अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे अजिज भइओ बहनो क्या आप गूगल में कुरान पढ़ने का तरीका सर्च कर रहे है और कुछ अच्छा जानकरी नहीं मिल पा रहा है तो इस पोस्ट को एक बार पढ़े सभी चीजों का जानकारी मिल जायेगा।
कुरान पढ़ने का तरीका बहुत असान है लेकिन कुछ छोटी छोटी चीजों को धयान देना होता है जिसका तरीका निचे बताया गया है।
दोस्तों एक हदीस में आया है की अगर आपको अल्लाह ता’अला से बात करना चाहते है तो नमाज़ पढ़े लेकिन अल्लाह आपसे खुद बाते करे तो कुरान शरीफ पढ़ना चाहिए।
वैसे भी कुरान को कभी गलती से नहीं पढ़ना चाहिए लेकिन कोई शख्स कुरान शरीफ सिखने के लिए पढ़ रहा है और गलती कर देता है तो उसके लिए माफ़ी है।
क्युकी कुरान मजीद में ना एक जेर और नहीं एक जबर या पेस की गलती की गुंजाईश है तो एक लफ्ज़ का कैसे गुंजाईश होगा इसीलिए कुरान शरीफ को पढ़ने का सही तरीका सीखना बहुत जरुरी है।
कुरान पढ़ने का तरीका
कुरान पढ़ने का तरीका बहुत असान है लेकिन इसके आदाब को समझना बहुत ज्यादा जरुरी है क्युकी कुरान पढ़ने का आदाब सीखना बहुत जरुरी है।
कुरान शरीफ पढ़ने से पहले कुछ चीजों को करना चाहिए जिससे आमतौर पर लोग करते रहते है सबसे पहला कुरान पढ़ने से पहले वजू कर लेना जरुरी होता है।
वजू के बाद किबला रुख हो कर पढ़े और कुरान शरीफ अच्छी आवाज़ से पढ़ना चाहिए लेकिन गाने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए क्युकी इस तरह पढ़ना नाजाइज है।
कुरान पढ़ने का तरीका यह है की वजू करने के बाद क़िबला रुख हो जाए और कुरान को सामने रख ले फिर कुरान पढ़ने से पहले की दुआ जरुर पढ़ ले और कुरान पढ़ना शुरू कर दे।
कुरान मजीद पढ़ने के बिच में कोई दुनयावी काम करे तो फिर से बिस्मिल्लाह पढ़ ले और दिनी काम किया जैसे सलाम का जवाब दिया, या अज़ान का जवाब दिया या सुभानअल्लाह कहा या कलमा वगैरा पढ़ा तो अउजो बिल्लाहे पढ़ना जरुरी नहीं है।
कुरान मजीद बुलंद जगह पर रखा होना चाहिए यानि कुरान की तिलावत निचे और ऊपर बैठना ये गलत है बेहतर यह है की कुरान की तिलावत ऊँची जगह पर बैठ कर करे।
लेकिन किसी को कुछ बीमारी है और वह शख्स ऊपर बैठा है या सोया हुआ है और निचे कुरान की तिलावत कर सकते है लेकिन बेहतर यह है की दोनों को एक सामान ऊँची पर रहना।
कुरान शरीफ सिखने का तारिका के अलावा इसके कुछ आदाब है जो सबसे ज्यादा जरुरी है जो निचे नंबर वाइज दिया जा रहा है. जिसको ध्यान से पढ़े और सीखे।
कुरान शरीफ पढने के अदब
- तिन दिन के अंदर में कुरान शरीफ ख़तम करना बेहतर नहीं।
- जब Quran Majeed ख़तम हो जाए तो kul huwal la hu ahad पढ़ना बेहतर है।
- लेट कर कुरान मजीद पढ़ने में हर्ज़ नहीं जबके पाओ (Knee) सिमटे हो और मुंह खुला हो।
- गुसल खाना और नजासत (Toilet) की जगह में Quran ki Tilawat करना नाजाइज (Wrong) है।
- जो सख्स कुरान की तिलावत गलत पढता हो तो सुनने वाले पर वाजिब है की उसे बता दे।
- अगर कोई व्यक्ति कुरान शरीफ पढ़ रहा है, वह बादशाह इस्लाम या अलीमे दीन या पीर या उस्ताद या पिता की बात आने पर उसके ताजीम तक खड़ा हो सकता है।
- Market या जहाँ लोग काम मे लगे हो वहा जोर से कुरान पढ़ना नाजाइज है अगर लोग ना सुनेगे तो गुनाह पढ़ने वाले पर होगा।
- अक्सर अर्स व फातिहा के मौका पर सब लोग जोर से पढ़ते है ये हराम है अगर चंद आदमी पढ़ने वाले हो तो हुक्म है के आहिस्ता पढ़े।
- कुरान शरीफ जोर से पढ़ना अफज़ल है जबकी किसी नमाजी या बीमार या सोने वाले को तकलीफ ना पहुंचे।
- दीवारों और मेहराबो पर कुरान मजीद की आयत लिखना अच्छा नहीं।
- कुरान शरीफ पढ़ कर भूला जाना गुनाह है।
- कुरान मजीद जिस संदूक में हो उसपर कपड़ा वगैरा नहीं रखा जाए।
- पुराने कुरान शरीफ जो पढ़ने के काबिल नहीं रहा उसे जलाया नहीं जाए बलके दफ़न किया जाए।
- कुरान शरीफ की तरफ पीठ ना की जाए ना पाओ फैलाया जाए ना पाओ उससे ऊँचा रखे और कुरान शरीफ निचे है और आप ऊपर बैठे है ये सब गुनाह है।
कुरान पढ़ने से पहले की दुआ
कुरान पढ़ने का सही तरीका और आदाब तो सीख गए लेकिन अब कुरान पढ़ने से पहले की दुआ सीखते है जिसको पढ़कर कुरान पढ़ा जाए तो सैतान का आप पर काबू नहीं रहता है.
