अस्सलामो अलैकुम मेरे अज़ीज़ भाइयो और बहनो Salatul tasbeeh namaz का तरीका प्यारे नाजरीन सलातुल तस्बीह (Salatul tasbeeh namaz) इस नमाज़ की बहुत बड़ी बड़ी फ़ज़िलतें है इस नमाज़ को पढ़ने से आपके जितने भी गुनाहे कबीरा और गुनाहे सगीरा गुनाह होते है उसे मुआफ कर दिए जाते है इस नमाज़ को अदा करने के बाद आप जो भी हाजत मांगते है यानि के जो भी आप नेक और जायज हाजत मांगते है वो अल्लाह तबारक व तआला जरूर क़ुबूल करता है|
Salatul tasbeeh namaz ka tarika in hindi
नाजरीन Salatul tasbeeh namaz की कोई वक़्त समय (time) मुक़र्रर नहीं क्या गया है वैसे इस नमाज़ को जुम्मा के दिन पढ़ना बहुत अच्छा माना गया इस नमाज़ को आप कम से कम अपने ज़िन्दगी में (life) में एक बार जरूर पढ़ें और बारगाहे रिसालत में अपने नेक और जायज दुआएं मांगे इन्शाह अल्लाह आपके हर नेक और जायज दुआ क़ुबूल होगी |
Salatul tasbeeh namaz एक नफ़्ल नमाज़ है जिसमे कुल चार रकअत है इस नमाज़ का किसी तरह का कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं क्या गया है इस नमाज़ में पहले रकअत में 75 मर्तबा तस्बीह यानि के सलातुल तस्बीह पढ़ी जाती है इसी तरह चारो रकअत में कुल 300 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़ी जाती है |
बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम
सबसे पहले नमाज़ के लिए नियत करे
नियत की मैंने 4 रकअत नमाज़ नफिल सालतुल तस्बीह वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त मौजूदा रुख या मुंह मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर
पहली रकअत में
नियत करने के बाद 1 बार कुछ इस तरह सना पढ़े |
सुब्हानका अल्लाहुम्मा वा बिहमदिका वा ताबाराकसमूका वा ताआला जद्दूका व ला इलाहा गैरूक
सना पढ़ने के बाद 15 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
फिर आप अउजु बिल्लाहि मिनश शयता निर रजीम और बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
इसे पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह फातेहा पढ़े |
(अल्हम्द दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन…)
सूरह फातेहा पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह तकासुर पढ़े
अगर आप में से किसी नाजरीन को सूरह तकासुर यद् न हो तो उसके जगह पर आप कोई एक सूरह पढ़ लें
कोई भी सूरह पढ़ने के बाद आप 10 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इस तस्बीह को 10 मर्तबा पढ़ने के बाद आप रुकू के लिए जाएँ|
तीन मर्तबा पढ़े :- सुब्हान रब्बिल अजीम
तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम पढ़ने के बाद 10 मर्तबा ये तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें
रब्बना लकल हम्द पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े |
सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएँ फिर 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
उसी तरह दूसरी सजदा अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करे आप फिर तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ
दूसरा रकअत
आप फिर दूसरे रकअत में 15 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
15 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह फातेहा पढ़े |
(अल्हम्द दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन…)
सूरह फातेहा पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह तकासुर पढ़े
अगर आप में से किसी नाजरीन को सूरह तकासुर यद् न हो तो उसके जगह पर आप कोई एक सूरह पढ़ लें
कोई भी सूरह पढ़ने के बाद आप 10 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इस तस्बीह को 10 मर्तबा पढ़ने के बाद आप रुकू के लिए जाएँ|
तीन मर्तबा पढ़े :- सुब्हान रब्बिल अजीम
तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम पढ़ने के बाद 10 मर्तबा ये तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें
रब्बना लकल हम्द पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े |
सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएँ फिर 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
उसी तरह दूसरी सजदा अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करे आप फिर तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
आप फिर अल्लाहु अकबर कहते बैठे रहे और अत्तहिय्यत पढ़े
