अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, आज की इस पोस्ट आपको सिखने को मिलेगा की माशाल्लाह का मीनिंग क्या है। और माशाल्लाह कब और किस लिए बोलते है। जब कोई आपको तारीफ़ करे तो क्या कहे।
माशाल्लाह एक अरबी भाषा है जिसका मतलब “बहुत अच्छा है”, या “क्या कहना है”। माशाअल्लाह का प्रयोग दो प्रकार से होता है। एक तो किसी अच्छी चीज को देखकर उसकी प्रशंसा के लिये। और दूसरे किसी अच्छी चीज का जिक्र करते हुए यह भाव प्रकट करने के लिए।
जब आप किसी को कोई अच्छा काम करते हुए देखते हैं या उसके मालो दौलत या इल्म को देखते हैं और उसकी तारीफ़ करना चाहते हैं या किसी को उसके नेक काम पर उसकी हौसला अफज़ाई करने के लिए माशा अल्लाह कहते हैं।
ऐसे में सिर्फ इतना कहना चाहिए
माशा अल्लाह
जैसा अल्लाह ने चाहा
इसका फायदा ये है कि तारीफ़ करने वाले की नज़र का असर नहीं होता है
जब कोई आपकी तारीफ करे तो क्या करें ?
अपनी तारीफ़ किस को अच्छी नहीं लगती लेकिन जब भी कोई आप के मुंह पर आपकी तारीफ़ करे तो हमें वो करना चाहिए जो इमाम औज़ाई र.अ. ने बताया इमाम औज़ाई र.अ. से मन्कूल है कि जब कोई उनकी तारीफ़ करता तो वो दिल ही दिल में वो अल्लाह से ये दुआ किया करते थे कि
ए अल्लाह आपका फजल है कि आपने इन लोगों पर सिर्फ मेरी अच्छाईयां ही ज़ाहिर फरमाई हैं और ये लोग मेरी तारीफ़ इसलिए कर रहे हैं क्यूंकि ये मेरी बुराइयों से बेखबर हैं लेकिन आप तो अच्छाइयों और बुराइयों को जानते हैं तो ए अल्लाह जो बातें ये नहीं जानते हैं मैं आपसे उनकी मगफिरत मांगता हूँ और तारीफ में जो जो बातें इन्होने कही हैं ए अल्लाह मैं चाहता हूँ उन बातों को मेरे हक़ में सच्चा कर दे।
सुभान अल्लाह ,माशा अल्लाह ,इंशा अल्लाह का क्या अर्थ है?
माशा अल्लाह (जैसा अल्लाह ने चाहा): जब किसी अच्छी चीज़ को देखते हैं तब माशा अल्लाह कहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ के इस अच्छी बात का वास्तविक श्रेय तो अल्लाह को जाता है।
इंशा अल्लाह (अगर अल्लाह ने चाहा): जब कोई काम करने का इरादा करते हैं तब यह बोलते हैं। हम ने इरादा तो किया है। पर कोई काम साकार तभी होता है जब अल्लाह की आज्ञा उसके साथ हो।
सुभान अल्लाह: अल्लाह धन्य है। सिर्फ अल्लाह की महानता का उल्लेख है । तारीफ के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।
क्या क़ुरान में लिखा है कि भगवान राम अल्लाह के नबी थे?
बिलकुल भी नही क़ुरान शरीफ में ऐसा कुछ भी कही भी नही लिखा है। क़ुरान मजीद में लिखा है कि दुनिया मे लगभग अल्लाह तआला 124000 पैगम्बर भेजे हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 20 या 21 पैगम्बर का जिक्र हुआ है और नाम के साथ किया गया है, जिनमे राम का नाम कही भी नही है। बाकी का नाम नही दिया गया।