Sehri or iftar ka byan – 12 important sehri iftar facts in hindi

                       सेहरी और इफ्तार के मशलें

Sehri or iftar ke kuch mashlen – सहरी खाना सुन्नत है |

अस्सलामो अलैकुम सेहरी Sehri खाना सुन्नत है नाजरीन आज के article में हम सेहरी और इफ्तार के बारें में बात करेंगे और इसके मशलें को जानेगे |

मसअला:- 1 सेहरी खाना सुन्नत है और भूख न हो और सेहरी न खाएं तो कम से कम दो तीन छुहारे खालें या फिर कोई और चीज मुख़्तसर ही खा लें और ये भी खाने का मन ना हो अगर सेहरी में तो कम से कम थोड़ा सा पानी ही पिलें

मसअला:- 2 अगर कोई शख्स सेहरी न खाई बल्कि सेहरी में उठ कर एकाध पान ही खा लिया तो भी उस सख्स को सेहरी खाने का सवाब मिल गया |

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mas”la:- 3 Sehri जहाँ तक हो सके देर कर के देर कर के खाना बेहतर है लेकिन इतनी भी देर ना करें की फज़र की नमाज़ का टाइम हो जाए और सेहरी का वक़्त ख़तम हो जाए |

मसअला:- 4 अगर सेहरी बड़ी जल्दी खा लिए हों और उसके बाद अगर आप चाय, पान ,तम्बाकू ,वगैरह खाते पीते रहे और सेहरी के वक़्त के ख़तम होने के पहले कुल्ला कर के सेहरी की दुआ मांग ली तबभी आपको देर कर के खाने का सवाब मिल गया और इसका भी वही हुक्म है जो देर करके खाने का है |

क्या सेहरी छूठ जाने पर रोज़ा छोड़ देना सही है

मसअला:- 5 अगर रात को सेहरी खाने के लिए आपकी आंख ना खुले और घर के लोगों में से किसी का भी आंख न खुले तो बिना सेहरी खाय रोज़ा रख लेना चाहिए सेहरी छूठ जाने से रोज़ा छोड़ देना बहुत ही बड़ा गुनाह है |

mas”la:- 6 जब तक सुबह न हो और फजर की नमाज़ का वक़्त न आजाए उस वक़्त तक सेहरी sehri खाना दुरुस्त है उसके बाद खाना दुरुस्त नहीं है |

मसअला:- 7 अगर किसी की आंख देर से खुली और उसे ये ख्याल हुआ की अभी रात बाकी है इसी गुमान पर उसने सेहरी sehri खा ली फिर मालुम हुआ की सुबह हो जाने के बाद उसने सेहरी खाई थी तो आपकी रोज़ा नहीं होगी आपको उस रोज़ा की क़ज़ा रखना पड़ेगा |

mas”la:- 8 इतनी देर हो गयी की सुबह हो जाने का सुबह पड़ गया तो अब सेहरी sehri खाना मकरूह है और अगर ऐसे वक़्त कुछ खा लिया या पानी पि लिया तो अपने गुनाह कर दिया और फिर अगर मालुम हो गया की उस वक़्त सुबह हो चूका था तो फिर आप उस रोज़े की क़ज़ा रखें और अगर कुछ न मालूम हुआ सुबह ही सुबह रह जाए तो फिर क़ज़ा रखना वाज़िब नहीं है लेकिन एहतियात की बात ये है उसकी क़ज़ा रख लें |

देर करके रोज़ा खोलना कैसा है

मसअला:- 9 इफ्तार की मुस्तहब ये है की जब सूरज यकीं तौर पर डूब जाय तो तुरंत रोज़ा खोल लेना चाहिए देर कर के रोज़ा खोलना मकरूह है |

mas”la:- 10 जिस दिन आसमान में बादल छाए हो उस दिन जरा देर कर के रोज़ा खोलें जब आपको पूरा यकीं हो जाए की अब सूरज डूब गया होगा तभी इफ्तार करें या फिर जब आप मग़रिब की अजान सुन लें उसके बाद ही रोज़ा खोलना दुरुस्त है |

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मसअला:- 11 छुहारे से रोज़ा खोलना बेहतर होता है अगर छुहारा नहीं है तो किसी मीठे चीज से रोज़ा खोल ले और अगर कोई चीज नहीं है तो पानी से खोल लें |

मसअला:- 12 जब तक सूरज डूबने में सुबह रहे उस वक़्त तक रोज़ा खोलना जायज नहीं है |

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