अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन रमजानुल मुबारक के बाबत महीनो में हमें अपने लिए मिस्वाक (Miswak) को लाजिम करने की कोशिश करनी है ! हदीसे पाक और साईन्स नीज़ वाकिआत इस बात की शहादत देते हैं ! कि मिस्वाक (Miswak) में बेशूमार फाइदे है ! और सबसे बड़ा फायदा तो यह है ! कि यह हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की प्यारी सुन्नत है ! रमज़ानुल मुबारक ( Ramzan Mubarak ) में हमे पाबंदी से उसका इस्तेमाल करके आइंदा भी उसके इस्तेमाल के लिए अज्मे मुसम्म करना है ।
मुनासिब मालूम होता है ! इस्तिसार के साथ मिस्वाक (Miswak) के फजाइल व फवाइद पर रोशनी डाल दूं ! ताकि मिस्वाक (Miswak) की महब्बत ! और उसके इस्तेमाल का जज्बा कारेईन के दिलों में बैठ जाए ।
मिस्वाक (Miswak) के हवाले से नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बे इंतिहा ताकीद फरमाई है । यहां तक कि सहाबाए किराम यह ख्याल करते थे ! कि अकरीब उसके मुतअल्लिक आयत नाजिल होगी ।
एक हदीस में है कि नबीए कौनैन साहिबे काब कौसेन सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया ! अगर मैं अपनी उम्मत पर दुश्वार न जानता तो मिस्वाक (Miswak) को उनके लिए फर्ज़ करार देता । ( इब्ने माजास . 25 )
एक रिवायत में इस तरह है :
हज़रत हुजैफा रदियल्लाहो तआला अन्हो कहते है कि रसुलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब रात को नमाजे तहज्जुद के लिए उठते तो अपने दहने मुबारक को मिस्वाक (Miswak) से साफ फरमाते !
और हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है ! कि आपने फरमाया नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब सोते तो आपके पास मिस्वाक होती ! फिर जब आप बेदार होते तो !
( आपका पहला काम ) मिस्वाक (Miswak) करना होता । यानी सो कर उठने के बाद सबसे पहले मिस्वाक (Miswak) फरमाया करते ।
मिस्वाक के फ़ायदे
हज़रत आइशा सिद्दीका रदियल्लाहो तआला अन्हा से रिवायत है कि नबी – ए – करीम रऊफ व रहीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो नमाज़ मिस्वाक (Miswak) करके पढ़ी जाये वह सत्तर दर्जा अफज़ल है ! उस नमाज़ पर जो बगैर मिस्वाक (Miswak) पढ़ी जाए ।
मिस्वाक के फवाइद एक नज़र में-Miswak Ke Fayde
हदीसे पाक और साईन्स दानों के तजुर्वा के मुताबिक मिस्वाक (Miswak) के बेशुमार फवाईद है ! अल्लामा शामी अलैहिर्रहमा ने मिस्वाक (Miswak) के बारे में तहरीर फरमाया ! कि मिस्वाक (Miswak) करने वाले के लिए मिस्वाक (Miswak) के मंजदरजा जैल फवाइद है :
1 . बुढ़ापे में ताखीर करती है
2 . बसारत को तेज करती है
3 . मिस्वाक की बेहतरीन खूबियों में से यह है कि यह हर बीमारी के लिए शिफा है सिवाए मौत के
4 . पुल सिरात पर चलने में तेजी बहती है
5 . मुंह की सफाई का जरिया है
6 . रब तआला की रजा का सबब है
7 . मलाइका को खुश करती है
8 . मुंह की गंदगी को दूर करती है और कीड़े लगे हुए दांतों को सहीह करती है
9 . दांतों को चमकदार करती है
10 . वसारत को जिला बख्शती है
11 . बलगम को काटती है
12 . नमाज़ के अज व सवाब को बढ़ाती है
13 . कुरआन के रास्ते यानी मुंह को साफ करती है |
14 . सेहत को बढ़ाती है
15 . मेअदा को कुवत देती है
16 . शैतान को नाराज करती है
17 . नेकियों में इजाफा करती है
18 . सुफरा ( एक जर्द रंग का कडवा मादा ) को काटती है ,
19 . बालों की जड़ो को मजबूत करती है
20 . रूह के निकलने को आसान करती है ।
इसी तरह अल्लामा हसन बिन अम्मार मिस्वाक के फवाइद के बारे में तहरीर फरमाते हैं ।
1 . मिस्वाक (Miswak) करना फरिश्तों को खुश करता है ।
2 . फरिश्ते मिस्वाक (Miswak) करने वाले के चेहरे के नूर के सबब इससे मुसाफा करते हैं ।
3 . फरिश्ते मिस्वाक (Miswak) करने वाले के साथ चलते हैं जब वह नमाज ( Namaz ) के लिए निकलता है ।
4 . हामेलीने अर्श फरिश्ते उसके लिए इस्तिगफार करते हैं ! जब वह मस्जिद से निकलता है !
