गुस्ल की दुआ और ग़ुस्ल करने का तरीका हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु प्यारे दीनी भाइयों और बहनों, क्या आप भी गुस्ल की दुआ को जानना चाहते हो। ग़ुस्ल का तरीका हिंदी में बताएँगे। आपको इस्लाम की हर एक छोटी और बड़ी बात का पता होना बेहद जरूरी है। हम इस्लाम जैसे पाकीजा मजहब से ता आलूक रखते है तो हमें इस्लाम के बताये रास्ते पर ही चलना चाहिए|

प्यारे साथियों, अक्सर लोग गुस्ल की दुआ को इन्टरनेट पर खोजने की कोशिश करते हैं।

लेकिन उनको गुस्ल की दुआ कहीं मिलती नहीं है।

तो आपको बता दें कि गुस्ल की दुआ होती ही नहीं है।

सिर्फ गुस्ल करने के फराइज़ और सुन्नते होती हैं, जिनको जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।

क्यूंकि गुस्ल के फराइज़ के बिना आपका गुस्ल मुकम्मल नहीं हो सकता है।

आप किसी के भी बातो में न आए बहुत सारे लोग ग़ुस्ल की गलत सही दुआ बताते है पर ऐसा कुछ है ही नहीं।

आप चाहे तो अपने मौलवी से जानकारी ले सकते हैं।

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ग़ुस्ल क्या है?

ग़ुस्ल शब्द, अरबी भाषा का है, जिसका मतलब होता है पुरे जिस्म को नहलाना या स्नान करना होता है।

अगर कोई वालिग़ इंसान नापाकी की हालत में है यानी अपनी पाकीज़गी खो चुका है।

चाहे वो किसी वजह से क्यूँ न हो।

तो इस्लामी अरकान जैसे नमाज और कुरान पढ़ने या अन्य इस्लामी अमल के समय सबसे पहले उसे ग़ुस्ल करना ज़रूरी होता है।

चंद बातें ये हैं जिनके होने से गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाता है।

हमबिस्तरी कर चुका हो

इन्तेकाल हो जाने पर (Death के time)

जिस लड़की मासिक धर्म पूरा हो गया हो

वीर्य निकलने पर (मनी निकलने पर)

अक्सर ग़ुस्ल करने को “पूर्ण स्नान” भी कहा जा सकता है, और वुजू करने को “आधा स्नान”भी कहा जाता है।

वुज़ु जिसे मुस्लिम छोटी नापाकी जैसे बैतूल खला या इस्तिंजा करने, रिहा खारिज़ होने पर, गहरी नींद सोने पर, ज़रा भी खून बहने पर किया जाता है।

गुस्ल करने के फराइज़

दोस्तों आपको बता दें कि गुस्ल करने के 3 फ़र्ज़ होते हैं।

अगर इनमे से एक भी फ़र्ज़ छूट जाता है तो आपका गुस्ल मुकम्मल नहीं होगा। ये गुस्ल के तीन फ़र्ज़ इस तरह हैं…

  1. कुल्ली करना: – जब आप गुस्ल करने के लिए जायिंगे तो आपको गरारह के साथ कुल्ली करना है। रोज़े की हालत में गरारह नहीं करना है, सिर्फ कुल्ली करना है। ध्यान रहे अगर कोई बड़ी नापाकी हो तो आप पहले कमर के नीचे के हिस्से को अच्छे से धो लें।
  2. नाक में पानी डालना: – दूसरा फ़र्ज़ ये है कि आपको अपनी नाक की नरम हड्डी तक पानी पहुंचाना है। जैसा हमने वजू के तरीके में सीखा था।
  1. पूरे जिस्म पर पानी बहाना: – अब तीसरे फ़र्ज़ को करते वक़्त आपको अपने पूरे बदन पर पानी बहाते हुए नहाना है और पानी इस तरह बहाना है कि बदन की कोई भी जगह बाल बराबर भी सूखी न बचे।

तो ये तो गुस्ल करने के फराइज़ थे जिनके बिना गुस्ल हो ही नहीं सकता।

आईये अब गुस्ल का तरीका जान लेते हैं।

ग़ुस्ल करने का पूरा तरीका

तो चलिए दोस्तों अब हम इस्लामिक तरीके से गुस्ल करने का तरीका जान लेते है।

और आप हमेशा कोशिश करें कि इसी तरीके से नहायें।

अगर आप किसी बजह से जल्दी में है तो आप सिर्फ फ़र्ज़ अदा करके गुस्ल कर सकते हैं, जो हमने ऊपर बताये हैं।