अत्तहिय्यत पढ़ने के बाद तीसरे रिकात के लिए खड़े हो जाये
तीसरी रकअत
आप फिर तीसरे रकअत में 15 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इसे पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह फातेहा पढ़े |
(अल्हम्द दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन…)
सूरह फातेहा पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह तकासुर पढ़े
अगर आप में से किसी नाजरीन को सूरह तकासुर यद् न हो तो उसके जगह पर आप कोई एक सूरह पढ़ लें
कोई भी सूरह पढ़ने के बाद आप 10 मर्तबा तीसरा कलमा पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इस तस्बीह को 10 मर्तबा पढ़ने के बाद आप रुकू के लिए जाएँ|
तीन मर्तबा पढ़े :- सुब्हान रब्बिल अजीम
तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम पढ़ने के बाद 10 मर्तबा ये तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें
रब्बना लकल हम्द पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े |
सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएँ फिर 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
उसी तरह दूसरी सजदा अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करे आप फिर तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथे रिकात के लिए खड़े हो जाये
चौथी रकअत
आप फिर चौथे रकअत में 15 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़े
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इसे पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह फातेहा पढ़े |
(अल्हम्द दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन…)
सूरह फातेहा पढ़ने के बाद 1 मर्तबा सूरह तकासुर पढ़े
अगर आप में से किसी नाजरीन को सूरह तकासुर यद् न हो तो उसके जगह पर आप कोई एक सूरह पढ़ लें
कोई भी सूरह पढ़ने के बाद आप 10 मर्तबा तीसरा कलमा पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
इस तस्बीह को 10 मर्तबा पढ़ने के बाद आप रुकू के लिए जाएँ|
तीन मर्तबा पढ़े :- सुब्हान रब्बिल अजीम
तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम पढ़ने के बाद 10 मर्तबा ये तस्बीह पढ़े |
सुब्हान-अल्लाहि वलहम्दुलिल्लाही वलाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौला वला कुव्वता इल्लाह बिल्लाहिल अलीइल अज़ीम
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें
रब्बना लकल हम्द पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़े |
सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े |
अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएँ फिर 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
उसी तरह दूसरी सजदा अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करे आप फिर तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला पढ़ने के बाद 10 मर्तबा फिर सलातुल तस्बीह पढ़े
आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाए
- सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत के ऊँगली को उठायें |
- उसके बाद एक मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ें |
- उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें |
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह दाएं जानिब मुंह फेरे
Salatul tasbeeh namaz पहली रकअत के तरह ही आपको हर रकअत को अदा करना है हर रकत में 75 मर्तबा सलातुल तस्बीह पढ़ना है इस तरह चार रकअत में 75×4 =300 मर्तबा हो जायेगा |
आई ये सलातुल तस्बीह नमाज़ की फ़ज़ीलतों को जानते है
सामिने एकराम सलातुल तस्बीह पढ़ने से अल्लाह तबारक व तआला के क्या क्या इनामात होते है आई ये हदीसे मुबारक से समझने की कोशिस करते हैं इब्ने माज़ा में नबी सल्लललाहु अलैहि वसलम के हदीसे मुबारका उसका मशरूम ये है मेरे आका सल्लललाहु अलैहि वसलम ने अपने चचा जान हजरते अब्बास रजि अल्लाहो तआला अन्हा से फ़रमाया
ऐ अब्बास ए मेरे चचा जान क्या मै आपको सरफ़राज़ न कर दूँ क्या मै आपके ऊपर अहसान न कर दूँ क्या मै आपको आज एक ऐसी खसलत ऐसी चीज न बता दूँ की जिसको करने से अल्लाह तबारक व तआला आपके सारे गुनाह चाहे वो छोटे गुनाह हो या फिर बड़े गुनाह हो चाहे जान कर गुनाह किये हो या फिर अनजाने में नए पुराने सारे गुनाह अल्लाह तबारक व तआला मुआफ फरमा देता है |
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