इस्तिखारा की दुआ करने का तरीका  हिंदी अंग्रेजी और अरबी में

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे-प्यारे भाईओ बहनो आज हम आपके लिए लेकर आये है इस्तीखरा की दुआ हिंदी में जब भी कोई फैसले को लेकर दिल ,में कन्फूज़न हो ! चाहे शादी को लेकर कारोबार को लेकर या कोई भी काम जिसका फैसला हम नहीं ले पा रहे है तो हमें इस्तिखारा  ki dua  पढ़ लेना चाहिए| इस दुआ का फजीलत बहुत है इस दुआ पढ़ने से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है|

क्या आप भी किसी काम में फसे हुए हैं? आप को समझ नहीं आ रहा है की मुझे इस काम को करना चाहिए या नहीं तो आपको अपनी इस परेशानी को दूरने के लिए आपको इस्तिखारा करना चाहिए।

आज हम आपको इस्तिखारा करने का तरीका, इस्तिखारा क्या है? इसे कब और क्यों करना चाहिए? कितनी बार इस्तिखारा करना चाहिए, इस्तीखरा सुन्नत है या नफ़्ल, इस्तिखारा की दुआ और इस्तिखारा करने के तरीके के बारे में बताएंगे।

आप को अच्छे से हर एक पॉइंट को करना ज़रूरी है , अगर आपने इस्तिखारा को सही से नहीं किया तो हो सकता है आपकी परेशानी दूर न हो पाए।

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इस्तिखारा किसे कहते हैं ?

अगर आप किसी भी मामले में जैसे कारोबार, लड़का या लड़की की शादी, सफर या फिर कोई और मामले में अल्लाह ताला से खैर और भलाई तलब करने को इस्तखारा कहते है। क्योंकि इंसान को मालूम नहीं की कौन सी चीज उसके लिए अच्छी है और कौनसी चीज़ उसके लिए खराब।

इस्तिखारा करने का तरीका

  • किसी हलाल काम करने का इरादा करे
  • इस्तिखारा करे
  • उस काम के जानने वाले के साथ मश्वरा (राय) करे
  • अल्लाह पर तवक्कल (भरोसा करें) करे
  • नमाज़ पढ़ने के बाद दो रकअत नमाज़ नफ़्ल पढ़कर नमाज़ ए इस्तिखारा की दुआ को पढ़ले आपका इस्तिखारा पूरा हो जायेगा।
  • इस्तिखारा करने के लिए कोई खास वक़्त नहीं है आप जब चाहे दो रकअत नमाज़ नफ़्ल पढ़कर इस्तीखरा की कर सकते हैं। मगर आप रात को सोने से पहले इस्तिखारा करेंगे तो इंशाअल्लाह या आपके लिए बेहतर होगा।
  • इस्तिखारा एक दुआ है या कोई नमाज़ नहीं है अगर आप रात के आखिरी हिस्से में किसी भी दुआ को पढ़ेंगे तो आपकी दुआ क़ुबूल होने का चांस ज़्यादा होगा।

इस्तिखारा की दुआ (Istikhara Ki Dua) को पढ़ने से पहले तीन बार दरूद शरीफ और पढ़ने के बाद 3 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ सकते हैं।

इस्तिखारा को कब करना चाहिए ?

इस्तिखारा को करने की आपको एक खास वजह होनी चाहिए। आप इस्तिखारा को ऐसे मौके पर कर सकते हैं।

