّيۡلِ وَنِصۡفَهُۥ وَثُلُثَهُۥ وَطَآئِفَةٞ مِّنَ ٱلَّذِينَ مَعَكَۚ وَٱللَّهُ يُقَدِّرُ ٱلَّيۡلَ وَٱلنَّهَارَۚ عَلِمَ أَن لَّن تُحۡصُوهُ فَتَابَ عَلَيۡكُمۡۖ فَٱقۡرَءُواْ مَا تَيَسَّرَ مِنَ ٱلۡقُرۡءَانِۚ عَلِمَ أَن سَيَكُونُ مِنكُم مَّرۡضَىٰ وَءَاخَرُونَ يَضۡرِبُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ يَبۡتَغُونَ مِن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَءَاخَرُونَ يُقَٰتِلُونَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِۖ فَٱقۡرَءُواْ مَا تَيَسَّرَ مِنۡهُۚ وَأَقِيمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُواْ ٱلزَّكَوٰةَ وَأَقۡرِضُواْ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗاۚ وَمَا تُقَدِّمُواْ لِأَنفُسِكُم مِّنۡ خَيۡرٖ تَجِدُوهُ عِندَ ٱللَّهِ هُوَ خَيۡرٗا وَأَعۡظَمَ أَجۡرٗاۚ وَٱسۡتَغۡفِرُواْ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمُۢ

सूरा मुज़म्मिल हिंदी में

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम

  1. या अय्युहल मुज्जम्मिलु
  2. कुमिल लैल इल्ला कलीला
  3. निस्फहू अविन्कुस मिन्हु कलिलन
  4. औ जिद अलैहि व रत्तिलिल कुरआन तरतीला
  5. इन्ना सनुल्की अलैक कौलन सकीला
  6. इन न नाशि अतल्लैलि हिय अशद्दु वतअंव व अक्वमु कीला
  7. इन् न ल क फिन्नहारि सब्हन तवीला
  8. वज्कुरिस् म रब्बि क व त बत्तलू इलैहि तब्तिला
  9. रब्बुल मशरिकि वल मगरिबि ला इल्लाह इल्ला हु व फत्तखिजहु वकीला
  10. वसबिर अला मा यकूलू न वहजुरहम हज्रन जमीला
  11. व जरनी वल मुकज्जिबी न उलिन्नअमति व महि्हलहुम कलीला
  12. इन न लदैना अन्कालंव व जहीमा
  13. व तआमन जा गुस्सतिंव व अजाबन अलिमा
  14. यौ म तरजुफुल अरजु वल जिबालु व कानतिल जिबालु कसीबम महीला
  15. इन्ना अरस्लना इलैकुम रसलन शाहिदन अलैकुम कमा अरसलना इला फिरऔ न रसुला
  16. फ असा फिरऔनुर रसू ल फ अखजनाहु अख्जंव वबीला फ कैफ तत्तकू न इन क फरतुम यौमंय्यज अलुल विल्दा न शीबनी
  17. स्समा उ मुन्फतिरूम बिही का न वअदुहू मफ्उला
  18. इन न हाजिही तजकिरतुन फ मन शाअत्त ख ज इला रब्बिही सबीला
  19. इन् न रब्ब क यअलमु अन्न क तकुमू अदना मिन सुलु सयिल्लैलि व निस् फहु व सुलू सहू व ताइ फतुम मिनल्लजी न म अ क वल्लाहु युकद्दिरूल्लै ल वन्नहार अलि म अल् लनु तुहसूहु फता ब अलैकुम फकरऊ मा त यस्स र मिनल कुरआनि अलि म अन स यकुन मिन्कुम मरजा व आ खरू न यजरिबु न फिल अरजी यबतगुन मिन फजलील्लाह
  20. व आखरूना युकातिलू न फी सबीलिल्लहि फक्रऊमा त यस्सर मिन्हु व अकीमुस्सला त व आतुजू जका त व अक्रिजुल्ला ह करजन ह सनन व मा तुकद्दिमु लि अन्फुसिकुम मिन खैरिन तजिदूहु इन्दल्लहि हु व खैरंव व अअ ज म अज्रन वस्तगफिरूल्ला ह इन्नल्ला ह गफूरूर रहीम

