दुआ ए मसूरा  हिंदी अंग्रेजी और अरबी में

अस्सलाम अलैकुम नाजरीन आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है नमाज़ के दरमियान पढ़ी जानी वाली दुआ ए मसूरा के बारे में। ये वो दुआ है जो नमाज़ में पढ़ी जाती है और इस दुआ को सीखना हर मुसलमान पर फर्ज है। जो निचे अच्छी तरह से सिखाया गया है।

दुआ ए मसूरा  नमाज़ कम्पलीट होने से पहले पढ़ते है यानि जब हम अत्तहियात पढ़ लेते है फिर दारूद ए इब्राहिम पढ़ते फिर उसके बाद दुआ इ मासुरा पढ़ते है , फिर उसके बाद सलाम फेरते है।

दुआ ए मसूरा  हर मुसलमान को याद होना चाहिए। लेकिन अगर किसी वजह से दुआ याद नहीं है तो इसकी जगह पर कोई दूसरी दुआ भी पढ़ सकते है। या आपके पास टाइम कम है तो इस स्थिति में दुआ मासुरा छोड़ सकते है फिर भी आपकी नमाज़ हो जाएगी।

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दुआ इ मासुरा आपको याद करने के लिए मैंने हिंदी ,अरबी, इंग्लिश में लिखा है आप जिसमे भी कम्फर्टेबले है याद कर सकते हो। अगर आपको पहले से याद हो तो एक बार फिर से पढ़कर देख लो आप कोई गलती तो नहीं कर रहे है।

इस पोस्ट में आपको दुआ इ मासुरा के तर्जुमा भी याद करने को मिलने वाला है। जब आप दुआ या क़ुरान की आयत मतलब समझ कर पढ़ते है तब आपको ज्यादा सवाब मिलता है और साथ ही हमारा दिल भी पढ़ने में लगता है।

दुआ ए मसूरा  अरबी में

اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَوَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ

दुआ ए मसूरा  तर्जुमा अरबी में

اے اللّٰه! بیشک میں نے اپنے نفس یعنی اپنی جان پر بہت زیادہ ظلم کیا اور تیرے سوا کوئی بھی گناہوں کو نہیں بخش سکتا بس مجھ کو بخش دے اپنی خاص بخشش سےاور مجھ پر رحم فرما بیشک تُو ہی بخشنے والا، بے حد رحم والا ہے.

दुआ ए मसूरा  हिंदी में

अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम.

दुआ ए मासुरा तर्जुमा हिंदी में

ए अल्लाह हमने अपनी जान पर बहुत जुल्म किया है और गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता हमारी मग फिरत फरमा ऐसे मग फिरत जो तेरे पास से हो और हम पर रहम कर बेशक तू बड़ा मग फिरत करने वाला और रहम करने वाला है।

दुआ ए मसूरा  अंग्रेज़ी में

Allahumma Inni Zalamtu Nafsi, Zulman Kaseeraan, Wala Yaghfiruz-Zunooba Illa Anta Faghfirlee Maghfiratan-mMin ‘Indika War Hamnee Innakaa Antal Ghafoorur Raheemu

दुआ ए मासुरा तर्जुमा अंग्रेज़ी में

e allaah hamane apanee jaan par bahut julm kiya hai aur gunaahon ko tere siva koee maaph nahin kar sakata hamaaree mag phirat pharama aise mag phirat jo tere paas se ho aur ham par raham kar beshak too bada mag phirat karane vaala aur raham karane vaala hai.

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दुआ ए मासुरा की फायदे

इस्लाम धर्म मे बहुत सारी दुआए हैं, और हर दुआ का मतलब अलग अलग है, और इन्हे पढ़ने से होने वाले फायदे भी अलग अलग है , लेकिन आज दुआ ए मासुरा के फायदे के बारे में बात करेंगे।

  • दुआ ए मासुरा अपनी गलतियों को अल्लाह ताला से माफी मांगने के लिए पढ़ा जाता है। अगर इस दुआ को सच्चे मन से पढ़ते है तो खुदा आपके सारे गुनाहो को माफ़ कर देता है।
  • बहुत सारे मुसलमानो का मानना है, दुआ ए मासुरा को पढ़ने से एक नई ताजगी महसूस होती है, इसलिए आप भी इस दुआ की आदत बना लीजिए।
  • माना जाता है की इस दुआ को पढ़ने से घर में बरकत आती है, और सारे बिगड़े हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। यदि आपका भी कोई ऐसा काम है, जो नहीं बन पा रहा है, तो आप इस दुआ को रोजाना नमाज़ खत्म होने से पहले जरूर पढा करें।
  • ऐसा भी कहा जाता है की अगर आपको अच्छा स्वाथ्य पाना चाहते है तो नमाज़ से पहले दुआ इ मासुरा पढ़ा करे।

माना जाता है कि एक बार हजरत अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने हमारे प्यारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम से दरख्वास्त की, कि आप मुझे कोई ऐसी दुआ बताएं, जो मैं नमाज़ के समय पढा करूँ।

तब हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु को दुआ ए मासुरा पढ़ने के लिए कहा। तभी से इस दुआ की शुरुवात हुई।

Dua e Masura ki Hadees

अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है की एक बार हजरत अबू बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और पूछा या रसूल अल्लाह मुझे ऐसी दुआ सिखा दीजिये जो मै नमाज़ में पढ़ा करूँ तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम ने उन्हें दुआ ए मासुरा सिखाई।

नमाज़ में दुआ ए मासुरा कब पढ़ी जाती है?

जब हम लोग नमाज़ पढ़ते वो फ़र्ज़ नमाज़ हो सकता है या सुन्नत भी हो सकता है कोई भी नमाज़ पढ़ते है तो जब 2 रकात पढ़ते के बाद बैठते है जिसमे अत्तहिय्यत पढ़ते है फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है फिर उसके बाद हम लोग दुआ इ मासुरा पढ़ते है फिर सलाम फेलते है।

दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?

जिस तरह से नमाज़ में तहय्यात या फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है उसी तरह दुआ इ मासुरा दुआ भी पढ़ते है लेकिन ये दुआ याद नहीं है तो कोई दूसरा दरूद शरीफ भी पढ़ सकते है।

क्या बिना दुआ ए मासुरा पढ़े नमाज़ पूरी नहीं होगी?

ये जरुरी नहीं है की दुआ ए मासुरा याद नहीं है तो नमाज़ नहीं होगा ऐसा कही पे भी लिखा नहीं है। बल्कि इसके बदले कोई दूसरा दुआ भी पढ़ सकते है।

उम्मीद है की आपको ये इस्लामिक इनफार्मेशन पसंद आया होगा तो इसे जितना ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ये जानकारी हर मुसलमान भाई तक पहुँच सके अगर आपको इससे जुड़े कोई सवाल पूछना हो तो ईमेल या कमेंट कर के पूछ सकते है | अल्लाह हाफ़िज़

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