अस्सलामो अलैकुम सेहरी Sehri खाना सुन्नत है नाजरीन आज के article में हम सेहरी दुआ के बारें में बात करेंगे और इसके मशलें को जानेगे !
यह सही है कि सहरी खाना सुन्नत है लेकिन यदि किसी के पास सहरी नहीं होती तो वह रोज़ा रख सकता है। सेहरी में कम से कम तीन छुहारे खाने के लिए हदीस उपलब्ध है, लेकिन इसके अलावा अन्य खाद्य पदार्थ भी खाए जा सकते हैं जैसे कि दाल, रोटी, अंडे, दूध, फल आदि। सेहरी में शरीर को ऊर्जा और पौष्टिकता देने के लिए हाइड्रेटेड रहना भी अहम है, इसलिए सहरी में पानी भी पीना चाहिए।
कि अगर कोई इंसान सेहरी में कुछ भी न खाए या सेहरी में बहुत कम खाए, तो भी उसे सेहरी का सवाब मिलता है। इसका मकसद यह है कि रोज़े के महीने में इंसान को जितना भी भोजन करना होता है, उससे ज्यादा खाने से बचना चाहिए और सेहरी में कम से कम एक रोटी या कुछ खाने के लिए एक पानी जरूर पीना चाहिए।
क्या सेहरी छूठ जाने पर रोज़ा छोड़ देना सही है
- आप रात को सेहरी खाने के लिए आंख नहीं खोल पाते हैं या घर के लोगों में से किसी का भी आंख नहीं खुलता है, तो आपको बिना सेहरी खाए रोजा रखना चाहिए। सेहरी छूटने से रोजा छोड़ देना गुनाह होता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति सेहरी खाने के लिए उठने में असमर्थ होता है, तो उसे बिना सेहरी खाए रोजा रखना चाहिए।
- सेहरी खाने का समय उस समय तक होता है जब तक फजर की नमाज का वक़्त नहीं आ जाता। अगर फजर की नमाज का वक़्त आ गया है तो सेहरी खाने से रोज़ा मक़दूस नहीं होता।
- अगर किसी की आंख देर से खुली और वह सोचता है कि रात अभी बाकी है, लेकिन उसको बाद में मालूम पड़ता है कि सुबह हो गयी है, तो उसका रोजा सही होगा क्योंकि उसने सेहरी अभी रात के दौरान ही खा ली थी। इस स्थिति में, उसे किसी कद्र से कोई क़ज़ा रखने की जरूरत नहीं होगी।
रोज़ा रहने की नियत करना कितना ज़रूरी है
रोज़ा रखने की नियत करना रोज़ा के लिए बहुत जरूरी है। बिना नियत के रोज़ा रखना मान्य नहीं होता। रोज़ा रखने की नियत के बिना रोज़ा रखना बस एक भूखे और प्यासे की तरह रह जाएगा जो कि रोज़े की असली उपेक्षा होगी।
नियत के लिए आप अपने दिल में चाहे जो भी फ़र्ज़, सुन्नत या नफ़ल रोज़े के लिए रखना चाहते हैं उसे सोच सकते हैं और नियत कर सकते हैं। नियत यह है कि आप अल्लाह के लिए रोज़ा रख रहे हैं, इसलिए आपके दिल में स्पष्ट रूप से अपने रोज़े के लिए नियत करना चाहिए।
इसलिए, रोज़े रखने से पहले नियत करना अत्यंत जरूरी है ताकि आपका रोज़ा सही और स्वीकार्य हो सके।
सहरी में क्या खाएं
सहरी में क्या खाएं इसका जवाब बहुत सरल है – सहरी में ज़्यादा से ज़्यादा पोषक वाले और उपयोगी आहार लेना चाहिए ताकि रोज़ेदार रोज़ा रखने में सक्षम रहें।
- यहां कुछ सही सहरी आहार के उदाहरण दिए जाते हैं:
- अच्छे गुणवत्ता वाला ओटमील, दलिया, उपमा या डलिया।
- प्रोटीन स्रोतों जैसे अंडे, मटर, चने, मूंगदाल, सोयाबीन और टोफू।
- फल जैसे केला, सेब, तरबूज, खरबूजा, अंगूर, संतरा या आम।
- शाकाहारी आहार जैसे ब्राउन ब्रेड, रोटी, चीज, मक्खन या जैसे भारतीय सब्जियां।
- प्रोटीन बार या बिस्किट जैसे संबंधित उत्पादों का सेवन करें।
- अपनी सहरी का समय अल्लाह की याद में दूसरों की मदद और सेवा करते हुए गुजारने का भी हो सकता है।
याद रखें, सहरी का अंतिम भोजन सूर्योदय से कम से कम 10-15 मिनट पहले खाया जाना चाहिए ताकि रोज़ेदार उत्तम तरीके से तैयार हो सकें।
सहरी की दुआ हिंदी में निम्नलिखित होती है।
‘’व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमजान’’
सहरी की दुआ हिंदी मतलब
“मैं रमज़ान के इस रोज़े की नियत करता हूँ
सहरी की दुआ अरबी
“و بی سومی گدین نوائی تو من شہری رمضان”
सहरी की दुआ अरबी मतलब
“میں رمضان کے اس روزے کی نیت کرتا ہوں۔
सहरी की दुआ अंग्रेज़ी
“Wa bi somi gadin navai tu min shahari ramadan”
सहरी की दुआ अंग्रेज़ी मतलब
“main ramazaan ke is roze kee niyat karata hoon
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