हमबिस्तरी की दुआ हमबिस्तरी करने का इस्लामिक तरीका हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु  आज हम सभी मुसलमान भाइयों और बहनो के लिए हमबिस्तरी की दुआ हिंदी में  और हमबिस्तरी करने का तरीका दी गई हैं इस्लाम में हर काम शुरू करने से पहले हर चीज की दुआ हैं और इस्लाम में कोई भी काम शुरू करने से पहले दुआ का पढ़ना बा बरकत अज़ीम काम हैं|

दुआ पहले पढ़ने से शैतान उस काम में शरीक नहीं हो पाता। अब अगर शोहर  अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी का इरादा करता हैं और करने लगता हैं बिना दुआ पढ़े तो शैतान उस काम में शरीक हो जाता हैं | इस लिए शैतान से बचने के लिए दुआ का पढ़ना लाज़िमी और जरुरी हैं।

humbistari-1

हमबिस्तरी की दुआ हिंदी में

नमाज़ और दुआ पढ़ लेने के बाद दुल्हन दूल्हा सुकून व इत्मीनान से बैठ जाऐं । फिर उसके बाद दूल्हा अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल अपने सीधे हाथ में नर्मी के साथ मुहब्बत भरे अंदाज़ में पकड़े और ये दुआ पढ़े |

अल्लाहुम्मा इन्नी असलका मीन खैरे हाउ खैरा मा जब्लतिहा अलैहे व ओज़ू बिका मिनशररे हाऊ शाररे माज़िब लते हा अलैहे”

तर्जुमा _ ” ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इस ( बीवी ) की भलाई और ख़ैर व बरकत माँगता हूँ और इसकी फितरी आदतों की भलाई और तेरी पनाह चाहता हूँ इसकी बुराई और फितरी आदतो की बुराई से ।

इस दुआ की फजीलतः शबे जुफाफ के रोज़ इस दुआ को पढ़ने की फजीलत में उलमाए किराम इरशाद फरमाते हैं

अल्लाह रब्बुलइज्त उसके पढ़ने की बरकत से मियाँ बीवी के दरमियान इत्तिहाद व इत्तिफ़ाक़ और मुहब्बत काइम रखेगा और औरत में अगर बुराई हो तो उसे दूर करा कर उसके जरीए नेकी फैलाएगा और औरत हमेशा शौहर की ख़िदमत गुज़ार , वफादार और फ़रमाँबरदार रहेगी ।

अगर हम इस दुआ के मानों पर गौर करें तो हम पाऐंगे कि इसमें हमारे लिए कितने अमन व सुकून का पैगाम है

ये दुआ हमें दर्स देती है कि किसी भी वक़्त इंसान को यादे इलाही से गाफिल न होना चाहिए बल्कि हर वक़्त , हर मामले में अल्लाह की रहमत का तलबगार रहे । लिहाजा इस दुआ को शादी की पहली रात ज़रूर पढ़े ।

हमबिस्तरी करने का इस्लामिक तरीका

शबे जुफाफ ( सुहाग रात ) के आदाब जब दूल्हा दुल्हन कमरे में जाऐं और तन्हाई हो तो बेहतर ये है कि सब से पहले दुल्हन , दूल्हा देनों वजू कर लें |

और फिर जाए नमाज़ या कोई पाक कपड़ा बिछा कर दो रकअत नमाज़ नफ़ले शुक्राना पढ़ें । अगर दुल्हन लेकिन दूल्हा ज़रूर पढ़े । हना हैज की हालत में हो तो नमाज़ न पढ़े।

हमबिस्तरी से पहले नमाज की नियत

नमाज की नीयत_ नीयत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल शुक्राने की वासते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ – अल्लाहुअकबर

फिर जिस तरह दूसरी नमाजें पढ़ी जाती हैं उसी तरह ये नमाज़ भी पढ़े_ यानी अलहमदुलिल्लाह शरीफ , फिर कोई एक सूरत मिलाए |

नमाज़ के बाद इस तरह से दुआ करे _ ऐ अल्लाह_ तेरा शुक्र व एहसान है कि तूने हमें ये दिन दिखाया और हमें इस खुशी व नेमत से नवाज़ा और हमें अपने प्यारे हबीब ( स.अ.व. ) की उस सुन्नत पर अमल करने की तोफीक अता फ़रमाई |

ऐ अल्लाह_ हमारी इस खुशी को हमेशा इसी तरह काइम रख  हमें मेल मिलाप , प्यार व मुहब्बत के साथ इत्तिफाक व इत्तिहाद की ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफीक अता फरमा |

ऐ रब्बे क़दीर_ हमें नेक , सालेह और फरमाँबरदार औलाद अता फ़रमा |

ऐ अल्लाह _ मुझे इससे और इसको मुझ से रोज़ी अता फ्रमा और हम पर अपनी रहमत हमेशा काइम रख और हमें ईमान के साथ सलामत रख । आमीन |

humbistari-2

हमबिस्तरी से जुड़ी हदीस

यहाँ नीचे हमने हमबिस्तरी से जुड़ी कुछ हदीस बताई हैं, उम्मीद है आप इनको जरूर पढेंगे।