कुरान पढ़ने से पहले की दुआ जानना आपके लिए बहुत जरूरी है ताकि आपको कुरान पढ़ने में कोई तकलीफ ना हो और साथ ही साथ आपको ज्यादा सवाब मिले कुरान पढ़ने का भी और दुआ पढ़ने का भी.
इस दुआ को पढ़ने से पहले ये तो जरुरी है ही की वजू रहना चाहिए फिर कुरान को सामने रख कर दुआ के लिए हाथ उठाए फिर ये दुआ पढ़े
क़ुरान पढने से पहले की दुआ हिंदी अर्थ में
दोस्तों मुझे हमेशा कोशिश रहता है की मै जो अरबिक टेक्स्ट बता रहा हूँ इसका मीनिंग मतलब भी बताया जाए जिससे याद करने के बाद भूलने की कम संभावना हो।
ऐ अल्लाह, मैं गवाही देता हूं कि यह आपकी कलाम है जो आपकी तरफ से आपके रसूल मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला के पास भेजी गई थी, अल्लाह की दुआ और सूकून उसपर हो।
और आपके नबी की जुबान पर आपके शब्दों ने उन्हें आपकी ओर से आपकी दुनिया के लिए एक रहनुमा और आपके और मेरे बीच एक रस्सी बना दिया।
हे मेरे रब, मैंने तेरी अहद और तेरी किताब शायह (publish) की है।
और मुझे उन लोगों में से बनाओ जो आपके अहकाम को समझाकर खुतबा देते हैं और आपकी नाफरमानी से दूर रहते हैं।
और जब मैं पढ़ूं तो मेरे सुनने पर छाप न लगाना, और न मेरी आंखों पर ओढ़ना।
और मेरे पढ़ने को बिना गौर ना फिक्र किए सबक न बनाओ, और ना मुझे उसके आयातों और उसके नियमों पर ख्याल करने दो, लोगों को तुम से हटाकर।
और मेरी ओर उस पर ध्यान न देना, और न ही मेरे पढ़ने की बकवास करना, क्योंकि तुम सबसे मेहरबान, सबसे मेहरबान हो।
यहाँ पर एक बात सभी दोस्तों को बताना चाहता हूँ की ये दुआ पढ़ना फ़र्ज़ नहीं है यानि अगर सवाब ज्यादा कमाना चाहते है तो इस दुआ को जरुर पढ़े और नहीं पढ़ने पर गुनाह नहीं होगा।
ख्वाब में कुरान पढ़ने का तारिका
दोस्तों अक्सर लोग ख्वाब में बहुत सारी चीज़े देखते रहते है क्युकी ख्वाब पर किसी भी शख्स का काबू नहीं रहता है और अगर ख़्वाब में देखे की
- आधा क़ुरान शरीफ पढ़ा है तो दलील है के उसकी आधी उम्र (AGE) गुजर चुकी है।
- हाफिज क़ुरान हो गया है तो दलील है के अमानत को निकाह में रखेगा।
- क़ुरान मजीद की आवाज सुनी तो दलील है के उसका काम राहे दीन में नेक है।
कुरान किस वक्त नहीं पढ़ना चाहिए?
दीने इस्लाम में कुछ ऐसे भी वक़्त होते है जिसके वक़्त भी अल्लाह की इबादत करने से मना किया गया है जिसे मकरूहे वक़्त कहते है। यानि सुरज निकलते वक़्त और सूरज डूबता वक़्त कोई भी इबादत करने से मना किया गया है।
इसी तरह का इस्लामिक जानकारी सीखना चाहते है और दुसरे को भी सिखाना चाहते है तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे क्युकी इससे दुसरे मुसलामन को भी मालूम चलेगा।