Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon Dua | इन्ना लिल्लाही दुआ

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों, आज की पोस्ट में इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन क्या है और कब पढ़ा जाता है? और इसका मतलब क्या है? इन सभी से जुडी जानकारी यहाँ पर मिलने वाली है।

नाज़रीन आपको कभी ना कभी यह सवाल आपके मन में जरुर आया होगा की आखिर मेरे मुस्लिम भाई कुछ खास मौके पर इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन क्यों पढ़ते है।

यह इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन दुआ बहुत ही बरकत और फ़ज़ीलत वाली है जिसकी माध्यम से आप जन्नत भी पा सकते है और कैसे जन्नत मिलेगा निचे बताया गया है।

inna-lillahi

इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन क्या है?

इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन एक कुरान शरीफ का छोटी आयात है जिसका मतलब होता है की “हम अल्लाह ही के है और हमे अल्लाह ही की तरफ लौट कर जाना है” और इस दुआ को बहुत सी जगह पर पढ़ा जा सकता है।

लेकिन आज के दौर में भी कुछ लोग कम अकल की वजह से सिर्फ जब किसी का इन्तेकाल हो जाता है तभी पढ़ने के लिए बोला जाता है।

मगर आपको मालूम होना चाहिए की यह इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन दुआ बहुत सारी मौके पर पढ़ा जा सकता है।

इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन कब पढ़ा जाता है?

दोस्तों जब किसी मुस्लिम शख्स का इन्तेकाल हो जाता है और यह खबर जहाँ पर पहुँचता है तो सभी लोग इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी पढ़ते हुए जरुर देखे होंगे।

यह दुआ किसी का इन्तेकाल की ख़बर मिलने के बाद पढ़ा जाता है लेकिन इसके अलावा बहुत सारी जगह पर पढ़ा जाता है जो कुछ यु है:

  1. किसी भी प्रकार का मुसीबत आने पर
  2. कोई चीज़ घूम गया हो
  3. हर चीज़ की खोने पर
  4. किसी शख्स के चले जाने पर
  5. किसी चीज़ का ना मिलने पर
  6. कोई नुक्सान हो जाने पर
  7. कोई शख्स का सेहत चली गयी और बीमारी आ गयी

inna-lillahi-2

इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन का मतलब क्या है?

दोस्तों अब जानते है की इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजी उन का मतलब हिंदी में क्या है। अगर आप इस पोस्ट को धयान से ऊपर से पढ़ते हुए आ रहे है तो इसका जवाब आपको मिल गया होगा।

लेकिन चले अगर सिर्फ आप मतलब जानने के लिए यहाँ पर आए है तो निचे दिया गया है पढ़े।

इन्ना लिल लाहि व इन्ना इलैहि रजिऊन

तर्जुमा:- हम तो अल्लाह के है और हम उसी की तरफ लौट कर जाने वाले है।

दोस्तों अगर यह पोस्ट शुरू से आखिर तक पढ़ लिए है तो यह मालूम चल गया होगा की यह सिर्फ मय्यत के इन्तेकाल के लिए नहीं है बलके मुसीबत या परेशानी के वक़्त भी पढ़ा जा सकता है।

इसी तरह का इस्लामिक दुआ को विस्तार में सीखना चाहते है और इस्लाम को ज्यादा से ज्यादा फैलाना चाहते है तो इस पोस्ट को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करे।

Leave a Comment