Hasad Se Bachne Ki Dua | हसद से बचने की दुआ

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो आज हम आप लोगों के लिए लेकर आए हैं हसद से बचने की दुआ हसद में इंसान क्या कुछ नहीं करता है किसी को खाता-पीता या फलता-फूलता देख कर दिल में जालना और उसकी नेमातो के ज़वाल (खत्म होने) की तमन्ना करना इस ख़राब आदत का नाम हसद है।

हसद बहुत ही खराब आदत और निहायत ही बुरी बला है, गुनाह-ए-अज़ीम है। हसद करने वाले की सारी जिंदगी जालान और घुटन की आग में जलती रहती है और उसे चैन व सुकून कभी नसीब नहीं होता।

hasad-ki-dua

किसी इंसान के दिल में इमान और हसद इखते नहीं रह सकते।

यानी के ईमानवाला हसद नहीं कर सकता। हां फिर जो हसद करे वो इमानवाला नहीं।

एक रिवायत में आप (ﷺ) फरमाते है|

अपने आपको हसद (जालान) से बचाओ! बेसक हसद नेकियों को इस तरह खा जाता है, जैसी आग सूखी लकड़ी को कहा जाता है|

हसद ऐसी बुरी चीज है जो इमान को खोकला और अल्लाह की रहमत से महरूम कर देती है।

हसद कहा जयज है?

हदीस: अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि.) से समझौता है कि, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “हसद सिर्फ 2 बातों में जायज़ है! (एक) तो उस शाख्स के बारे में जिससे अल्लाह तआला ने दौलत दी हो और वो उस दौलत को राह-ए-हक में खर्च करें और (दुसरा) उस शाख्स के बारे में जिससे अल्लाह तआला ने दौलत दी हो और वो उसकी जरीए फैस्ले कर्ता हो और लोगो को उसकी तालीम देता हो।

हसद कहा जयज है?

हदीस: अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि.) से समझौता है कि, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “हसद सिर्फ 2 बातों में जायज़ है! (एक) तो उस शाख्स के बारे में जिससे अल्लाह तआला ने दौलत दी हो और वो उस दौलत को राह-ए-हक में खर्च करें और (दुसरा) उस शाख्स के बारे में जिससे अल्लाह तआला ने दौलत दी हो और वो उसकी जरीए फैस्ले कर्ता हो और लोगो को उसकी तालीम देता हो।

hasad-ki-dua-1

हसीदो के हसद से पनाह के लिए दुआ

जिस तरह से हमें हसद करने से बचने का हुक्म दिया गया है, उसी तरह से हसीद के शार से पाना माँगने की दुआ के लिए भी कहा गया है। क़ुरान-ए-मजीद में इस तरह से दुआ करने को कहा गया है

 बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

अल्लाह की पाना मांगता हूं, हासिल के शार से जब वो हसद करे। (अमीन)

Leave a Comment