Hazrat ali full history in hindi |जानिए हजरत अली कौन थे

अस्सलामु अलैकुम नाजरीन आज हम इस पोस्ट में बात करेंगें हज़रत अली (Hazrat ali) रदियल्लाहु तआला अन्हो के बारे उन्होंने इस्लाम के लिए कितनी बड़ी क़ुरबानी दिए है और उनकी मजार कहाँ है उनके वालिद का क्या नाम है उनके वालीदह का क्या नाम है साथ ही उनके बीवी के क्या नाम है कितने औलाद थे इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़े |

 Hazrat ali – हज़रत अली के बचपन की कहानी |

हजरत अली रदियल्लाहु तआला अन्हो कुछ अलग वाक्या है हज़रत अली ने 8 साल की उम्र में इस्लाम कबूल करने वाले मुस्लिमा है जिन्होंने इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस्लाम कबूल किया इन्होने छोटी उम्र से बहुत ही बहादुर थे इस्लाम कबूल करने के बाद बहुत से जंग लड़े और इस्लाम के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक रज्जब माह की 13 तारीख को 601 ई में हजरत अली का जन्म हुआ था। जो कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सोमवार 9 मार्च को है। इनका असली नाम अली इब्ने अबू तालिब था।

हज़रत अली के वालिद ( पिता ) वालीदह ( माता ) का क्या नाम है |
हज़रत अली के वालिद का नाम हज़रत इब्ने तालिब था और उनके वालीदह का नाम फातिमा बी असद था

Hazrat ali की शादी मुबारक फातिमा रदियल्लाहु तआला अन्होमा से हुआ था जो की हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वसल्लम के बेटी थी 

जंग ए खैबर में हजरत अली की बहादुरी और फ़तेह

जंगे खैबर कई बड़े जंगो में से एक जंग है जो खैबर की पहाड़ी पर हुवा जंग ए खैबर की दास्तान किताबो में भी लिखा गया है उस वक़्त सऊदी अरब में यहूदियों का दबदबा था खैबर की पहाड़ी पर भी यहूदियों के कब्जे में था जो सऊदी अरबिया में आज भी है |

पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खैबर के बादशाह को पैगाम भेजवाये और उसे अच्छे नेक रस्ते पर चलने की हिदायत दी खैबर के बादशाह ने उनके पैगाम को साफ़ साफ़ मानने से इंकार कर दिया

बात यही नहीं रुकी खैबर के बादशाह ने अपने ताकत के घमंड में आकर जंग छेड़ दिया खैबर के मुखिया मरहब ने कई लोगो को शहीद कर दिया

जब इस जंग के बारे में पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मालूम हुआ तो उन्होंने हजरत अली को खैबर के जंग में भेजा हजरत अली ने खैबर के जंग में बहादुरी और जांबाज़ी से मरहब को मार गिराए और खैबर के जंग को अपने नाम कर लिए यानी के फ़तेह कर लिए इसके बाद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अली को असदउल्लाह का नाम दिए जिसका मतलब अल्लाह का शेर होता है |

हजरत अली को सजदे में क़त्ल कर दिया गया

इस्लामिक रिवायतों के मुताबिक हजरत अली की शहादत 19 रमजान में हुवी थी हजरत अली जब कूफ़ा के एक मस्जिद में नमाज़ अदा कर रहे थे उसी दरमियान पीछे से उनपर तलवार से वार कर के क़त्ल कर दिया जाता है कहा गया है की जिस तलवार से हजरत अली पर वार हुवा था उस पर जहर लगा हुवा था और जैसे ही हजरत अली सजदे में जाते है उसी वक़्त अब्दुर्रहमान नाम का शख्स उन पर वार कर दिया |

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