5 . अंबिया और रसुल भी उसके लिए इस्तिगफार करते हैं !
6 . आमाल नामा सीधे हाथ में दिया जाएगा ।
7 . मिस्वाक (Miswak) करनाअल्लाह तआला की इताअत व फरमाबरदारी पर बदन को कुव्वत देता है ,
8 . जिस्म से मुजिर हरारत का इज़ाला करता है ।
9 . कज़ाए हाजत पर मदद करता है !
10 . मिस्वाक (Miswak) करने वाले के लिए कत्र कुशादा हो जाती है ,
11 . लहद में मूनिस व गमख्वार होती है ।
12 . मिस्वाक (Miswak) पर मुदावमत करने वाले के लिए उस दिन का भी अज़ लिखा जाता है जिस दिन उसने किसी मजबूरी की वजह से मिस्वाक (Miswak) नहीं की ।
13 . जन्नत के दरवाजे खोले जाते हैं ।
14 . फरिश्ते मिस्वाक (Miswak) करने वाले के मुतअल्लिक कहते हैं कि यह अंबिया की पैरवी करने वाला और उनके तरीके पर चलने वाला है ।
15 . जहन्नम के दरवाजे उस पर बंद कर दिए जाते हैं ।
16 . मिस्वाक (Miswak) करने वाला इस दुनिया से पाकीज़गी की हालत में निकलता है ।
17 . हज़रत मलकुल मौत अलैहिस्सलाम मिस्वाक (Miswak) करने वाले की रूह कब्ज करने के वक्त उसी सुरत में आते हैं ! जिस सूरत में अम्बिया व औलिया के पास आते है !
