अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो आज हम आपके लिए लेकर आये हैकुरान बख्शने का तरीका ऐसे बहुत से मोमिन भाई बहन बख्शने का तरीका सीखना चाहते है ऐसे में आज की जानकारी उनके लिए बहुत मददगार होगी क्योकि आज हम कुरान बख्शने का तरीका बताने जा रहे है
कुरान बख्शने का तरीका
बख्सने का तरीका तो ऐसे कई है लेकिन हम आपको सबसे आसान तरीका बताने वाले है जिससे आप बहुत ही आसानी से बख्श सकते है
- सबसे पहले वजू करे
- अब आपको किबला की तरफ मुंह या रुख करके बैठा जाना है
- किबला की तरफ बैठने के बाद, इसाले सवाब के लिए आगे जानेगे
- लेकिन अगर किसी चीज पर फातिहा देनी हो तो उस चीज को सामने रखे
- अगर किसी चीज पर फातिहा देनी हो वह चीज अगर ढका है
- तो उसके खोल कर सामने रखे और आखिर में कुछ अगरबत्ती जला कर सुलगा ले
- अब फातिहा या फिर बख्शने का तरीका क्या है चलिए जानते है
कुरान बख्शने का तरीका
- अब बख्शने या फातिहा देने के लिए सबसे पहले आपको दुरूद शरीफ पढना है 3 बार
- उसके बाद निम्नवत सूरह को पढ़े
- 1 बार सूरह काफिरूँन
- 3 बार सूरह इखलास
- 1 बार सूरह फलक
- एक बार सूरह नास
- 1 बार सूरह फातिहा
- एक बार सूरह बकराह
- अगर आपको दरूद शरीफ या कोई भी सूरह याद नहीं है
- ऐसे में आप क्लिक से सभी दुरुद या सूरह हिंदी में यहाँ पढ़ सकते है
- साथ ही कुछ दुरूद शरीफ एंव सूरह फलक यहा पढ़ सकते है
दरूद शरीफ हिंदी में
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीमा इन्नक हमीदुम मजीद, अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक्ता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा इन्नक हमीदुम मजीद।
सूरह फलक
कुल अऊजु बिरब्बिल फलक मिन शररि मा ख़लक़ वमिन शररि ग़ासिकिन इज़ा वकब वमिन शररिन नफ़ फ़ासाति फ़िल उक़द वमिन शररि हासिदिन इज़ा हसद
फातिहा बख्शने का तरीका
अगर आप ऊपर बताये हुए स्टेप को पूरा कर चुके है ऐसे में अब फातिहा बख्शने का तरीका पढ़े जो निम्नवत है
हे अल्लाह मेने आपकी सुरहें पढ़ीं, इन्हें कुबूल फरमा, और अगर मेरे पढ़ने में कोई गलती हुई है, तो मुझे अपना बच्चा समझ उसे माफ कर देना।
“ए अल्लाह मैंने तेरे बारगाह में कुरान शरीफ की तिलावत की और दरूद शरीफ पढ़ा ए अल्लाह इसे पढ़ने में जो भी गलतिया हुई है इसे अपने फज्लो करम से माफ़ फरमा
और इस सिरनि शरीफ और पानी का सबसे पहले इसका सवाब सरकारे दोआलम सल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुक़द्दस बारगाह में तोह्फतन हदियातन पेस करते है कबूल फरमा
हज़रत आदम अलैहि वसल्लम से लेकर हज़रते इसा अलैहि वसल्लम तक कमो बेस एक लाख चौबीस हजार अम्बियाए मुर्सलीन के बारगाह में ये सिरनि शरीफ पेस करते है
मौला कबूल फरमा हुजूर के शहाबा शहाबिया अहले बैत अतहार अज़्वाजे मोतहरात जुमला शहीदाने कर्बला जुमला शहाबा तबाईन तबे तबाईन आइममे मुजतहइन बुजुर्गाने दिन मुत्तक़ीन सालेहीन मोमेनीन के अरवाहे को पेस करते है कबूल फरमा”
इसका सवाब दस्तगीर रौशन जमीर हजरते गौसे आज़म रज़ि अल्लाहो तआला अन्हा और ख्वाजा ए ख्वाजा हिंदल वली अजमेरी चिस्ती के बारगाह में पेश करते है क़ुबूल फ़रमा
इस दुनिया से जितनेभी मोमिन व् मोमिनात गुजर चुके है उनकी बखसीस फरमा और उनको जन्नत में आला से आला मकाम अता फरमा” (आमीन सुम्मा आमीन)
बिल ख़ुसुस . . . . . . . . . . . . . . . . को इसका सवाब अता फरमा !
नोट – बिल ख़ुसुस के बाद जिसके नाम की फातिहा हो उसका नाम बोले !
मुझे उम्मीद है आपको कुरान बख्शने का तरीका अगर अच्छा लगा हो तो इसको अपने दोस्तो परिवार साथ शेयर करें | खुदा हाफिज़