जनाजे की नमाज की दुआ और जनाजे की नमाज का तरीका हिंदी में

अस्सलाम अलैकुम आज इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं जनाजे की नमाज के तरीके के बारे में । हम पांच वक्त के फर्ज़ नमाजों के बारे में तो जानते ही हैं लेकिन जनाजे की नमाज का तरीका बहुत से लोगों को नहीं पता है लेकिन जनाजे की नमाज में भी बहुत सारे फजीलत है।इसे पढ़ना भी बहुत जरूरी होता है अल्लाह पाक जनाजे की नमाज पढ़ने वाले लोगों से बहुत खुश होते हैं क्योंकि जो नमाज जो दुआ दूसरों के लिए अदा की जाती है अल्लाह पाक उन्हें कुबूल फरमाते हैं और उनसे बहुत खुश होते हैं।

बहुत सारे लोग जनाजे में तो चले जाते हैं लेकिन उन्हें जनाजे की नमाज के तरीके नहीं आते हैं लेकिन आज हम आपको बहुत ही आसान तरीके से जनाजे की नमाज के बारे में बताने वाले हैं तो इस पोस्ट को पूरी तरह अच्छे से पढ़िएगा अगर आप इसे आधा अधूरा पढ़ोगे तो आप बिल्कुल भी समझ नहीं पाओगे इसलिए इसे मुकम्मल तरीके से पढ़ना जरूरी है तो चलिए जानते है जनाजे की नमाज पढ़ने का तरीका।

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जनाजे के नमाज़ की नियत

किसी भी नमाज को मुकम्मल तौर पर पड़ने से पहले नियत बांधने बहुत जरूरी होती है उसी तरह जनाजे की नमाज के लिए भी नियत करनी बहुत जरूरी होती है तो आपको नियत कुछ इस तरह से करनी है।

“नियत की मैंने नमाजे जनाजा की चार तकबीरों के साथ वास्ते अल्लाह ताला के दुआ इस मय्यत के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर “

तो इस तरह से आपके जनाजे की नमाज की नियत मुकम्मल हो जाती है लेकिन ध्यान रहे आपको नियत करना बहुत जरूरी है बिना नियत के आप जनाजे की नमाज तो क्या किसी भी नमाज को मुकम्मल नहीं कर सकते।

जनाजे की नमाज का तरीका

आप जानते हैं कि जनाजे की नमाज पढ़ने का मुकम्मल तरीका क्या है हम आपको स्टेप बाय स्टेप बताएंगे और हम आपसे यह फिर से कह रहे हैं कि आप इसे अच्छी तरह पड़े क्योंकि अगर एक भी भूल चूक हुई तो आपकी नमाज मुकम्मल नहीं होगी।

जनाजे की नमाज में रुकु और सजदा नहीं होता।

जनाजे की नमाज ही इकलौती ऐसी नमाज है जिसमें रुकु और सजदा करने की इजाजत नहीं दी गई है आपको बस इसमें चार तकबीर पढ़नी होती है और कुछ दुआएं होती है जिनको आपको पढ़ना होता है उसके बाद आप को सलाम फेरना होता है। इन सबके बाद आपके जनाजे की नमाज मुकम्मल हो जाती है।

जनाजे की नमाज फर्ज है । इस नमाज को औरत और मर्द दोनों पढ़ सकते हैं । जनाजे में जाने वाले सभी लोगों को जनाजे की नमाज पड़ना जरूरी है । अगर कोई एक शख्स जान बूझकर नमाज नही पढ़े तो सब गुनेहगार हो जायेंगे । जनाजे की नमाज में हर मुसलमानो को शामिल होना चाहिए अल्लाह ऐसे लोगों पर अपनी रहमत बरसाते है जो किसी की मैय्यत में शरिक हो और जनाजे की नमाज अदा करे।

जनाजे की नमाज़ का फर्स्ट स्टेप –

सबसे पहले खड़े होकर जनाजे की नमाज की नियत अदा करें नियत का तरीका आपको बता दिया गया है । नियत करने के बाद आपको पहले तकबीर में “अल्लाह हू अकबर “कहकर आम नमाजो की तरह दोनों हाथ को बांध लेना है । हाथ बांधने के बाद आपको सना पढ़ना है –

” सना सुबहानकल्लाहुम्मा वाबिहमदिका वताबाराकश्मुका वताआलाजद्दूका वजल्ला सनाओका वालाइलाहा गैरुका

आपको सना में कुछ तब्दीलियां लगी होगी लेकिन जनाजे की नमाज में सना इस तरह ही पढ़ना जरूरी है।

दुसरा स्टेप –

इसके बाद बिना हाथ उठाए अल्लाह हू अकबर पड़े उसके बाद दरूदे इब्राहिम पढ़े।

अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदीऊ वाआला आली मोहम्मदिन कमा सल्लेता आला इब्राहीमा वा आला आली इब्राहीमा इन्नका हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारीकाला मोहम्मदीऊ कमा बारकता आला इब्राहीमा वा आला आली इब्राहीमा इन्नाका हमीदूम मजीद।

तीसरा स्टेप –

इसके बाद अब बगैर हाथ उठाएं तीसरी तकबीर अल्लाह हू अकबर और यह दुआ पढ़े –

अल्लाहुम्मा मगफिरली हईईना वा मय्यतीना वा शाहिना वा गाईबीना वा सगिरिना वा कबीरीना वा जाकारिना वा उनसाना अल्लाहुम्मा मन अहयइतहु मिन्ना फअहइही अल इस्लामी व मन फतावफ्फाहु मिन्ना फतावफ्फाहू अललीईमान.