18 . दुनिया से रूखसत होते वक़्त नबी – ए – मुकर्रम रसूले मोहतरम् सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने होज़ से सैराब किया जाता है ! और वह रहीके मख़तूम ( खालिस शहद का मेहर शुदा मशरूब है । )
किन औकात में मिस्वाक करें ? Miswak Kab Karna Chahiye
मदरजा जैल पांच औकात में मिस्वाक (Miswak) करना मस्नून व मुस्तहब है ।
1 . नमाज पढ़ने के वक्त ख्वाह पहले से बावुजू हो ।
2 . वुजू करने के वक्त
3 . कुरआन मजीद की तिलावत के वक्त
4 . नींद से बेदार होने के वक्त
5 . जब मुंह की बू मुतगय्यर हो ख्वाह खाने पीने से । या किसी बदबूदार चीज खाने से । या ज्यादा देर खामोश रहने की वजह से । या ज्यादा बातें करने की वजह से ।
मिस्वाक के जरिये इलाज – Miswak Se Ilaj
हकीम एस . एम , इकबाल लिखते है :
मेरे पास एक मरीज आया ! जिसके दिल की झिल्लियों में पीप भरी हुई थी ! और दिल का इलाज करते रहे इफाका न हुआ ! आखिर दिल का ऑप्रेशन करके पीप निकाल ली गई । कुछ अरसे के बाद फिर पीप भर गई ! थक हार कर मेरे पास आए ! तो मैंने तशखीस की तो पता चला कि उसके ! मसूढ़े खराब है ! और उनमें पीप पड़ी हुई है ! और वह पीप दिल को नुकसान पहुंचा रही है । इस तशखीस को डाक्टरों ने भी तस्लीम किया है ।
अब इसका पहला इलाज दांतों और मसूढों का किया गया । खाने के लिए कुछ और , और यह पीलू का मिस्वाक (Miswak) इस्तेमाल करने के लिए दिया गया । बहुत जल्द मरीज ने इफ़ाका महसूस किया ।
अरब मुल्क से एक मरीज़ ने लिखा कि दांतों के एक देरीना मर्ज में मुबतिला हूँ । और इसके इलाज पर अब तक 10 हज़ार दिरहम लगा चुका हूँ । लेकिन इफाका न हुआ । ख़त में जवाब दिया कि आप मिस्वाक (Miswak) सिर्फ पीलू का इस्तेमाल करें । और दो माह मुस्तकिल दिन में पांच बार नमाज़ो में और एक बार तहज्जुद में किसी किस्म की दवाई इस्तेमाल न करें । मरीज हैरत अंगेज तरीके से तंदुरूस्त हो गया । लेकिन मिस्वाक (Miswak) ताजा हो ।
मिस्वाक साइन्स की नज़र में-
मिस्वाक (Miswak) दाफेए तअफुन ( Anti – septic ) है । जब भी इसको मुंह में इस्तेमाल किया जाता है ! तो यह अंदर के जरासीम कत्ल कर देता है ! जिससे इंसान बेशुमार अमराज से बच जाता है । हत्ता कि बाज़ जरासीम सिर्फ और सिर्फ मिस्वाक (Miswak) के अंदर ऐंटी सेप्टिक मवाद ही की वजह से मरते हैं ।
दर असल मिस्वाक (Miswak) के अंदर फासफोरस ( Phosphorus ) होता है । तहकीकात के मुताविक जिस जमीन में कैल्शियम और फासफोरस की ज्यादती होगी । वहाँ पीलू का दरख्त ज्यादा पाया जाएगा ! चूंकि कब्रिस्तान की मिट्टी में कैल्शियम और फासफोरस इंसानी हड्डियों के गलने की वजह से ज्यादा होता है ! यही वजह है कि यहां से पीलू का दरख्त भी ज्यादा होते हैं ! और दांतों के लिए कैल्शियम और फासफोरस अहम गिजा है । और खास तोर पर पीलू की जड़ में यह अजज़ा आमतौर पर होते है । ( ऐजन )
मेरे इस्लामी भाईयों । मिस्वाक (Miswak) के फज़ाइल और फवाइद लिखने के लिए कलम उठाया जाए ! तो मुकम्मल एक किताब तैयार हो जाए । लेकिन यहां पर बिल इख्तिसार जिक्र कर दिया गया है ! बस इस उम्मीद पर कि इस पोस्ट को पढ़ने वाले कम अज़ कम रमजानुल मुबारक ( Ramzan Mubarak ) की बर्कत से एक अज़ीम सुन्नत पर अमल करने का जज़बा अपने दिल में पैदा करेंगे ! और इस पर हमेशगी बरतने की कोशिश करेंगे ।
अल्लाह हम सब मोमिन भाइयो बहनो को हमेशा मिस्वाक इस्तेमाल करने की तौफीक अता फरमाए ! आमीन !
आइये हम तुम मिलकर अच्छी बाते फैलाते है ! पता नहीं कौन सी नेकी हमारी बक्शीश का सबब बन जाए !