क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ हिंदी अंग्रेजी और अरबी में

अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु नाजरीन हम सबको पता है की एक दिन हमें दुनिया से रुखसत करना है तो क्यू न हम उसकी तैयारी पहले से कर लें इस्लाम में बहुत सी ऐसी बातें है जो हर मुसलमान को जानना और समझना चाइये तो आज हम इन्तेकाल के बाद मिटटी देने की दुआ के बारे में बताएँगे जो हर इस्लाम धर्म के लोग को याद होना चाहिए|

किसी भी मैयत में आप जाए सिरकत करें तो सबसे पहले आप कबरिस्तान के अंदर दाखिल होने से पहले अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु जरूर करें किसी भी जनाजे में मिटटी देना का इस्लामिक तरीका ये है की एक आदमी या एक इंसान को तीन 3 बार मिटटी देना है कब्र पर मिटटी डालते वक़्त समय मुस्तहक़ यह है की जनाजे के सर के तरफ सुरु Start करें और अपने दोनों हाथो में मिटटी भर के कब्र पर डालें|

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मिटटी देने की दुआ को कब्र पर मिटटी डालते समय पढ़ा जाता है। इस दुआ का मकसद यह होता है कि हम जो मिटटी कब्र पर डालते हैं, उसे अल्लाह तआला अपने रहमत और मागफिरत से भर दें और वह मरहूम की रूह के लिए आसान हो जाए। इस दुआ का पढ़ना हमारी नियत को साफ करता है और हमें याद दिलाता है कि हम सिर्फ अल्लाह तआला के लिए काम कर रहे हैं।

क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ हिन्दी

मिन्हा ख लकनाकुम वफी हा नुईदुकुम वामिन्हा नुखरिजुकुम ता-र-तनु उखरा

पहली मर्तबा मिटटी डालते वक़्त

मिन्हा लकनाकुम

तर्जुमा: इसी मिटटी से हमने तुमको पैदा किया

दूसरी मर्तबा मिटटी डालते वक़्त

वफी हा नुईदुकुम

तर्जुमा: और इसी मिटटी में हम तुमको लौटाएंगे

और तीसरा और आखिरी मर्तबा मिटटी डालते वक़्त

वामिन्हा नुखरिजुकुम ता-र-तनु उखरा

तर्जुमा:और इसी से क़यामत के दिन तम्हे दुबारा निकाल कर खड़ा करेंगे

क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ अरबी

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क़ब्र पर मिटटी देने की दुआ English

minha kh lakhanakum wafi ha nuidukum waminha nukharijukum ta-ra-tanu ukhra

pahalee martaba mitatee daalate waqt

Minha Kh Laknakum

tarjuma: isee mitatee se hamane tumako paida kiya

doosaree martaba mitatee daalate vaqt

vaphee ha nueedukum

tarjuma: aur isee mitatee mein ham tumako lautaenge

aur teesara aur aakhiree martaba mitatee daalate vaqt

vaaminha nukharijukum ta-ra-tanu ukhara

tarjuma: aur isee se qayaamat ke din tamhe dubaara nikaal kar khada karenge

मिटटी देने की दुआ एक इस्लामी रिवायत है जिसमें हम अल्लाह से दुआ मांगते हैं कि वह हमारी आत्मा को माफ़ करे और हमारी दुनियावी ज़िन्दगी के दिनों में हमें सब्र दे। इस दुआ को पढ़कर हम अपने आप को याद दिला सकते हैं कि दुनिया में हम सबकुछ होते हुए भी एक दिन हमारी मौत होगी और हमें इस बात की तैयारी करनी चाहिए। इसलिए यह दुआ हमें इस बात को समझाने के साथ-साथ एक अच्छी आदत भी दिलाती है जो हमें हमेशा याद रखनी चाहिए।

इस्लाम में मय्यत के दफ़्न के वक़्त बहुत सी दुआएँ पढ़ी जाती हैं। इनमें से एक दुआ है ‘मिट्टी देने की दुआ’ जो मय्यत को ज़मीन में दफ़्न करने के वक़्त पढ़ी जाती है। इस दुआ में अल्लाह से बेहतरीन मिट्टी मांगी जाती है ताकि मय्यत की रूह को सुकून मिल सके और उसके गुनाह माफ हो सकें। यह दुआ इस्लाम में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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जब आप किसी जनाजे की कब्र पर मिटटी डालने जाएं,

तो आपको निम्नलिखित बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए:

  1. पहले से ही मौजूद मदफ़ून की जगह को ध्यान से देखें और उन पर दुआ करें।
  2. कब्र के सामने खड़े होने से पहले अपने कपड़े साफ करें और पाक साफ रखें।
  3. अपने हाथ साफ करें और बा वजू हों ताकि आप जनाजे की कब्र पर मिटटी डाल सकें।
  4. कब्र पर मिटटी डालते समय सुकून और शांति के साथ दुआ करें।
  5. सामने लोगों से बातचीत न करें और उनके बीच में से न गुजरें।
  6. कब्र पर मिटटी डालते समय जल्दबाजी न करें और सावधानी बरतें।

इन सभी बातों का ध्यान रखने से आप जनाजे की कब्र पर मिटटी डालते समय सावधानीपूर्वक और इबादत के साथ काम कर सकते हैं।

जब आप किसी के इन्तेकाल की खबर सुनें, तो आप यह दुआ पढ़ सकते हैं:

“انا للہ و انا الیہ راجعون”

“इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन”

अर्थात्, हम अल्लाह के हैं और हम उसी की तरफ लौट कर जायेंगे।

यह दुआ मुस्लिम समुदाय में किसी के मरने की खबर सुनते ही पढ़ी जाती है। यह दुआ अल्लाह तआला के हुक्म और इस्लामिक सुन्नत के अनुसार होती है।

हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए मददगार साबित हुई होगी। हमेशा ध्यान रखें कि इस्लाम में जनाजे के समय सावधानी और सम्मान की बहुत अहमियत होती है।

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