अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम आप लोगो को बताने किसी को भुलने की दुआ के बारे में कई बार प्यार भी बहुत दर्द देता है खुद को भी और परिवार को भी, इसलिए आज हम आपको अपनी मोहब्बत को दिल से निकालने का वजीफा और अपने प्यार को भुलाने का वजीफा बता रहे है. इस वज़ीफ़ा को टूटे हुए दिल के ज़ख्म भरने की दुआ भी कहा जाता है
किसी से बेइंतहा मोहब्बत करना और चाहने वाले का बेशुमार मोहब्बत पाना अगर बहुत मुश्किल है तब वैसी मोहब्बत को दिल से निकलाना बहुत ही कठीन होता है।
जब हम किसी के बारे में सोचने लगते हैं तब दिनरात उसकी याद करने में ही गुजर जाता है। दिमाग से उसकी यादें, उसकी बातें निकलती ही नहीं है। हमेशा उसका ख्याल आता रहता है। रात को चैन से सोना नहीं हो पाता है। मन में अजीब तरह की बचैनी बनी रहती है।
यह स्थिति तब आ जाती है प्यार करने वाले व्यक्ति से मिलना-जुलना से लेकर बातचीत तक बंद हो जाती है। लोग सोचते हैं कि प्यार खत्म हो गया, लेकिन यह सोचना एक भूल होती है। क्योंकि सारा रिश्ता खत्म हो जाता है,
लेकिन प्यार को खत्म नहीं किया जा सकता है। किसी का प्यार में दिल में बस जाना अगर कुदरत की देन है, तब उसे दिल से निकालना अल्लाह की दुआ से संभव है। उस दुआ को र्कुआन मंे दिए गए आयत को नियम से पढ़ने कुबूल होती है। आयत है-
किसी को भुलने की दुआ
अल्लाह हम्मा इन्नी औजु बिका मिनाल हम्मी वाल हज्नी वाऔजु बिका मिनाल अजी वाल कसाली वा अैजु बिका मिनाल बुखाली वाल जुब्नी वा अैजु बिा मिन गलाबातीद ध्यानी व कहरिर जाली।
इस आयत को कोई भी लड़का या लड़की किसी को दिल से निकालने के लिए मौलवी से सलाह-मश्वीरा लेकर पढ़ सकते हैं। इसकी खास मियाद बताई गई है और लड़की के लिए विशेष हिदायत के तौर पर माहवारी के दिन दुआ पढ़ने से मनाही की गई है।
प्यार का दीवानापन असानी से नहीं जाता है। उसे भुलाने में ज्यादर लोग नशे का सहार ले लेते हैं, जबकि ऐसा करना खुद की जिंदगी खराब करने जैसा ही होता है।
अगर किसी शख्स के दिल में किसी के लिए मोहब्बत हो और वह खुद उसे निकलना चाहता है तब ऐसी सूरत में प्यार को भूलने तरीके के साथ-साथ ऊपर बताए गए वजीफे को तरीके के साथ पढ़ना चाहिए। मौलवी द्वारा बताया गया तरीका इस प्रकार हो सकता है-
अपनी मोहब्बत को दिल से निकलने का वज़ीफ़ा
वजीफे का पढ़ने का माकूल समय सुबह के 11 बजे का होता है। इसकी तैयार घर के किसी सुकून वाली जगह पर साफ चादर बिछकार की जानी चाहिए।
जब भी दुआ के लिए वजीफे को पढ़ना हो तब वजु के बाद ही पढ़ना चाहिए। इससे इसका अच्छा असर होता है।
ऊपर दिए गए वजीफे को पढ़ने से पहले सात बाद दुरूद शरीफ पढ़ना चाहिए। फिर पूरी दुआ को अरबी में 21 बार पढ़ना चाहिए। उसके बाद दुरूद शरीफ फिर से सात बार पढ़ना चाहिए।
अंत में अपनी दोनों हाथ फैलाकर अल्लाह से मोहब्बत को दिल से निकालने का पनाह मांगने के साथ-साथ गम को भुलाने की दुआ मांगना चाहिए।
इस वजीफे के पढ़ने के दिन जैसे-जैसे बीतते जाएंगे, वैसे-वैसे दिल में बसी मोहब्बत का असर फीका पड़ता जाएगा। ऐसा करने से दिल एक बार फिर से जरूर टूटेगा, लेकिन धीरे-धीरे सुकून मिलने लगेगा। जिंदगी में नए सिरे से जीन के जिंदादिली से भरे अरमान जाग जाएंगे।