तो आईये जानते हैं गुस्ल करने का तरीका

सबसे पहले कोई भी नेक काम हो बिस्मिल्लाह जरूर पढ़ा करें।

ग़ुस्ल करने का तरीका तरतीब बार जानें

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

  1. नीयत करना: – हमें चाहिए कि सबसे पहले हम गुस्ल की नियत करें। यानि दिल में यह इरादा करना है कि हम निजासत से पाक होने, अल्लाह की रज़ा और सवाब के लिये नहा रहे हैं, न की बदन साफ़ करने के लिये।
  2. हाथ गट्टों तक धोना: – फिर हम अपने हांथो को गट्टों तक तीन बार अच्छे से धोयिंगे और गरारह के साथ कुल्ली करेंगे। जिसमें एक फ़र्ज़ अदा हो जायेगा।
  3. शर्मगाह धोना: – अब हम अपने कमर के नीचे का हिस्सा अच्छी तरह धोयेंगे चाहे निजासत लगी हो या नहीं।
  4. बदन पर लगी निजासत धोना: – अब हम अपने बदन पर लगी निजासत धोयेंगे, अगर किसी बजह से लग गयी हो तो।
  5. नाक में पानी डालना: – अब हम नाक की नरम हड्डी तक पानी पहुंचाएंगे। जिससे हमारा गुस्ल का दूसरा फ़र्ज़ अदा हो जायेगा।
  6. पूरे बदन पर पानी मलना: – उसके बाद हम पूरे बदन पर पानी को मलेंगे। जैसे: – तेल को मलते है उसी तरह पानी से भी मलें। ख़ास कर सर्दियों के महीने में ऐसा जरूर करें।
  7. दाहिने कंधे पर पानी बहाना: – फिर हम अपने दाहिने कंधे पर तीन बार पानी डालेंगे।
  8. बायें कंधे पर पानी बहाना: – फिर हम अपने बाएँ कंधे पर तीन बार पानी डालेंगे।
  9. पूरे बदन पर पानी बहाना: – फिर हमें अपने पूरे बदन पर पानी डालना है और अच्छे से नहाना है।
  10. पाँव धोना: – हमें अपने पांव को अच्छे से धोना है।
  11. पूरे बदन पर हाथ फेरना: – फिर हमें पूरे बदन को अच्छे से मलना है।

ध्यान रखें बदन को इस तरह मलना है कि कोई भी जगह बाल बराबर भी सूखी न बचे।

इस तरह ग़ुस्ल करने का तरीका अपनाकर मुकम्मल पाकी हासिल हो जाती है।

लेकिन अगर ग़ुस्ल में कुछ मुस्तहब अमल भी किये जायें तो इसके सवाब को और बढ़ाया जा सकता है।

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ग़ुस्ल के मुस्ताहिबात

  • ज़ुबान से नीयत करना।
  • नहाते में क़िबले की तरफ़ रुख़ न करना जबकि कपड़े पहने न हों।
  • ऐसी जगह नहाना कि किसी की नज़र न पड़े।
  • मर्द खुली जगह पर नहाए तो नाफ़ से घुटने तक का जिस्म पर कोई कपड़ा या तहबंद बाँधकर नहाए जबकि औरत का खुली जगह पर नहाना सही नहीं है।
  • ग़ुस्ल में किसी तरह की बात न करना और न ही कोई दुआ पढ़ना।
  • नहाने के बाद तौलिया या रूमाल से बदन पोंछना।
  • सारे बदन पर तरतीब से पानी बहाना।

ग़ुस्ल कब ज़रूरी होता है?

आपको मालूम होना चाहिए कि 4 चीज़ों के बाद ग़ुस्ल ज़रूरी होता है जो इस तरह हैं

  1.  हमबिस्तरी(Sex) के बाद : – जब भी आप हमबिस्तरी यानि सेक्स करते हैं तो उसके बाद ग़ुस्ल ज़रूरी हो जाता है। आप बगैर ग़ुस्ल के नमाज़ या क़ुरान नहीं पढ़ सकते।
  2. मनी का निकलना या Nightfall के बाद: – किसी भी हालत में चाहे सोने की हालत में हो या कोई और बजह, अगर मनी निकल जाती है तो ग़ुस्ल ज़रूरी हो जाता है। चाहे सो रहे हो या जाग रहे हो, मर्द और औरत दोने के लिए यही हुक्म है।
  3.  हैज़ के बाद (मासिक धर्म): – जिन चीज़ों से ग़ुस्ल वाजिब होता है उनमे से तीसरी चीज़ औरत का पीरियड (मासिक धर्म) है। जब औरत अपने पीरियड से फ़ारिग़ हो जाए तो उसे ग़ुस्ल कर लेना चाहिए। फिर नमाज़ और क़ुरान की तिलावत शुरू करें।
  4. निफ़ास के खत्म होने के बाद: – जब बच्चा पैदा होता है तो उसके बाद औरत को जितने दिन ब्लीडिंग होती है उसे निफ़ास कहते है। रोज़ा, नमाज़, क़ुरान वगैरह के बारे में निफ़ास वाली औरत को वही मसाएल है जो पीरियड वाली औरत के लिए है। निफ़ास के कम से कम time के बारे में कुछ कहना मुश्किल है। क्युकी हो सकता है की किसी औरत को बच्चा पैदा हो और ब्लीडिंग बिलकुल भी न हो। लेकिन उसका time ज्यादा से ज़्यादा 40 दिन होता है फिर उसके बाद औरत के लिए ग़ुस्ल करके नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है।

हमें उम्मीद है कि आपको हमारा ग़ुस्ल करने का तरीका और गुस्ल की दुआ पोस्ट पसंद आई होगी। आपका कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। और आप इस पोस्ट अपने साथियों के साथ भी शेयर कर सकते हैं। ताकि उनको भी गुस्ल के बारे में जानकारी हासिल हो सके।

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