तरावीह की दुआ पढ़ने का तरीका हिंदी अंग्रेजी और अरबी में

अस्सलामु अलैकुम मेरे अज़ीज़ भाइयों और बहनो हम बहुत बहुत अल्लाह तबारक व तआला के शुक्र गुजार है जो हमारे ज़िन्दगी में एक बार फिर से माहे रमजान में रोज़ा रखने की खुशनसीबी हासिल होने वाला है रमजान के महीने में ही तरावीह  नमाज़  पढ़ी जाती है

तरावीह ईस्लामिक धर्म में रमज़ान महीने के दौरान नमाज़ का एक विशेष प्रकार है। इसे तरावीह नमाज़ के नाम से भी जाना जाता है। यह नमाज़ रमज़ान के पश्चात पढ़ी जाती है और इसमें पूरे महीने के दौरान हर रात इबादत के लिए नमाज़ पढ़ी जाती है।

तरावीह नमाज़ में अलग-अलग नमाज़ी आकस्मिक तरीकों से नमाज़ पढ़ते हैं, जिनमें हर रकात में कुछ आयतें और दुआएं शामिल होती हैं। इस नमाज़ का मकसद अल्लाह की इबादत, ताक़त की तलाश और स्वयं को साध्य करने के लिए रात के समय नमाज़ पढ़ना है।

namaz

तरावीह नमाज का तरीका निम्नलिखित है:

सबसे पहले तो आपको इशा नमाज़ अदा करनी होगी। इशा नमाज़ के बाद तरावीह नमाज़ की नियत करें।

अब तरावीह नमाज़ की तीन तीन रकातें पढ़ी जाती हैं। हर रकात में आपको सूरह फातेहा के बाद कोई एक सूरह पढ़नी होगी।

नमाज़ की पहली रकात में आपको तकबीर-तहरीमा कहना होगा। इसके बाद आपको दाईं तरफ मुड़कर आप कीयाम पढ़ना होगा। फिर आपको रुकू में जाना होगा, जहाँ आपको “सुब्हाना रब्बियल आजीम” कहना होगा। फिर आपको खड़े होकर “समीअल्लाहु लिमन हमिदह” और “रब्बना लकल हम्द” कहना होगा।

फिर आपको सजदे में जाना होगा, जहाँ आपको “सुब्हाना रब्बियल आला” कहना होगा। फिर आपको खड़े होकर दूसरी सजदे में जाना होगा, जहाँ आपको फिर से “सुब्हाना रब्बियल आला” कहना होगा।

नमाज़ के अंत में आपको तसल्ली कहना होगा जो कि एक दुआ है। फिर आपको दाहिने ओर सलाम फेरना होगा

तरावीह नमाज की नियत

“मैं दो रकात तरावीह नमाज़ पढ़ने की नियत करता/करती हूँ, अल्लाह तआला के लिए।”

तरावीह की दुआ हिंदी में निम्नलिखित है:

“सुबहानक अल्लाहुम्म व बिहम्दिक व तबारकस्मुक व ताला जद्दुक व ला इलाहा गयरुक। अस्तग़फिरुल्लाह।”

इस दुआ का मतलब है

“हे अल्लाह, तुम्हें अपनी ज़िम्मेदारी से अलग नहीं कर सकता है कोई भी, तुम्हारी महिमा सर्वोच्च है। मैं अपनी गलतियों के लिए तुमसे माफी मांगता हूँ।” यह दुआ तरावीह नमाज के दौरान पढ़ी जाती है और इससे नमाज के फल बढ़ते हैं और आपकी दुआ कबूल होने की संभावना बढ़ जाती है।

तरावीह की दुआ उर्दू

سبحانک اللہ وبحمدک و تبارکاسمک و طلا جدوک و لا الہٰی غیر۔ استغفر اللہ۔”

इस दुआ का मतलब है उर्दू

“اے اللہ، تیری ذمہ داری سے کوئی تجھے الگ نہیں کر سکتا، تیری شان سب سے بلند ہے، میں اپنی غلطیوں کے لیے تجھ سے معافی چاہتا ہوں۔” یہ دعا تراویح کی نماز کے دوران پڑھی جاتی ہے اور اس سے نماز کے ثمرات میں اضافہ ہوتا ہے اور آپ کی دعا کے قبول ہونے کے امکانات بڑھ جاتے ہیں۔

तरावीह की दुआ अंग्रेज़ी

“Subhanak Allahumm wa bihamdik wa tabarakasmuk wa tala jadduk wa la ilaha gairuk. Astaghfirullah.”

इस दुआ का मतलब है अंग्रेज़ी

“O Allah, no one can separate you from your responsibility, your glory is supreme. I seek your forgiveness for my mistakes.” This dua is recited during taraweeh namaz and it increases the fruits of namaz and increases the chances of your dua being accepted.

taraweeh-namaz

तरावीह की दुआ के पढ़ने का तरीका निम्नलिखित है:

  • पहले तो, तरावीह नमाज से पहले या बाद में दुआ की नियत करें।
  • फिर अपने हाथ उठाकर अपने चेहरे को ढक लें और “बिस्मिल्लाहिर रह्मानिर रहीम” कहें।
  • अब “सुबहानक अल्लाहुम्म व बिहम्दिक व तबारकस्मुक व ताला जद्दुक व ला इलाहा गयरुक” कहें। यह दुआ तीन बार पढ़ें।
  • अब “अस्तग़फिरुल्लाह” का वजीफा पढ़ें। इसे तीन बार पढ़ें।
  • अब “अल्लाहु अकबर” कहें। इसे तीन बार पढ़ें।
  • अंत में, दुआ को खत्म करने के लिए फिर से “अस्तग़फिरुल्लाह” कहें।

तरावीह की दुआ का पाठ करने से आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और आपकी नमाज को आपूर्ति और बरकत मिलती है। यह दुआ आपको मानसिक शांति भी देती है और आपकी रूहानी ताकत को बढ़ाती है।

तरावीह की रकात कितनी होती है?

तरावीह नमाज में रकात की संख्या आमतौर पर तीन तरह की होती है, जिसमें हर रक्त में दो दो नमाजी पढ़ी जाती है। इसका मतलब होता है कि अगर कोई तरावीह नमाज पढ़ता है तो उसे दो-दो रकातों में पढ़ना होगा।, लेकिन आमतौर पर 20 रकातों की तरावीह नमाज पढ़ी जाती है।

तरावीह नमाज़ पढ़ने का तरीका आपको कैसा लगा ये आप हमें जरूर Comment कर के बताये और इस Information को अपने दोस्तों रिस्तेदारो के साथ शेयर भी जरूर करें अल्लाह हमें और आप सभी को पांचो वक़्तों का नमाज़ी बना दे अमीन।

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