Haaji Ka Laqab Lagana | हाजी का लक़ब लगाना

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो आज हम आप लोगों को बताएंगे कि अपने नाम के आगे ‘हाजी’ का लक़ब लगाना कैसा? हज एक ऐसी इबादत है जो हर साहिबे इस्तेहात मुसलमानों पर फर्ज है, लेकिन हज की नियत सिर्फ अल्लाह की इबादत हो और दिखावे से पाक हो। बिलखुसस हज वो इबादत है जो दिख कर आती है।

रियाकारी का मतलब (अर्थ) होता है

लोगन में शोहरत के बर्बाद अपने अमल का चर्चा करना, ऐसी इबादत जो खालिस अल्लाह के लिए करनी होती है लेकिन हम उसे लोगों को दिखावे के लिए करते हैं ताकि लोग हमारी तारीफ करें।’ इसे रिया कहते हैं’। संक्षेप में ‘लोगों से तारीफ की उम्मीद में अमल करना रिया है।’

hajj

रिया की तबाह करिया

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते हैं

रिया का अदना मरतबा भी शिर्क है।

इस्लामी अखलाक-ओ-अदब, हदीस-7, पृष्ठ-302

एक हदीस में आप (ﷺ) फरमाते हैं :

जिस ने दिखावे के लिए नमाज पढ़ी उसने शिर्क किया, जिस ने दिखावे के लिए रोजा रखा उसने शिर्क किया और जिसने दिखावे के लिए सदका किया उसने शिर्क किया।

साहिह बुखारी; साहिह अत-तरगीब, हदीस नंबर 43

शिर्क करने का नुक्सान क्या है?

हम सब जानते हैं शिर्क ऐसा गुनाह है जिसकी कोई मुआफ़ी नहीं। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान में फरमाता है –

जिसने अल्लाह के साथ किसी को शारिक तेहराया, अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी, उसका तिखाना जहन्नुम है और ज़ालिमो का कोई मददगार न होगा।”अल-कुरान 5:72

रिया श्रीक-ए-असगर है:

हदीस का मफ़हूम है के –

रसूलअल्लाह (ﷺ) फ़रमाया:

(ऐ इमानवालो) तुम्हारे बारे में जिस चीज़ से मैं डरता हूं वह शिर्क-ए-असगर है” सहाबा ने पूछा “या रसूलअल्लाह!” ये शिर्क-ए-असगर क्या चीज़ है?”

आपने फरमाया रिया ! यानि दिखावे के लिए काम करना।

अहमद

आज हमने रिया का मरकज़ हज को भी बना लिया है –

अल्लाह रहम करे! आज हमारी नमाज़, हमारे रोज़े और ज़कात से ज़्यादा हमारे हज रियाकारी के मरकज़ बन चुके हैं।

रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने रिया से अपने रब की इतनी पनाह मांगी के आप दुआ करते थे और एक दुआ खास जब आप हज को गए तो आपने एक दुआ की और फरमाया

अल्लाहुम्मा हज्जतन ला रिया’आ फ़िहा वा ला सुमा।” ऐ अल्लाह हमसे ऐसा हज ले के इस हज को हमारे लिए रिया और दिखावे से पाक कर।

क्या हदीस-ए-मुबारक पर हम थोड़ा भी गौर करें तो मालूम होगा जिस रिया के तल्लुक से रसूलअल्लाह दुआ कर रहे हैं और जिस मौके पर रिया के तल्लुक से दुआ कर रहे हैं के ऐ अल्लाह! क्या हज को हमारे लिए रिया और दिखावे से पक कर।

सुभानअल्लाह! अल्लाह रहम करे आज हमारे हज के क्या हाल हैं हम अपने हाजी भाइयों के नाम के आगे देख सकते हैं।

अल्लाह माशाअल्लाह! सभी हाजी भाई अपने नाम के आगे हाजी का लक़ब नहीं लगाते क्योंकि वो अपने अमल का दिखावा करना चाहते हैं और रिया शिकार (श्रीक-ए-असगर) हैं।

महज़ दिखावे के लिए और अपने नाम के आगे हाजी जैसा लक़ब लगाने के बर्बाद हज करना लोगों से तारीफ समेटने की खातिर किसी को भी अमल को अंजाम देना गोया रिया है।

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लिहाजा अपने अमाल का चर्चा करने से परहेज करे, और अपने अमाल को खालिस अल्लाह की इबादत के खातिर करे, रिया (दिखावा) के फिटनो से पाक रखने की कोशिश करे,।

इंशा अल्लाह उल अज़ीज़!!!

अल्लाह तआला हमें कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,

हमारी तमाम इबादतो को रियाकारी के फ़ितनो से पक राखे,

जब तक हमने जिंदा रखे, इस्लाम और ईमान पर जिंदा रखे,

ख़तमा हमारा ईमान पर हो,

!!! वा आख़िरु दवाना अनिलहम्दुलिल्लाहे रब्बिल आ’लमीन !!! आमीन! अल्लाहुम्मा आमीन

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