टूटे हुए दिल के जख्म भरने की दुआ
प्यार में अगर दिल का जुड़ना मुश्किल है तो उसका टूटना उतना ही आसान। नाजुक दिल पतले कांच के समान होता है, उसके चटखने और फिर टूटने से बहुत गहरा जख्म लगता है। चाहे जितने भी जतन कर लिए जाएं वैसे जख्म को तब तक नहीं भरा जा सकता है, जब तक अल्लाह की मर्जी नहीं होती।
आल्लाह की मर्जी को उनकी इबादत कर हासिल किया जा सकता है। लड़की या लड़के के दिल में लगे ऐसा जख्म को भरने के लिए र्कुआन-ए-पाक में दी गई आयत पढ़कर दुआ मांगनी चाहिए।
अगर आपके पास जख्म को भरने का कोई रास्ता नहीं बचता हो तब बताए गए वजीफ से दुआ कर सकते हैं। मौलवी की सलाह के अनुसार पांचों वक्त की नमाज के साथ निम्न तरह से पढ़ा जाना चाहिए।
टुटे हुए दिल के ज़ख्म भरने की दुआ
इस वजीफे की दुआ तभी असर करती है और मुकम्मल हो पाती है जब पांचों वक्त की नमाज आदा करने की पूरी तैयारी कर ली जाए।
हर नमाज के बाद 101 मर्तबा कलमा शरीफ को पढ़ना चाहिए। इस दौरान जिनकी वजह से टूटे दिल का जख्म मिला है उसकी याद आने पर भी कलमा शरीफ को पढ़ा जाना चाहिए।
दुआ की इस अमल को लगातार 21 दिनों तक करना है। इंशा अल्लाह अगर इस अमल को करते-करते अल्लाह लिए आपके दिल में मोहब्बत जाए जाएगी। यही मोहब्बत टूटे हुए दिल के जख्म को भरने का काम करेगी।
इस दुआ को कोई औरत करती है, तो उसे इसकी शुरूआत माहवारी के दिन नहीं करना चाहिए।
अपने प्यार को भुलाने का वजीफा
मोहब्बत के गम में अपनी मोहब्बत को भूलाने के लिए दिल का काफी मजबूत करने की जरूरत होती है। मन में आए तरह-तरह के विचारों की उलझनों से बचना होता है। अपने प्यार को भुलाने का सबसे बेतरीन तरीका नमाज की पाबंदी है।
प्यार को याद कर आंसू बहाने के बजाया अल्लाह को याद का आंसू बहाने से प्यार को भूलाना असान हो जाता है। इसके लिए वजीफा पढ़कर अल्लाह की इबादत के अतिरिक्त कुछ दूसरे तरीके इस प्रकार से करने चाहिए।
अपने प्यार को भुलाने का वज़ीफ़ा
प्यार की याद में देर रात तक जागना और सुबह देर से उठने की आदत को छाड़कर र्कुआने-ए-पाक की तर्जुमा के साथ तिलावत शुरू करें। र्कुआन की सुराह के अर्थ को समझ की कोशिश करें। र्कुआन की तजबीद को सीखें।
हर रोज पांचों वक्त की नमाज के बाद यह नई दोस्ती बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करें। अच्छे दोस्तों मंे उठने-बैठने की कोशिश करें। अपने कार्यक्षेत्र में ध्यान देने या फिर करियर को संवारने के प्रति अल्लाह से दुआ मांगें।
जब भी तन्हाई की स्थिति पैदा होने लगे तब कहीं भी, कभी भी कलमा शरीफ 101 बार पढ़ लें। इससे अंदरूनी ताकत मिलेगी और आप अपने प्यार को भूलकर नए काम में जुट जाएंगे।
दिल गमगीन होने की स्थिति में बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीम बोलकर मन के भटकाव को दूर करते हुए अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करें।
दुरूद शरीफ को सात बार पढ़ने के बाद अल्ल हुम्मन इन्नी…. आयत को 21 बार पढ़ने से गम दूर हो जाता है। इसके बाद दुरूद शरीफ को फिर से सात बार पढ़ना चाहिए।
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