Dua For Mother in Islam | इस्लाम में मां के लिए दुआ

अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो इस्लाम में मां के लिए दुआ लेकर आए हैं उससे पहले जान लेते है ! की इस्लाम की रौशनी में माँ का क्या महत्व है जैसा की मौजूदा दौर वो दौर आ चुका है ! जिसमे हर महीने या महीने दो चार दिन कुछ स्पेशल डे मनाया जाता है जैसे की मदर्स डे mothers day, विमेंस डे womens day , फ्रेंडशिप डे freindship day वगैरह वगैरह

इस्लाम में इन सब दिनों का कोई महत्व है ! क्यूंकि  इस्लाम नहीं कहता की मां की रेस्पेक्ट सिर्फ एक दिन करो

बल्कि इस्लाम तो कहता है हर दिन मां का ख्याल रखो ! हर दिन दोस्त से दोस्ती निभाओ और हर दिन औरतो की इज्जत करो !

%e0%a4%87%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%81-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%b9%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%a4

इस्लाम में माँ की अहमियत

मजहबे इस्लाम में माँ के कदमो तले जन्नत कहा गया है ! मां वह वाहिद शख्यियत होती हैं ! जो बच्चों से निस्वार्थ प्यार करती है

एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम से पूछा, या रसूलल्लाह, मुझ पर सबसे ज्यादा हक़ ( अघिकार किसका है?

आपने जबाब दिया, तुम्हारी मां का। उसने दोबारा पूछा फिर किस का ?  जवाब वही; तुम्हारी मां का ! तीसरा भी जवाब वहीं ! चौथी बार वहीँ सवाल पूछा गया तो आपने फ़रमाया तुम्हारे बाप ( पिता ) का !

इस हदीस से साफ जाहिर है कि इस्लाम में मां की अहमियत क्या है ! ऐसी ही एक और हदीस है कि जब मां बाप दोनों एक साथ पानी मांगे तो सबसे पहले मां को पानी दो ! इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊंचा करार दिया है।

हजरत मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया है ! कि अगर तुम्हारे माता ओर पिता तुम्हे एक साथ पुकारे तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।

इमाम बुखारी (रह.) ने अपनी मशहूर किताब ‘अल अद्बुल  मुफरद’ में एक किस्सा बयान किया है कि एक बार हजरत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने एक यमनी को देखा कि वह अपनी मां को पीठ पर उठाए हुए काबा का तवाफ करा रहा है ।

उस मेजबान ने पूछा, उमर आप का क्या ख्याल है ! क्या मेंने अपनी मां के एहसान का बदला चुका दिया। हजरत उमर ने फरमाया. उनके हक अदा करना तो दूर की बात हैं ! उऩके ( जन्म देते वक़्त के दर्द के) एक सांस बराबर भी बदला न चुका सके।

यानी तुझे जन्म देने में उनको जो परेशानी हुई थी ! उस समय उन्होंने जो सांस लिया था: तुम एक सांस का भी बदला न चुका सके।

सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम की रिवायत हैँ ! कि एक बार हजरत अब्दुल्लाह दिन मसउद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आप हजरत मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम से पूछा कौन सा अमल अल्लाह को सब से अधिक पसंदीदा हैं?

आपने फरमाया नमाज़ को अपने समय पर अदा करना और मां बाप के साथ अच्छा व्यवहार करना ! साद बिन अबी वकास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का कहना था ! में कोई ऐसा अमल नहीं जानता जो अल्लाह के पास माँ के साथ अच्छा व्यवहार करने से ज्यादा पसंद हो (अल अद्बुल  मुफरद’) ।

एक हदीस में कहा गया हैं कि बूढी मां की खिदमत (सेवा) करना ही जिहाद है ! दूसरी हदीस में आया हैं कि सुबाह उठकर मां बाप पर प्यार की नजर डालना हज के सवाब से कम नहीं।

कुरआन में अल्लाह ने माँ बाप के साथ बेहतर व्यवहार करने का हुक्म दिया है ! अपने माँ बाप के साथ बेहतरीन व्यवहार करो यदि इनमें से कोई एक या दोनों बुढापे की उम्र तक तुम्हारे पास रहें तो उनसे उफ तक न कहो !

बल्कि उनसे नरमी से पेश आओ ! उनसे दया के साथ पेश आओ और दुआ क्यो, या परवरदिगारा उन पर रहम कर, जैसे उन्होंने रहमदिली के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी ।

maa

सफह-ए-हस्ती पर सबसे खूबसूरत लफ्ज़ मां है और दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता मां का रिश्ता है. मां क़ुदरत का वो अनमोल तोहफा है जिसका कोई मुतबादिल नहीं. मां खूबसूरत एहसास, दिलनशीं जज़्बात, और प्यार मोहब्बत और हमदर्दी सरचश्मा है. मां और बच्चे का रिश्ता दुनिया में सबसे अहम और अनमोल होता है. एक बच्चे के रिश्ते की शुरुआत दुनिया में मां से ही होती है फिर उसके बाद बच्चा बड़ा होकर अपनी ज़िंदगी में कई और रिश्तों को अपनाता है. मां की ममता और प्यार हर इंसान के लिए बहुत जरूरी होता है. मां बच्चे की इस जरूरत को बिना किसी गर्ज के पूरा करती है. मां खुलूस व वफा का वो पैकरे मुजस्सम है जो अपने बच्चों की कोताहियों और खताओं को माफ कर देती है, हज़ारों तकलीफ व सितम सहकर भी बच्चों के लिए दुआएं देती है.

लबों पर उसके कभी बद दुआ नहीं होती

बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

दुनिया का सबसे ज्यादा दौलतमंद इंसान वह है, जिसकी माँ जिंदा है

मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,

सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है

इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर

मेरी शह-रग पे मेरी मां की दुआ रखी थी

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

हमें उम्मीद है की आपको इस्लाम में मां के लिए दुआएं अच्छी लगी होंगी अल्लाह पाक हमारे मां बाप को लंबी जिंदगी अता फरमाए अमीन सुमा अमीन|

Leave a Comment