  1. हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि — बयान करते हैं की र०स०अ०व हमें हर काम में इस्तिखारा करने की तालीम इस तरह देते हैं जिस तरह कुरान शरीफ की सूरह को पढ़ने की तालीम देते थे।
  2. आप र०स०अ०व फरमाते हैं तुम में से कोई इंसान जब किसी भी काम का इरादा करें तो फर्ज के अलावा दो रकअत नमाज़ इस्तीखरा भी पढ़ले और फिर इस्तिखारा की दुआ को पढ़ले।
  3. जब भी ज़रुरत पड़े उसी वक़्त आप इस्तिखारा कर सकते हैं, जैसा कि नबी स०अ०व ने फरमाया “इज़ा हम्मा” “जब किसी काम का इरादा करें तो उसी वक़्त कर सकते हैं”।
  4. हर ज़रूरी काम में इस्तिखारा किया जा सकता है, लेकिन फराइज में इस्तिखारा नहीं होगा क्योंकि इनका करना वाजिब है।
  5. यह दुआ ( इस्तिखारा की दुआ ) है जो नमाज से बाहर की जाती है।
  6. इस्तिखारा करने के बाद ख्वाब (सपना) का आना ज़रूरी नहीं है ख्वाब आ भी सकता है और नहीं भी।
  7. चोरी का माल या जादू और भी बहुत कुछ गलत कामो का पता लगाने के लिए इस्तिखारा करना या कराना जायज (मान्य) नहीं है।

इस्तिखारा करने के बाद इन बातो का ख्याल रखे

इस्तिखारा करने के बाद ख्वाब का आना ज़रूरी नहीं है। अगर वो काम आपके लिए बेहतर होगा तो आपको उस काम करने का ख्याल आएगा , अगर आपके लिए वो काम अच्छा नहीं होगा तो उस काम को करने में रुकावट आएगी।

इसितखारा की दुआ को पढना ही काफी नहीं है अल्लाह पाक पर भरोसा करना और उस काम में माहिर लोग से मश्वरा लेना भी ज़रूरी है।

इस्तिखारा की दुआ हिंदी

अल्लाहुम्मा इन्नी अस्ताखीरुका बी – इलमीका व असतक्दीरुका बी – क़ुदरतिका व अस अलुका मीन फ़ज़्लिका अल – अज़ीम फ – इन्नका तक़्दीरु वाला अक़्दीरु व ता – लामु वाला अ लामु व अंता अल्लामु – ल – घुयुब . अल्लाहुम्मा इन कुंता ता – लम अन्ना हाज़ा – ल अमरा खैरुन ली फि दिनी व – माँ अशी व – आक़िबति अमरि फ़क़दिरहु ली व यस्सीरहु सुम्मा बारीक ली फिहि व इन कुंता ता – लामु अन्ना हु शर – रुन फि दिनी व-माँ अशी व-आक़िबति अमरि अस्रीफहु अन्नी वास्-रिफ़नी अन्हु – वाक्दिर ली अल-खैरा हैसु का -न सुम्मा अररिज़ज़नी बिहि

इस्तिखारा की दुआ तर्जुमा हिंदी

अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमवाला है हेे अल्लाह, मैं आपके बेइंतिहा, इल्म के जरिए बेहतरी माँगता हूं, और मैं आपसे आपकी कुदरत के जरिए से ताकत माँगता हूं, और मैं आपका असीम फज़्लो करम माँगता हूं। क्योंकि आप पूरी तरह काबील हैं, जबकि मैं नहीं हु आपकी तरह आप सबकुछ जानते हैं, और मैं कुछ भी नहीं, और आप सब कुछ जानते हैं जो अनदेखी है।

अल्लाह, अगर आप जानते हैं कि यह फेसला ( फैसले का इजहार करें मेरे मजहब, मेरी दूनिया और आखिरत के नतीजे के लिए अच्छा है, तो इसे पूरा करें, इसे मेरे लिए आसान करें और मेरा इसके जरिए भला करें। लेकिन अगर आप जानते हैं कि मेरे मजहब, मेरी दूनिया और आखिरत के नतीजे पर इसका बुरा असर है, तो इस फैसले को मूझसे फिरा दीजिये |

