Qul Ya Ayyuhal Kafirun in Hindi | कुल या अय्यूहल काफिरुन

अस्सलाम अलैकुम दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंगे सूरह काफिरूँन मतलब क़ुल या अय्युहल काफिरुन और साथ ही जानेंगे सूरह काफिरूँन का अर्थ (Meaning) और इस सूरह को पढ़ने से क्या फायदा होता है।

सूरह काफिरूँन क़ुरान की 109 विं आयत है, और इसमें 6 कलमें, 27 शब्द, और 98 अक्षर हैं। माना जाता है, की सूरह काफिरूँन मक्का से आई है।

इस सूरह में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम और मक्क़ा के काफिरों के बीच अल्लाह की इबादत को लेकर कुछ बात चीत हुई थी इस सूरह में इसी के बारे में बताया गया है।

कुल या अय्यूहल काफिरुन की सूरत

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सूरह काफिरून तर्जुमा

बहुत से हमारे ऐसे भाई या बहनें हैं, जिन्हें सूरह काफिरूँन का सही अर्थ नहीं पता है, जिससे वे सूरह काफिरूँन को पढ़ नहीं पाते हैं, और यही कारण है, की बिना समझे पढ़ी गयी यह सूरह उतनी ज्यादा काम नही आती है।

अगर आपको भी यह सूरह समझ मे नहीं आती है, तो पढ़िये यह सूरह काफिरूँन का विस्तृत अर्थ, जिससे सूरह काफिरूँन आपके भी बहुत काम आएगी।

शुरुवात करते हैं, खुदा के नाम से जो बहुत ज्यादा रहम वाला और बहुत मेहरबान है।

आप कह दीजिए

कि न तो मैं उनकी सच्चे मन से इबादत करता हूँ, जिसको तुम पूजते हो।

और न ही मैं उसको पूजता हूँ, जिसकी तुम पूजा करते हो।

और मैं उसकी इबादत कभी नहीं करूंगा, जिसकी इबादत तुम करते हो।

न ही तुम उसकी पूजा करोगे, जिसकी मै इबादत करता हूँ।

तो ठीक है, आपके लिए आपका दीन ( धर्म ) , मेरे लिए मेरा दीन ( धर्म )।

सूरह काफिरूँन पढ़ने के फायदे

सूरह काफिरूँन मक्की मानी जाती है, और कई सारे लोगों का कहना है, सूरह काफिरूँन एक चौथाई क़ुरान पढ़ने के बराबर है। सूरह काफिरूँन पढ़ने के वैसे तो कई सारे फायदे हैं, लेकिन कुछ मुख्य फायदे यह हैं-

सूरह काफिरूँन पढ़ने का एक फायदा यह माना जाता है, की अगर किसी खजाने में सूरह काफिरूँन को पढ़कर खजाने को रखा जाए, तो खजाना महफूज रहता है, अर्थात खुदा हमारे द्वारा रखे गए खजाने की रक्षा करते हैं।

यदि कोई भूखा व्यक्ति इस सूरह काफिरूँन को पढ़ता है, तो उसकी भूख शांत होने लग जाती है।

अगर कोई व्यक्ति इस सूरह को पढ़कर खुदा को प्यारा हो जाता है, तो इस्लाम मे उसे शहीद माना जाता है, और खुदा उसे जन्नत फरमाते हैं। अर्थात अगर कोई आदमी सूरह काफिरूँन को पढ़ते पढ़ते या पढ़ने के बाद खुदा को प्यारा हो गया तो उसे शहीद माना जाता है।

अगर किसी को रात को अकेले में डर लगता है, तो लोगों का मानना है, की उसे सूरह काफिरूँन का पाठ करना चाहिए, कुछ दिन तक ऐसा करने से उसका डर दूर हो जाएगा। अर्थात अकेले या रात में डरने वाले को सूरह पढ़ने से डर खत्म हो जाता है।

सूरह काफिरूँन के पढ़ने से खुदा आपको बुरे लोगों और गन्दे कामों से दूर रखता है, और अच्छी राह पर चलता है। अगर आप भी अच्छे राह पर चलकर कुछ बड़ा करना चाहते हैं, चाहे वह पढ़ाई हो या, कुछ अन्य काम हो। तो आपको रोज सूरह काफिरूँन को पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से खुदा का हाथ हमेशा आपके सर पर रहेगा, और आप अच्छे रास्तों पर चलेंगे, और बुरे लोगों से दूर रहेंगे।

सूरह काफिरून के बारे में जानकारी

माना जाता है, की सूरह काफिरूँन मक्का से उतरी है, तभी इस सूरह को बहुत पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि, जो भी इस सूरह को पढ़ता है, उसे खुदा का आशीर्वाद मिलता है।

माना जाता है, की पवित्र कुरान की यह सूरह काफिरूँन एक चौथाई क़ुरान पढ़ने के बराबर है।

सूरह काफिरूँन को कई तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए भी पढ़ा जाता है, यह पवित्र क़ुरान की 109 विं आयत है, और इसमें 6 कलमे हैं।

लोगों का मानना है कि सूरह काफिरूँन पढ़ने से खुदा का हाथ हमेशा सर पर रहता है। और सारी परेशानियां भी दूर होने लगती हैं। सरह काफिरूँन पढ़ने के बहुत सारे फायदे भी हैं।

सूरह काफिरून कब नाजिल हुई

मक्का के सरदारों का एक गिरोह नबी करीम सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुआ और नबी करीम सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम से फ़रमाया

आए हम इस बात पर सुलह कर लें कि जिस खुदा की आप इबादत करते हैं

हम भी उस की इबादत किया करेंगे और जिन माबूदों की हम पूजा किया करते हैं या पूजते है आप भी उन की इबादत करेंगे और तमाम मामलात में एक दुसरे के शरीक हो जाएंगे

तो जिस मज़हब को तुम लेकर आए हो अगर उस में खैर होगी तो हम भी इस में शरीक हो जायेंगे और जिस मज़हब पर हम चल रहे हैं अगर उस में खैर है तो तुम उस को अपना लोगे।

उसी मौके पर ये सूरह अल काफ़िरून नाजिल हुई

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सूरह काफिरूँन में काफिर शब्द क्या है?

सूरह काफिरूँन में काफ़िर शब्द का इस्तेमाल हुआ है, जिसका अर्थ होता है, अविश्वासी। जो केवल एक शब्द मात्र ही है। और ऐसे लोगों को कहा जाता है, जो किसी और धर्म को मानते हैं।

क्या किसी को काफिर कहना गलत है?

आपके लिए आपका धर्म सही है, और मेरे लिए मेरा धर्म सही है। इसलिए काफ़िर केवल एक शब्द मात्र है, और इसे अन्य धर्म वालों को कहा जाता है, किसी को भी काफिर कहना किसी की तौहीन नही है, और काफ़िर कहना बिल्कुल गलत नही है। कुछ लोग काफ़िर कहने पर तौहीन समझते हैं, यह बिल्कुल गलत है।

आज आपने सूरह काफिरूँन के बारे में जाना और साथ ही सूरह काफिरूँन का अर्थ और इसे पढ़ने से होने वाले बहुत सारे फायदे के बारे में जाना। आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह पोस्ट पसन्द आई होगी।

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