सूरा मुज़म्मिल अंग्रेजी में

Bismillaahir Rahmaanir Raheem

Ya aiyuhal muzzammil

Qumil laila illaa qaleelaa

Nisfahooo awinqus minhu qaleelaa

Aw zid ‘alaihi wa rattilil Qur’aana tarteela

Innaa sanulqee ‘alaika qawlan saqeelaa

Inn naashi’atal laili hiya ashadddu wat anw wa aqwamu qeelaa

Inna laka fin nahaari sabhan taweelaa

Wazkuris ma rabbika wa tabattal ilaihi tabteelaa

Rabbul mashriqi wal maghriibi laaa ilaaha illaa Huwa fattakhizhu wakeelaa

Wasbir ‘alaa maa yaqoo loona wahjurhum hajran jameelaa

Wa zarnee walmukaz zibeena ulin na’mati wa mahhilhum qaleelaa

Inna ladainaaa ankaalanw wa jaheemaa

Wa ta’aaman zaa ghussa tinw wa’azaaban aleemaa

Yawma tarjuful ardu waljibaalu wa kaanatil jibaalu kaseebam maheelaa

Innaa arsalnaaa ilaikum rasoolan shaahidan ‘aleykum kamaaa arsalnaaa ilaa Fir’awna rasoolaa

Fa’asaa Fir’awnur Rasoola fa akhaznaahu akhzanw wabeelaa

Fakaifa tattaqoona in kafartum yawmany yaj’alul wildaana sheeba

Assamaaa’u munfatirum bih; kaana wa’duhoo maf’oola

Inna haazihee tazkiratun fa man shaaa’at takhaza ilaa Rabbihee sabeelaa

Inna Rabbaka ya’lamu annaka taqoomu adnaa min sulusa yil laili wa nisfahoo wa sulusahoo wa taaa’ifatum minal lazeena ma’ak; wal laahu yuqaddirul laila wanna haar; ‘alima al lan tuhsoohu fataaba  ‘alaikum faqra’oo maa tayassara minal quraan; ‘alima an sa yakoonu minkum mardaa wa aakharoona yadriboona fil ardi yabtaghoona min fadlil laahi wa aakharoona yuqaatiloona fee sabeelil laahi faqra’oo ma tayassara minhu wa aqeemus salaata wa aatuz zakaata wa aqridul laaha qardan hasanaa; wa maa tuqaddimoo li anfusikum min khairin tajidoohu ‘indal laahi huwa khayranw wa a’zama ajraa; wastaghfirul laahaa innal laaha ghafoorur raheem.

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सूरह मुज़म्मिल किसके लिए अच्छा है?

कुरान हर इन्सान के लिए रहमत बन कर आई है और कुरान शरीफ की हर आयत बहुत ही खास है। लेकिन कुछ सुरह का अलग फायदा होता है जिसमे यह सुरह भी सामिल है जिसको पढ़ने से बुरे कामो से और लोगो की गुलामी से महफूज़ रहेंगे।

सूरह मुज़म्मिल किस पारा में है?

यह सुरह कुरान शरीफ की 29वी पारा जो अल मुज़म्मिल के नाम से मौजूद है।

सूरह मुज़म्मिल में कितने आयत हैं?

कुरान शरीफ में हर सुरह का अलग आयत होती है किसी भी ज्यादा तो किसी में कम और सुरह मुज़म्मिल में 20 आयत है।

नाज़रीन इसके अलावा अगर आपके जेहन में कोई ऐसा सवाल हो जो की इस पोस्ट में होना लाजिम है तो निचे कमेंट में जरुर बताये। और इसी तरह का इस्लामिक जानकारी सीखना चाहते है तो इस वेबसाइट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करे।

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