Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua | दो सजदों के दरमियान की दुआ

अस्सलामुअलैकुम मेरे भाई और बहनों उम्मीद करता हूं सब खैरियत से होंगे आज हम इस पोस्ट में जानेंगे कि नमाज में दो सजदो के दरमियान(बीच) कौन-कौन सी दुआऐं पढ़ी जाती हैं।

ये दुआएं वाकई मुफ़ीद होती हैं और इसे पढ़ने से आप अपने अपराधों के माफ़ होने, रहमत प्राप्ति, हिदायत, मदद, हिफाजत, रोज़ी की बरकत और दरज़ा की उच्चता की दुआएं मांग रहे होते हैं। अल्लाह बेहतर जानता है और वह इन दुआओं के द्वारा हमारी ज़रूरतों को पूरा करता है।

आपकी नमाज़ को स्वीकार किए जाने के बाद आपको अपने अपने दिल की सजदों में इन दुआओं को पढ़ने का मौका मिलता है, जिससे आप अपने आप को अल्लाह के सामर्थ्य और महरबानी के सामर्थ्य से जुड़ते हैं।

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पहली दुआ

अरबी

رَبِّ اغْفِرْ لِي، رَبِّ اغْفِرْ لِيْ

रब्बिग-फिरली, रब्बिग-फिरली…

हिंदी

ऐ मेरा रब मुझे माफ कर दे, ऐ मेरा रब मुझे माफ कर दे..

दूसरी दुआ

अरबी

اللّٰهُمَّ اغْفِرْ لِي، وَارْحَمْنِي، وَاهْدِنِي، وَاجْبُرْنِي، وَعَافِنِي، وَارْزُقْنِي، وَارْفَعْنِيْ

अल्लाहुम्मग-फिरली, वर-हमनी, वह’दिनी, वजबुरनी, व-आफिनी, वर-जुकनी, वर-फा’नी।

हिंदी

ऐ अल्लाह मुझे माफ कर, मुझ पर रहम कर, मुझे हिदायत दे, मेरी मदद कर मेरी हिफाजत कर, मुझे अता कर, और मेरा दर्जा बुलंद कर।

और अल्लाह बेहतर जानता है।

सजदों के दरमियान पढ़ी जाने वाली दुआओं के कई फायदे हैं। यहां कुछ मुख्य फायदे दिए गए हैं

माफ़ी की दुआ (रब्बिग-फिरली, ऐ मेरा रब मुझे माफ़ कर दे): यह दुआ आपको अपने अपराधों के माफ़ होने की दुआ है। जब आप इस दुआ को पढ़ते हैं, तो आपकी गुनाहों की माफ़ी और तोबा होती है, जिससे आप अपने अपराधों से आज़ाद होते हैं और अल्लाह की बरकत प्राप्त करते हैं।

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आराम और रहमत की दुआ (अल्लाहुम्मग-फिरली, वर-हमनी): इस दुआ के पढ़ने से आप अल्लाह के द्वारा रहमत प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में शांति और आराम की बरकत मिलती है। यह आपको मानसिक और शारीरिक तनाव से राहत दिलाती है और आपको अल्लाह की कृपा का अनुभव कराती है।

हिदायत और मदद की दुआ (ऐ अल्लाह मुझे माफ़ कर, मुझ पर रहम कर, मुझे हिदायत दे): यह दुआ आपको अल्लाह के द्वारा हिदायत, ज्ञान और सही राह पर चलने की मदद प्राप्त कराती है। इस दुआ के पढ़ने से आप अल्लाह के रास्ते पर चलते हैं, अपनी गलतियों से बचते हैं और सही निर्णय लेने की सामर्थ्य प्राप्त करते हैं।

हिफाजत की दुआ (मेरी मदद कर मेरी हिफाजत कर): इस दुआ के पढ़ने से आप अल्लाह के द्वारा अपनी हिफाजत की मदद प्राप्त करते हैं। आपकी सुरक्षा, सुरक्षा और हिफाजत में वृद्धि होती है और आपको बुरे और हानिकारक प्रभावों से बचाने की शक्ति मिलती है।

बरकत और उच्चता की दुआ (और मेरा दर्जा बुलंद कर): इस दुआ के पढ़ने से आप अपने जीवन में बरकत, सफलता और उच्चता प्राप्त करते हैं। यह दुआ आपको अपने कामों में प्रोत्साहित करती है, आपके प्रयासों को सफल बनाती है और आपके जीवन में सम्मान और महत्वपूर्णता का वृद्धि करती है।

ये दुआएं नमाज़ में सजदे के दौरान पढ़ने से आप आध्यात्मिक, भावनात्मक और शारीरिक तौर पर बेहतरीन फायदे प्राप्त कर सकते हैं। ये दुआएं आपको अल्लाह के पास नज़र रखने, उससे गुनाहों की माफ़ी मांगने और उससे मदद और रहमत की उम्मीद करने का मौका देती हैं। इन दुआओं के पढ़ने से आप अपनी रूहानी और नेतृत्व क्षमता को विकसित करते हैं और आपके साथी मुसलमानों के लिए भी इस्लामिक भाईचारे की दृष्टि से माध्यमिकता और सहयोग प्रदान करते हैं।

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