अगर किसी नाबालिक लड़की या लड़का का जनाजा हो तो तीसरी तकबीर के बाद यह दुआ पढ़े –

अल्लाहुम्मज अल्हा लना फरावत वजअल्हा लना अजरव वा जुखरव वजअल्हा लना शफ़ीअव व मुशफ्फाअह .

कई सारे लोग ऐसे हैं जो जनाजे की दुआ को नहीं जानते हैं लेकिन इसे याद करना बहुत जरूरी है लेकिन अगर फिर भी किसी को यह दुआ याद नहीं है तो वह यह दुआ पढ़ सकता है।

अल्लाहुम्मगफिरली मुअमिनिना वल मुअ मिनात

चौथा स्टेप –

अब बगैर हाथ उठाएं चौथी तकबीर अल्लाह हू अकबर और हाथ बांधे बांधे ही सलाम फेरदे।

अब इसके बाद दुआ ए मगफिरत पढ़ें जनाजा नमाज के सलाम फेरने के बाद आप कोई भी दुआ मैयत की मगफिरत के लिए पढ़ सकते हैं बस नमाजे जनाजा मुकम्मल हो गई इसके बाद जनाजे को उठाकर कब्रिस्तान ले जा सकते हैं।

नमाजे जनाजा के बारे में कुछ जरूरी बातें

नमाजे जनाजा एक फर्ज नमाज है जो औरतों और मर्दों दोनों पर फर्ज है लेकिन अगर किसी ने यह नमाज किसी जनाजे में नहीं पड़ी तो सभी लोग गुनहगार होंगे इसलिए सभी लोगों को कभी भी मौका मिले तो जनाजे में जाने से इंकार नहीं करना चाहिए और जाने के बाद जनाजे की नमाज को भी नहीं छोड़ना चाहिए।

अगर आप जनाजे की नमाज में शामिल होते हैं तो अल्लाह ताला आप को जन्नत अता फरमाता है । जरा सोचिए कि जन्नत जैसी पाक और खूबसूरत जगह दुनिया में कहीं नहीं है और बहुत कम लोगों को मरने के बाद इसका दीदार नसीब होता है अल्लाह ताला ने जनाजे की नमाज में जन्नत अता की है तो कुछ ना कुछ तो बात होगी इसलिए जनाजे की नमाज ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश कीजिए।

जनाजे की नमाज में किस तरह से जाते हैं

जनाजे की नमाज में जाने के लिए सबसे पहले पाक साफ होना बहुत जरूरी है इसलिए नमाज में जाने से पहले अच्छी तरह गुसल करें उसके बाद मुकम्मल तौर पे वुजु करे। साफ-सुथरे कपड़े पहने टोपी लगाए और ध्यान रहे कि कब्रिस्तान जाने तक किसी ऐसे नापाक जगह पर ना बैठे जिससे आप नापाक हो जाए क्योंकि उसके बाद आप की नमाज मुकम्मल नहीं होगी इसलिए जब आप जनाजे में जाने से पहले नहाते हैं तो उसके बाद ध्यान रहे कि जब तक आप कब्रिस्तान से घर नहीं लौट जाते किसी भी जगह पर बैठने से पहले ध्यान रखें।

जनाजे की नमाज किसे पढ़ाने की इजाजत दी गई है

जनाजे की नमाज ज्यादातर काजी साहब या फिर इमामे जुमा को पढ़ाने की इजाजत दी गई है । लेकिन अगर किसी ने भी दिन तालीम हासिल करी है और उन्हें अच्छी तरह नमाज अदा करवाने की तरबियत है तो वह भी जनाजे की नमाज अदा करवा सकते हैं जैसे कि कोई आलिम या फिर हाफिज का बेटा। एक बात आपको हमेशा ध्यान में रखनी है कि बच्चों को जनाजे की नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई है इसलिए बच्चों को जनाजे की नमाज में ना ले जाए।

किन लोगों का जनाजा नमाज ना पढ़ने का हुक्म दिया गया है

अल्लाह पाक ने सभी के लिए जनाजे की नमाज पढ़ने का हुक्म दिया है भले ही वह कैसा भी इंसान हो चोर डाकू डकैत किसी की जान लेने वाला अल्लाह कहते हैं कि ” तुम अपना हक अदा करो बाकी मैं हूं ” इसलिए किसी से भी बैर ना रखे भले ही आपका दुश्मन क्यों ना हो लेकिन आप किसी की मय्यत में जाने से इंकार ना करें आप अपना फर्ज अदा करें इससे अल्लाह पाक बहुत खुश होते हैं कि इस बंदे ने मेरा कहना माना और अपनी दुश्मनी भूल कर मेरे लिए इसने जनाजे की नमाज अदा की।

क्या है जनाज़े को कन्धा देने का त़रीक़ा?