इस्तिखारा की दुआ अरबी

اللّٰہُمَّا اِنَّ اِستَخِیْرُکَ بِی اَلْمِیْکَ وَ اِسْتَقِیْرُکَ بِالْقَدْرِکَ وَ عَلَیْکَ مِن فَضْلِکَ الْعَظِیْم فِ انکا تقدیرو ولا اکدیرو وتا لامُو ولا لمُو و انت اللّٰہُ الْغَیْب۔ اللّٰہُمَّا اِن کُنْتَا لمُ انا حِزّا- لا امرا خیرون لی فی دینی و ما عاشی و عاقبتی امری فقدیرھو لی و یسرھو سما باریک لی فیہ و ان کنت تا لمو عنا ھو شر – رن فی دینی وما عشی و عقبتی امری عصرفھو عنی و رفنی عنہ – وقدیر لی الخیرۃ حسو کا نا سمع اریزانی بیحی

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इस्तिखारा की दुआ तर्जुमा अरबी

اللہ کے نام سے شروع کرتے ہوئے، اے اللہ، سب سے زیادہ رحم کرنے والے، رحم کرنے والے، میں تیرے لامحدود علم کے ذریعے خیر کا سوال کرتا ہوں، اور تیری فطرت سے طاقت مانگتا ہوں، اور میں تیرے لامحدود فضل کا سوال کرتا ہوں۔ کیونکہ آپ پوری طرح قادر ہیں، حالانکہ میں آپ جیسا نہیں ہوں، آپ سب کچھ جانتے ہیں، اور میں کچھ نہیں، اور آپ سب کچھ غیب جانتے ہیں اے اللہ اگر تو جانتا ہے کہ یہ فیصلہ میرے دین، میری دنیا اور آخرت کے لیے اچھا ہے تو اسے پورا کر دے، میرے لیے آسان کر دے اور اس کے ذریعے میرا بھلا کر دے، لیکن اگر تو جانتا ہے کہ اس کا برا اثر ہے۔ میرا دین، میری دنیا اور آخرت کا نتیجہ، تو اس فیصلے کو مجھ سے پھیر دے۔

 इस्तिखारा की दुआ अंग्रेज़ी

Allahumma Inni Astakhiruka Bi-ilmika, Wa Astaqdiruka bi-qudratika, Wa As’aluka Min Fazlika Al-`azim ,Fa-innaka Taqdiru Wala Aqdiru, Wa ta-lamu Wala a’lamu, Wa anta ‘allamu-l-ghuyub. ,Allahumma, In kunta Ta-lam Anna Haza-L Amra Khairun Li Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati `Amri Faqdirhu Lee Wa Yassirhu Summa Baarik Li Fihi, Wa in kunta Ta-lamu Anna Hu shar-run Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati Amri Fasrifhu Anni Was-rifni Anhu. Waqdir Li Al-khaira Haisu kaa -na Summa Arrizzni Bihi.

इस्तिखारा की दुआ तर्जुमा अंग्रेज़ी

he allaah, main tumhaaree buddhi aur gyaan ke maadhyam se tumhaaree bhalaee maangata hoon, aur main tumase tumhaare svabhaav ke maadhyam se shakti maangata hoon, aur main tumhaaree aseem krpa maangata hoon. kyonki aap pooree tarah saksham hain, jabaki main nahin. too sab kuchh jaanata hai, aur main nahin, aur jo kuchh anadekhee hai, vah sab kuchh too jaanata hai. ai allaah, agar too jaanata hai ki yah faisala mere deen, meree duniya aur aakhiree nateeje ke lie achchha hai, to ise poora kar de, ise mere lie aasaan kar de, aur isake zarie mera bhala kar de. lekin agar aap jaanate hain ki isaka mere dharm, meree duniya aur aakhirat par bura asar padata hai, to is phaisale ko mujhase door kar den aur mujhe isase door kar den, aur isake bajaay mujhe kuchh behatar den, chaahe vah kuchh bhee ho. mujhe us ke maadhyam se aaraam karo.

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