khwaja garib nawaz – आखिर कैसे बने भारत के राजा हिंदी में

अस्सलाम अलैकुम मेरे प्यारे भाइयों बहनो आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे khwaja garib nawaz के बारे में इस नाम से सायद ही कोई वाक़िफ़ नहीं होगा ajmer में दुनिया के हर कोने से लोग आते है | अजमेर शरीफ में ना सिर्फ इस्लाम धर्म के लोग आते है बल्के हर धर्म के लोग यहाँ आते है |

Khwaja garib nawaz ka janm kahan huwa

एक खास बात बता दूँ की ख्वाजा (khwaja garib nawaz) साहब के को बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे कोई ख्वाजा गरीब नवाज भी कहते है या कोई ख्वाजा अजमेरी या ख्वाजा ए हिन्द भी कहते है लेकिन पूरा नाम ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रदियल्लाहु त आला अन्हा नाम है
ख्वाजा अजमेरी साहब का जन्म संजार जो इस्फिहान के पास है वहा हुआ था। क्यू की वालिद साहब वही रहते थे

ख्वाजा गरीब नवाज़ साहब का जन्म कब हुआ और उनके वालिद (पिता) वालिदा (माता) का नाम क्या है|

आपको बता दें की उर्दू कलेण्डर के मुताबि 14 Rajab -ul-Murajjab 530 Hijri और हिंदी क्लैंडर के मुताबिक ख्वाजा गरीब नवाज़ का जन्म 1135 में हुआ था। साथ ही बता दूँ की इनके वालिद (पिता) का नाम सय्यिदिना ख्वाजा ग़यासुद्दीन हसन साहब था उनके वालिदा (माता)का नाम सैय्यदा उम्मुल वरा था

moinuddin chishti साहब के वालिद ,वालिदा का इन्तेकाल कब हुआ

एक अहम् बात बता दूँ की ख्वाजा ए हिन्द साहब के वालिद (पिता) सय्यिदिना ख्वाजा ग़यासुद्दीन हसन साहब का इन्तेकाल (मृत्यु) ख्वाजा साहब के महज 15 साल के उम्र में हो गयी थी और फिर उसी साल में उनके वालिदा (माता) सैय्यदा उम्मुल वरा भी इस दुनिया से पर्दा फ़र्मा गयी khwaja garib nawaz साहब के बचपना का आलम बहुत ही खौफ नाक था इनके वालिद और वालिदा के इन्तेकाल करने के बाद इनके पास एक पंचकी और बाग़(बगीचा) था जो गरीबो में बाँट दिए |

कितने साल के उम्र में हिफ्ज कुरान मुकम्मल किये |

ख्वाजा साहब बहुत ही कम उम्र में ईरान से होकर इस्तान और इस्फहान होते हुए उज्बेकिस्तान के छोटे से शहर समरकन में आकर अपना इल्मे यानि कुरान शरीफ याद करना सुरु किया और हाफिजे कुरान मुकम्मल कर लिए

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती साहब भारत कब पहुंचे |

लग भग 800 वर्ष पहले अल्लाह का बंदा जिनका नाम (khwaja garib nawaz) था हजरत ईरान से चलकर उज्बेकिस्तान इस्लामी तालीम मुकम्मल करने के बाद भारत आये जो भारत में बहुत ही लोगो को सताया जाता था और बहुत ही छुआ छूत था हजरत अपने सहाबियों के साथ सबसे पहले पंजाब में पहुंचे और वहां से दिल्ली फिर ajmer sharif पहुंचे भारत आते ही पुरे भारत में सोर मच गया के कोई अल्लाह के बंदा आया है जो गरीबो का मसीहा है जो सब को एक नजर से देखता है चाहे वो अमीर हो या गरीब हो या फिर किसी धर्म का क्यू न हो ये सुन कर लोग उनसे मिलने लगे

ख्वाजा गरीब नवाज मुइन्नुद्दीन चिस्ती

ajmer में जो भी ख्वाजा गरीब नवाज़ से मिलने आते थे उनका बात और अल्लाह का पैगाम सुनकर तुरंत ईमान ले आते थे उसी बिच जयपल जादूगर से मुकाबला हुआ इसके बारे में तबसिल से अगला पोस्ट में बताने की कोशिस करेंगे तो इसका पैगाम सुनकर तेजी से इस्लाम फैलने लगा इसलिए इन्हे खाव्जा गरीब नवाज़ कहते है या ख्वाजा ए हिन्द भी कहते है 

khwaja garib nawaz – साहब का इन्तेकाल कब हुआ |

इनका इन्तेकाल सन 1236 ईस्वी में हुआ और इनका मजार भी अजमेर शरीफ में है

ajmer sharif dargah

khwaja garib nawaz के दुनिया से पर्दा फरमाने के बाद सालाना उर्श 6 रज्जब को मनाया जाता है साथ ही पूरी दुनिया से यहाँ इनका मजार पर हाजरी देने आते है चादर पोसी फातिहा भी पढ़ते है और इनके रौजे मुबारक पर आये हुए लोगो को लंगर दी जाती है|

हम आपको इन्शाह अल्लाह अगले पोस्ट में बताएँगे की ख्वाजा गरीब नवाज़ khwaja garib nawaz और पृथ्वी राज चौहान के बारे में पुरे तफ्सील से बयान करेंगे |

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