हदीस नंबर-1

हज़रत इब्ने अब्बास रदीअल्लाहो अन्हु से रिवायत हे कि, हुज़ूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, गवाहो के बगैर निकाह करने वाली औरते जानिया (ज़िना करने वाली) हैं।

हदीस नंबर –2

जिस किसी ने सोहबत की बात लोगो में बयान की उसकी मिसाल ऐसी ही है जैसे शैतान औरत, शैतान मर्द से मिले और लोगो के सामने ही खुले आम सोहबत करने लगे।

हदीस नंबर  –3

आका सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, अल्लाह की लानत बड़ी निगाहें करने वाले पर और जिसकी तरफ़ बड़ी निगाहैं की जाएँ।

हदीस नंबर –4

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया,“तुम में से जो अपनी बीवी के पास जाए तो परदा कर ले और गधे की तरह ना शुरू हो जाए।

हदीस नंबर 5: –

उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत हे कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया,“जो मर्द अपनी बीवी का हाथ उसे बेहलाने के लिए पकड़ता है, अल्लाह तआला उसके लिए 1 नेकी लिख देता है।

जब मर्द प्यार से औरत के गले में हाथ डालता है, उसके हक में 10 नेकियाँ लिखी जाती हैं,

और जब औरत से सोहबत करता है तो दुनिया और जो कुछ उसमे है उन सबसे बेहतर हो जाता है।

हदीस नंबर 6: –

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया “पखाने की जगह में औरत से सोहबत करना हराम है”

मदनी आका हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया,

“जिसने औरत या मर्द से उसके पीछे के मुकाम से सोहबत की उसे यकीनन कुफ्र किया”।

हदीस नंबर 7: –

हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, अल्लाह कयामत के दिन ऐसे शख्स की तरफ नजरे रहमत नहीं फरमाएगा।

जिसने अपनी औरत के पीछे के रास्ते से सोहबत की।

जुम्मे रात की रात को हमबिस्तरी कर सकते हैं या नहीं

यूं तो इस्लाम में पांच वक्त की नमाज का हुक्म दिया गया है। लेकिन जुम्मे की नमाज खास होती है। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे टॉपिक के बारे में जिस पर अक्सर लोग कंफ्यूज रहते हैं। इस्लाम में कहा गया है कि जुम्मे की रात यानी कि जब सुबह जुमा हो तो उसके पहले किसी को भी बीवी के साथ हमबिस्तरी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जुमा और जुम्मेरात के बीच में जो रात होती है उस दौरान बीवी के साथ हमबिस्तरी करने के लिए इस्लाम में मनाही है।

लेकिन बहुत सारे लोग इस बारे में तरह-तरह की अफवाहें फैलाते हैं यह अफवाहें ऐसे लोग करते हैं जो कि दिन की तालीम से दूर हैं। हदीस की सही बुखारी नंबर 8801 के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं यह एक इंटरनेशनल नंबरिंग होती है, जिसे सभी याद कर लें।

इस हदीस में नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने बताया है कि जो भी शख्स जुम्मे के दिन करके नमाज पढ़ने गया तो उसने एक ऊंट की कुर्बानी दी, अगर वह अव्वल वक्त में मस्जिद पहुंचा तो उसने एक गाय की कुर्बानी दी और जो तीसरे नंबर पर मस्जिद में पहुंचा। उसने सींग वाले मेंढ़क की कुर्बानी दी, वहीँ जो चौथे नंबर पर मस्जिद पंहुचा, उसने एक मुर्गे की कुर्बानी दी और जो पांचवें नंबर पर मस्जिद में पहुंचा उसने एक अंडे की कुर्बानी दी।

इस हदीस में चार बातें ऐसी बताई गई है जिसमें ग़ुस्ल ए जनाबत की बात भी की गई है। इसमें बताया गया है कि जब कोई शख्स जुम्मे से पहले वाली रात बीवी के साथ हमबिस्तरी करें तो उसने जुम्मे का गुसल किया हो। कुछ समझदार लोग फज्र की नमाज से पहले अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी कर लेते हैं फिर ग़ुस्ल ए जनाबत करते हैं। कहा जाता है कि ग़ुस्ल ए जनाबत कर के जुम्मा की नमाज पढ़ने पर एक ऊंट की कुर्बानी का सवाब मिलता है। लेकिन कुछ लोग इसे अफवाह भी मानते हैं।

इसके अलावा जो लोग मस्जिद खुत्बा शुरू होने से बाद पहुंचते हैं। उन्हें इसका जवाब नहीं मिल पाता है। आपको बता दें कि खुत्बा शुरू होने से पहले मस्जिद पहुंचने पर ही आपको सवाब मिलता है। क्योंकि फरिश्ते तो कुछ बात सुनने में लग जाते हैं और वह आपके स’बा’ब लिखते नहीं हैं

दोस्तों यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं अगर आपके दिल में इस  मसले को लेकर कोई और बात है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

Leave a Comment