Inna Lillahi Inteqal Ki Dua | इन्ना लिल्लाही इंतेक़ाल की दुआ

अस्सलामो अलयकुम दोस्तों आज मै आपको इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन  के बारे में बताने वाला हूँ की इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन  किसको कहते है ये इन्ना लिल्लाही कब पढ़ा जाता है यानि की इसका तर्जुमा किस तरह किया जाता है ! अगर आप भी सीखना चाहते है तो पूरी पोस्ट को पढ़े तो चलिए शुरू करते है.

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जब किसी के इंतकाल की खबर मिले तो क्या पढ़ें ?

इस दुनिया की हकीकत ये है कि यहाँ मौजूद हर चीज़ को एक दिन ख़त्म हो जाना है और इंसान जो अशरफ़ुल मख्लूकात है वो भी इससे बच नहीं सकता |

ऐसे ही कभी किसी के इन्तेक़ाल की खबर मिलती है तो हम ग़मज़दा हो जाते हैं क्यूंकि अपनों से दूर होना इंसानों को ग़मगीन कर देता है | इसी तरह कोई अहम् चीज़ इंसान की खो जाती है तो भी वो परेशान हो जाता है और उसे पाने की कोशिश करता है

इसके लिए एक कुरआन शरीफ में एक वजीफा बताया गया है। जिसको नबी स.अ. ने अपने सहाबा से बताया था और फ़रमाया था कि किसी चीज़ के खोने या जाते रहने पर अगर कोई ये दुआ पढ़े तो अल्लाह तआला उसको उस से बेहतर बदला देते हैं | वो दुआ ये है

इन्ना लिल लाहि व इन्ना इलैहि रजिऊन

तर्जुमा-: हम तो अल्लाह के है और हम उसी की तरफ लौट कर जाने वाले है।

“और हम तुम्हें कुछ खौफ़ और भूख से और मालों और जानों और फलों की कमी से ज़रुर आज़माएगें और (ऐ रसूल) ऐसे सब्र करने वालों को ख़ुशख़बरी दे दो कि जब उन पर कोई मुसीबत आ पड़ी तो वह (बेसाख्ता) बोल उठे इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन  ‘हम तो अल्लाह ही के हैं और हम उसी की तरफ लौट कर जाने वाले हैं’ उन्हीं लोगों पर उनके परवरदिगार की तरफ से इनायतें हैं और रहमत और यही लोग हिदायत याफ्ता है।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिउन की फजीलत

अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया : जब कोई इंसान मरता है, अल्लाह अपने फरिश्तों से पूछता है, ‘क्या तुमने मेरे बंदे की औलाद की ज़िंदगी ले ली? और वो इक़रार करते हुए जवाब देते है|

अल्लाह सुबहानहु वत’आला फिर पूछता है, ‘क्या तुमने उसके दिल के टुकड़े को ले लिया? और वो इक़रार करते हुए जवाब देते है|

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उसके बाद फिर अल्लाह पूछता है, मेरे बंदे ने क्या कहा?

वो कहते है उसने आपकी तारीफ की और कहा:

“इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैयही राज़ी’उन”

हम अल्लाह ही के है और हमे अल्लाह ही की तरफ लौट कर जाना है|

अल्लाह फरमाता है: मेरे बंदे के लिए जन्नत में एक घर बनाओ और उसका नाम रखो बैतुल ‘हम्द (तारीफ का घर)|

इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन  कब पढ़ा जाता है

ये दुआ ज़िन्दगी में 2 मौकों पर ज़रूर पढ़ो

जब कोई मुसलमान दुनिया से अलविदा हो जाए

अल्लाह पाक ने हर एक इंसान में जज़्बात और दिलों में दर्द डाला है| ये दर्दमन्द हो जाता है खास तौर पर अपना या कोई जानने वाला इस दुनिया से चला जाता है| तो बड़ा अफ़सोस और ग़म होता है|

जब किसी पर सख्त़ मुसीबत और आफत आन पड़े

कोई मुसलमान अगर किसी सख़्त मुसीबत या आफ़त में मुबतिला हो गया है तो उसे इन हालात की क़तई शिकायत नही करनी चाहिए| बल्कि अस-साबिरून बनकर अल्लाह से दुआ करते रहना चाहिए के अल्लाह उसपर रहम ज़रूर करेगा |

अगर इसी तरह का इस्लामिक दुआ सीखना और याद करना चाहते है तो इस पोस्ट को दोस्तों को शेयर करे।

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