जनाज़े को कन्धा देना एक इ़बादत है। कन्धा देने का सुन्नत यह है कि एक के बाद दीगरे चारों पायों को कन्धा दे और हर बार दस दस क़दम चले। पूरी सुन्नत यह है कि पहले सीधे सिरहाने कन्धा दे फिर सीधी पाइंती (यानी सीधे पाउं की त़रफ़) फिर उलटे सिरहाने फिर उलटी पाइंती और दस दस क़दम चले तो कुल चालीस क़दम हुए। (, बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 822) बाज़ लोग जनाज़े के जुलूस में एलान करते रहते हैं, दो दो क़दम चलो! उन को चाहिये कि इस त़रह़ एलान किया करें : “दस दस क़दम चलो।”

जनाज़े को कन्धा देने का सवाब

ह़दीसे पाक में है : “जो जनाज़े को चालीस क़दम ले कर चले उस के चालीस कबीरा गुनाह मिटा दिये जाएंगे।” नीज़ ह़दीस शरीफ़ में है : जो जनाज़े के चारों पायों को कन्धा दे अल्लाह उस की ह़त्मी (यानी मुस्तकि़ल) मगि़्फ़रत फ़रमा देगा। (बहारे शरीअ़त, जि. 1, स. 823)

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जनाज़ा की नमाज़ में कितनी चीजें फ़र्ज़ है?

नमाज़ ए जनाज़ा में 2 चीज़े फ़र्ज़ है और अगर फ़र्ज़ छूट जाए तो नमाज़ जनाज़ा या कोई अमल नहीं होता। पहली फ़र्ज़ चार बार तकबीर कहना (चार मर्तबा अल्लाह हुअक्बर कहना) और दूसरी फ़र्ज़ क़याम करना यानि नमाज़ ए जनाज़ा को खड़े होकर पढ़ना।

जनाज़ा की नमाज़ में कितनी चीजें सुन्नत है?

नमाज़ ए जनाज़ा में 3 चीज़े सुन्नत है और अगर सुन्नत पर अमल करते है तो और ज्यादा सवाब मिलेगा। पहली सुन्नत अल्लाह ता’आला की हम्द बयान करना यानि तारीफ करना और दूसरी सुन्नत मुहम्मद सल्लाह अलैहे वसल्लम पर दरूद शरीफ पढ़ना और तीसरी सुन्नत मैय्यत के लिए दुआ करना।

अगर एक वक्त पर कई जनाज़े इकठ्ठा हो जाए तो क्या करे?

अगर एक वक़्त में बहुत सारे जनाज़े इकठ्ठा हो जाए तो एक साथ जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकते है लेकिन ऐसी सूरत में सब जनाज़े इमाम के सामने होंगे।

क्या जूते और चप्पल पहन कर या उन पर खड़े होकर जनाज़े की नमाज़ पढ़ना कैसा है?

हां दुरुस्त है (पढ़ सकते है) जूते और चप्पल पहन कर या उन पर खड़े होकर जनाज़े की नमाज़ पढ़ सकते है लेकिन एक शर्त है जूते चप्पल और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहे है वह जगह पाक हो।

क्या मस्जिद में नमाज़ जनाज़ा पढ़ना जाइज़ है?

नहीं बिलकुल भी नहीं मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ पढ़ना मकरूह ए तहरीमी है मय्यत चाहे मस्जिद के अंदर हो या मस्जिद के बाहर। अगर जुम्मे के दिन किसी भी इन्तेकाल हो गया है तो अगर जुम्मे से पहले तदफीन हो सके तो पहले ही कर ले इस खयाल से मय्यत रोके रखना की जुमे के बाद ज्यादा लोग आएंगे यह मकरूह हैं

क्या मय्यत को बगैर नमाज़ ए जनाज़ा पढ़े दफ़न कर सकते है?

अगर मय्यत को बगैर नमाज़ जनाज़ा पढ़े दफन कर दिया और मिट्टी भी दे दी तो अब उसकी कब्र पर नमाज़ पढ़े जब तक फटने का गुमान ना हो और अगर मिट्टी ना दी गई है तो मय्यत को बाहर निकालें और नमाज पढ़कर दफन करें।

क्या शौहर बीवी के जनाज़े को कन्धा दे सकता है?

शौहर अपनी बीवी के जनाज़े को कन्धा भी दे सकता है, और क़ब्र में भी उतार सकता है और मुंह भी देख सकता है। मगर सिर्फ़ ग़ुस्ल देने और बिला ह़ाइल बदन को छूने की मुमानअ़त है यानि मना है। लेकिन बीवी अपने शौहर को ग़ुस्ल दे सकती है।

तो दोस्तों हमने आपको जनाजे की नमाज पढ़ने का पूरा तरीका बताया है अगर आप जनाजे की नमाज नहीं पढ़ते हैं तो आप भी जनाजे की नमाज में शामिल होने की कोशिश कीजिए।

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